प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर का विकास

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तरुण चुघ

जादी का अमृतकाल चल रहा है। यह दुर्भाग्य की बात रही कि आजादी के बाद भारत में कांग्रेस की सरकारों द्वारा न तो पूर्वोत्तर के आर्थिक विकास के लिए ठोस जमीनी प्रयास किए गए और न ही वहां के नागरिकों को विकास की मुख्यधारा में ही जोड़ने के काम किये गए। इस वजह से इस हिस्से के प्रति शेष देश में सहज अपनत्व की भावना उस ढंग से नहीं बन पाई। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा-नीत एनडीए सरकार ने पहली बार पूर्वोत्तर में विकास की पहल की और अलग से इसके लिए मंत्रालय का गठन किया, लेकिन उनके बाद कांग्रेस की यूपीए सरकार के 10 वर्षों में पूर्वोत्तर के विकास के लिए कोई विशेष प्रयास नहीं हुए। 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद पूर्वोत्तर भारत के पूर्ण विकास की नई कहानी लिखी गई है।

पहले पूर्वोत्तर के राज्य उग्रवाद, घुसपैठ, बंद, ब्लॉकेड, ड्रग तस्करी, भ्रष्टाचार और जातीय तनाव की समस्या से आये दिन जूझते रहते थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे नॉर्थ-ईस्ट को अष्टलक्ष्मी का स्वरूप देकर इसे विकास, कनेक्टिविटी, आधारभूत संरचना का विकास, आईटी, औद्योगिक विकास, स्पोर्ट्स, निवेश और जैविक खेती का बड़ा हब बनाया है। नरेन्द्र मोदी ने देश के हर राज्य के संतुलित और तीव्र विकास पर ध्यान केंद्रित किया ताकि ताकि, देश आत्मनिर्भर बन सके। ‘लुक ईस्ट’ पॉलिसी के बजाय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘एक्ट ईस्ट’ की पॉलिसी के कारण पिछले 9 वर्षों में पूर्वोत्तर के अष्टलक्ष्मी राज्यों में अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिला है।

देश की आजादी के बाद सभी प्रधानमंत्री पूर्वोत्तर राज्यों के दौरे पर जितनी बार गए हैं, प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी अकेले उससे कहीं अधिक बार पूर्वोत्तर जा चुके हैं। इससे यहां विकास को तेज रफ्तार मिल रही है। पूर्वोत्तर को लेकर दिल्ली की सोच में आए इस परिवर्तन का नतीजा है कि पूर्वोत्तर अब भारत के विकास का गेटवे बन रहा है। ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘लोकल फॉर ग्लोबल’ के मंत्र ने

पहले पूर्वोत्तर के राज्य उग्रवाद, घुसपैठ, बंद, ब्लॉकेड, ड्रग तस्करी, भ्रष्टाचार और जातीय तनाव की समस्या से आये दिन जूझते रहते थे लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे नॉर्थ-ईस्ट को अष्टलक्ष्मी का स्वरूप देकर इसे विकास, कनेक्टिविटी, आधारभूत संरचना का विकास, आईटी, औद्योगिक विकास, स्पोर्ट्स, निवेश और जैविक खेती का बड़ा हब बनाया है

विकास को गति दी है। लंबे समय तक देश में ये सोच रही है कि बॉर्डर एरिया में विकास होगा तो दुश्मन को फायदा होगा। इस नकारात्मक सोच के कारण पूर्वोत्तर सहित देश के सभी सीमावर्ती क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बेहतर नहीं हो पाई। अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हीरा (HIRA) अर्थात् हाइवे, इनलैंड वाटरवे, रेलवे और एयरवे के विकास पर जोर दिया है। इससे पूर्वोत्तर के राज्यों, शेष भारत और दिल्ली के बीच की दिल की दूरियां खत्म हुई हैं।

अभी दिसंबर माह में ही प्रधानमंत्री मोदी ने यहां का दौरा किया था जिसमें उन्होंने हजारों करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं की नींव रखी थी। मोदी सरकार ने पिछले 9 वर्षों में मेघालय के विकास से जुड़ी अनेक रुकावटों को ‘रेड कार्ड’ दिखाया है। शिलॉन्ग सहित नॉर्थ ईस्ट की सभी राजधानियां रेल-सेवा से जुड़ें, इसके लिए तेज़ी से काम चल रहा है। मेघालय में उड़ान योजना के तहत 16 रूट्स पर हवाई सेवा चल रही है। बेहतर एयर कनेक्टिविटी से मेघालय और नॉर्थ ईस्ट के किसानों को भी लाभ हो रहा है। केंद्र सरकार की कृषि उड़ान योजना से यहां के फल-सब्जी देश और विदेश के मार्केट तक आसानी से पहुंच रहे हैं। पिछले 9 वर्षों में मेघालय में नेशनल हाईवे के निर्माण पर 5,000 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। पिछले 9 वर्षों में जितनी ग्रामीण सड़कें मेघालय में प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत बनी हैं, वह उससे पहले 20 वर्षों में बनी सड़कों से सात गुना अधिक है।

