ई-संजीवनी ने 10 करोड़ लाभार्थियों को प्रदान की टेली-परामर्श सेवाएं

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संजीवनी लाभार्थियों में 57% से अधिक महिलाएं हैं; लगभग 12% लाभार्थी वरिष्ठ नागरिक हैं;
एक दिन में 5 लाख से अधिक रोगियों को टेली-परामर्श सेवाएं प्रदान की गईं

-संजीवनी देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक क्रांति है। भारत ने अपनी ई-हेल्थ यात्रा में एक ऐतिहासिक स्तर पार कर लिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 16 फरवरी को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार भारत सरकार के राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म ई-संजीवनी ने 10 करोड़ लाभार्थियों को टेली-परामर्श सेवाएं प्रदान करके एक और ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ई-संजीवनी एप्प पर अभूतपूर्व रूप से 10 करोड़ टेली-परामर्श होने का स्वागत किया। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया का एक ट्वीट साझा करते हुये प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया कि 10,00,00,000 टेली-परामर्श एक उल्लेखनीय कारनामा है। मैं उन सभी चिकित्सकों की सराहना करता हूं, जो भारत में एक मजबूत डिजिटल स्वास्थ्य इको-प्रणाली बनाने में अग्रणी हैं।

टेली-परामर्श के डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्रदान की जा रही स्वास्थ्य सेवाओं की सराहना करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि 15,731 मुख्य केंद्रों से 1,152 ऑनलाइन ओपीडी के माध्यम से 115,234 स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (प्रतिनिधि केंद्रों के रूप में) में 10.011 करोड़ रोगियों को सेवा प्रदान की गई, जिसमें टेलीमेडिसिन में प्रशिक्षित 229,057 मेडिकल स्पेशलिस्ट और सुपर- स्पेशलिस्ट शामिल थे। ई-संजीवनी को एक दिन में 10 लाख से अधिक परामर्श देने के लिए आगे और संवर्धित किया गया है, अब तक मंच एक दिन में 5,10,702 रोगियों की सेवा करने का अपना उच्चतम स्तर हासिल कर चुका है।

‘ई-संजीवनी’ भारत की राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा में दुनिया की सबसे बड़ी टेलीमेडिसिन सेवा है। ई-संजीवनी विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के लिए एक वरदान साबित हुई है, जहां स्वास्थ्य सुविधा तक पहुंच कठिन थी। इसके बाद से इसे स्वास्थ्य से जुड़े सभी क्षेत्रों में व्यापक रूप से लागू किया गया है और इसने हमारे देश में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को बदल दिया है।

यह ध्यान देने योग्य बात है कि ई-संजीवनी के 57% से अधिक लाभार्थी महिलाएं हैं और लगभग 12% लाभार्थी वरिष्ठ नागरिक हैं। इससे यह भी पता चलता है कि मंच आबादी के सबसे असुरक्षित वर्गों में अपनी पहुंच बना रहा है, जहां इसके प्रभाव का अधिकतम असर दिखता है।