ऐसे होगी किसानों की आमदनी दोगुनी

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देश में पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने किसानों की समग्र भलाई के लिए इस तरह का कोई लक्ष्य देशवासियों के सामने रखा है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कृषि मंत्रालय को यह काम 2022 तक अंजाम देना है। कृषि मंत्रालय पूरे मनोयोग और ईमानदारी के साथ प्रधानमंत्री के इस सपने को साकार करने में लगा हुआ है।

राधा मोहन सिंह

कि सानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश के सामने एक लक्ष्य रखा है। यह लक्ष्य है वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का। देश में पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने किसानों की समग्र भलाई के लिए इस तरह का कोई लक्ष्य देशवासियों के सामने रखा है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कृषि मंत्रालय को यह काम 2022 तक अंजाम देना है। कृषि मंत्रालय पूरे मनोयोग और ईमानदारी के साथ प्रधानमंत्री के इस सपने को साकार करने में लगा हुआ है। देश के सभी जिलों में 15 अगस्त, 2017 से केवीके के संयोजन में किसानों की आय दुगनी करने के लिए संकल्प सम्मेलनों में बड़ी संख्या में किसान एवं अधिकारी संकल्प भी ले रहे हैं।

2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कृषि मंत्रालय योजनाबद्ध तरीके से 7 सूत्री कार्य योजना पर काम कर रहा है। पहला सूत्र है उत्पादन में वृद्धि, मोटे तौर पर इसका मतलब है पर्याप्त संसाधन के साथ सिंचाई पर ध्यान केन्द्रित करना। यही वजह है कि सर्वप्रथम हमने सिंचाई में बजटीय आवंटन बढ़ाकर इस पर ध्यान केन्द्रित किया है।
भारत के पास 142 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि है जिसमें से केवल 48 प्रतिशत संस्थागत सिंचाई के तहत है। “हर खेत को पानी’ के उद्देश्य के साथ 1 जुलाई 2015 से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरुआत की गयी ताकि सिंचाई आपूर्ति शृंखला, जल संसाधनों, नेटवर्क वितरण और फार्म लेवल अनुप्रयोगों में सर्वागीण समाधान किया जा सके। हम इसमें समग्र दृष्टिकोण अपना रहे हैं, जो सिंचाई और जल संरक्षण को मिलाता है। उद्देश्य “प्रति बूंद अधिक फसल’ पाना है। साथ ही, वर्षों से लम्बित मध्यम एवं बड़ी सिंचाई योजनाओं को 4 वर्षों में प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त जल संचयन एवं प्रबंधन के साथ ही वाटर शेड डेवलपमेंट का कार्य भी तेज गति से कार्यन्वित हो रहा है।

दूसरा सूत्र है इनपुट का प्रभावी उपयोग, जिसका अर्थ है गुणवत्तापूर्ण बीज, रोपण सामग्री, जैविक खेती एवं प्रत्येक खेत को मृदा स्वास्थ्य कार्ड एवं अन्य योजनाओं के माध्यम से उत्पादन में वृद्धि। दूसरे सूत्र में हम श्रेष्ठ बीजों एवं पोषकता पर जोर दे रहे हैं। जैविक खेती के लिए भी पहली बार नयी योजना प्रारंभ की गयी है। इसी प्रकार नीम कोटेड यूरिया के माध्यम से यूरिया की पर्याप्त उपलब्धता तथा यूरिया का अवैध रुप से रसायनिक उद्योग में दुरुपयोग भी समाप्त हो गया है। साथ ही, सॉयल हेल्थ कार्ड्स के प्रावधान से संतुलित उर्वरकों के उपयोग के कारण किसानों की लागत कम हो रही है एवं उत्पादन में बढ़ोतरी भी हो रही है। इसके अतिरिक्त कृषि प्रक्षेत्र में नई तकनीक का उपयोग जैसे-कृषि प्रक्षेत्र के लिए स्पेस टेक्नोलॉजी राष्ट्रीय कार्यक्रम,किसान कॉल सेंटर, किसान सुविधा एप्पक जैसे दूरसंचार एवं ऑनलाईन माध्यमों से किसानों तक समय सूचना एवं एडवाइजरी भी पहुंचाई जा रही है।
तीसरा सूत्र है उपज के बाद नुकसान कम करना, फसलों की उपज के बाद उसका भंडारण करना किसानों के लिए एक बड़ी समस्या है। भंडारण की सुविधा के अभाव में मज़बूरी में कम कीमत पर उपज की बिक्री करनी पड़ती है। इसलिए सरकार का मुख्य ध्यान किसानों को प्रोत्साहित करना है, ताकि वे वेयर हाउस का उपयोग कर अपनी फसल को मजबूरी में ना बेचें। प्राप्त जमा राशि के आधार पर किसानों को बैकों से ऋण मुहैया कराया जा रहा है, एवं ब्याज में छूट भी दी जा रही है। किसानों को नुकसान से बचाने के लिए सरकार का पूरा फोकस ग्रामीण भंडारण एवं एकीकृत शीत श्रृंखला (Integrated Cold Chain) पर है।