नॉर्थ ईस्ट की युवा शक्ति के लिए डिजिटल कनेक्टिविटी से नए अवसर बनाए जा रहे हैं। 2014 की तुलना में नॉर्थ ईस्ट में ऑप्टिकल फाइबर की कवरेज लगभग 4 गुणा बढ़ी है। मेघालय में ये वृद्धि 5 गुणा से अधिक है। मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए हजारों मोबाइल टावर लगाए जा रहे हैं। मेघालय में IIM का लोकार्पण और टेक्नॉलॉजी पार्क का शिलान्यास भी पढ़ाई और कमाई के अवसरों का विस्तार करेगा। नॉर्थ ईस्ट के आदिवासी क्षेत्रों में डेढ़ सौ से अधिक एकलव्य मॉडल स्कूल बनाए जा रहे हैं, इसमें से 39 मेघालय में हैं। इस बजट में एकलव्य मॉडल स्कूलों में बड़ी संख्या में शिक्षकों की भर्ती का प्रावधान भी किया गया है। पर्वतमाला योजना से यहां पर्यटन स्थलों में सुविधा बढ़ेगी और टूरिज्म का विकास भी होगा। स्पोर्ट्स को लेकर भी केंद्र सरकार आज एक नई अप्रोच के साथ आगे बढ़ रही है, जिसका सबसे अधिक लाभ पूर्वोत्तर को हुआ है।

लंबे समय तक देश में जिनकी सरकारें रहीं, उनकी नॉर्थ ईस्ट के लिए ‘डिवाइड’ की सोच थी और हम ‘डिवाइन’ (DEVINE) का इरादा लेकर आए हैं। ‘डिवाइन’ योजना से कायाकल्प हो रहा है। जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं कहा है, हम सभी समुदायों और इलाकों के बीच हर प्रकार के डिवीजन को दूर कर रहे हैं और नॉर्थ ईस्ट में हम विवादों के बॉर्डर नहीं बल्कि विकास के कॉरिडोर बना रहे हैं। बीते 8 वर्षों में अनेक संगठनों ने हिंसा का रास्ता छोड़ा है, स्थाई शांति की राह पकड़ी है। नॉर्थ ईस्ट में अफस्पा की आवश्यकता न पड़े, इसके लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। राज्यों के बीच दशकों से चले आ रहे सीमा विवाद को सुलझाया जा रहा है। हमारे लिए नॉर्थ ईस्ट आखिरी छोर नहीं, बल्कि सुरक्षा और समृद्धि के गेट-वे हैं। वाइब्रेंट बॉर्डर विलेज के तहत सीमावर्ती गांवों में बेहतर सुविधाओं को विकसित करने पर बल दिया जा रहा है।

शांति और विकास की हमारी नीति का सबसे अधिक लाभ जनजातीय समाज को हुआ है। आदिवासी समाज की परंपरा, भाषा-भूषा, खान-पान, संस्कृति को बनाए रखते हुए आदिवासी क्षेत्रों का विकास हमारी प्राथमिकता है। बांस को पेड़ की श्रेणी से हटा कर घास की श्रेणी में लाया गया। इससे बांस से जुड़े आदिवासी उत्पादों के निर्माण को बल मिला। यहां कई वनधन केंद्र स्थापित किए गए हैं। मेघालय में 2 लाख घरों तक पहली बार बिजली पहुंची है, गरीबों के लिए 70 हज़ार से अधिक घर बने हैं, तीन लाख परिवारों को पहली बार नल से जल की सुविधा मिली है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ की नीति पर काम कर रहे हैं। हमारी सरकार में बिना किसी जाति, धर्म, वर्ग, संप्रदाय और क्षेत्र के भेदभाव के सर्वस्पर्शी और सर्व-समावेशी विकास हुआ है। उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, पीएम किसान सम्मान निधि, पीएम आवास योजना, जल-जीवन मिशन, स्वच्छ भारत अभियान, सामाजिक सुरक्षा योजना, सौभाग्य योजना आदि योजनाओं के माध्यम से जन-जन का विकास हुआ है। दिसंबर में आई ग्लोबल माइनॉरिटी रिपोर्ट ने माना है कि भारत अल्पसंख्यकों के लिए सबसे अच्छा देश है। रिपोर्ट कहती है कि जिस प्रकार अल्पसंख्यकों के सांस्कृतिक और शैक्षिक प्रचार के लिए भारत के संविधान में विशेष प्रावधान है, इस तरह के प्रावधान किसी और देश में नहीं है। यह महज एक रिपोर्ट भर नहीं है, बल्कि यह विश्वास और विकास की कहानी है। अक्टूबर, 2021 में प्रधानमंत्री मोदी पवित्र वेटिकन सिटी गए थे, जहां उनकी मुलाक़ात His Holiness the Pope से हुई थी। नरेन्द्र मोदी ने उन्हें भारत आने का निमंत्रण भी दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं माना कि इस मुलाक़ात ने उनके मन पर गहरा प्रभाव छोड़ा। इस महत्वपूर्ण बैठक में मानवता के समक्ष चुनौतियों पर चर्चा हुई और इस बात पर सहमति व्यक्त की गई कि एकता और समरसता की भावना से कैसे सबका कल्याण हो सकता है। इसी भाव से भारत आगे बढ़ रहा है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में यहां के हर नागरिक का सशक्तीकरण सशक्त हो रहा है।

(लेखक भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री हैं)