चौथा सूत्र है गुणवत्ता में वृद्धि, सरकार खाद्य प्रसंस्करण (food processing) के माध्यम से कृषि में गुणवत्ता को बढ़ावा दे रही है। छह हज़ार करोड़ रुपए के आवंटन (allocation) से प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना की शुरूआत की गई है। इसके तहत एग्रो प्रोसैसिंग क्लस्टरों के फार्वर्ड एवं बैकवर्ड लिंकेज पर कार्य करके फूड प्रौसेसिंग क्षमताओं का विकास किया जाएगा, जिससे 20 लाख किसानों को लाभ मिलेगा और करीब साढ़े पांच लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

पांचवा सूत्र है विपणन (कृषि बाजार) में सुधार, हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि मूल्य का बड़ा हिस्सा किसान तक पहुंचे और बिचौलियों की भूमिका न्यूनतम हो। इसके लिए केंद्र सरकार केंद्र सरकार कृषि बाजार में सुधार पर ज़ोर दे रही है। तीन सुधारों के साथ ई-राष्ट्रीय कृषि बाज़ार योजना की शुरूआत की गई है, जिसमें अभी तक 455 मंडियों को जोड़ा जा चुका हैं। कई मंडियों में ऑनलाइन कृषि बाज़ार ट्रेंडिग भी शुरू हो चुकी है। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में बाजार सुधार की दिशा में एक मॉडल एपीएमसी एक्ट राज्यों को जारी किया गया है, जिसमें निजी क्षेत्र में मंडी स्थापना, प्रत्यक्ष विपणन मंडी यार्ड के बाहर बनाने का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त संविदा कृषि को बढ़ावा देने के लिए सरकार एक मॉडल एक्ट बनाने का कार्य भी कर रही है।

साथ ही, किसानों को फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन के रूप में संगठित भी किया जा रहा है, जिससे उन्हे सिर्फ इकोनोमी ऑफ स्केल मिले, बल्कि व्यापारियों के समक्ष उनकी सौदेबाजी शक्ति भी बढ़े। छठा सूत्र है जोखिम, सुरक्षा एवं सहायता, जिसके लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की है। यह किसानों की आय का सुरक्षा कवच है। खरीफ़ व रबी फसल में अब तक की सबसे न्यूनतम दर तय की गई है, जो क्रमशः अधिकतम 2 प्रतिशत और 1.5 प्रतिशत है। इसमें खड़ी फसल के साथ-साथ बुवाई से पहले और कटाई के बाद के जोखिमों को भी शामिल किया गया है। इतना ही नहीं, नुकसान के दावों का 25 प्रतिशत भुगतान भी तत्काल ऑनलाइन भुगतान किया जा रहा है।

इस योजना में किसानों को फसल नुकसान के त्वरित भुगतान हेतु उपज के अनुमान के लिए ड्रोन तकनीक तथा फसल कटाई के लिए स्मार्ट फोन जैसी नई तकनीकों का उपयोग भी कई राज्यों में प्रारम्भ किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, किसानों की सुविधा के लिए इस खरीफ मौसम से कस्टमर सर्विस सेंटर एवं बैंक आनलाइन जैसी नई तकनीकी सुविधाओं के माध्यम से प्रीमियम राशि जमा कराने का भी प्रावधान किया गया है। प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान के राहत नियमों में भी सरकार ने बदलाव किए हैं। अब केवल 33 प्रतिशत फसल नुकसान होने पर भी सरकार अनुदान दे रही है। साथ ही अनुदान की राशि को 1.5 गुना बढ़ा दिया गया है।

जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव को भी कम करने के लिए अधिक सहनशीलता वाली किस्मों और पशुओँ की प्रजातियों का विकास तथा प्रभावित जिलों के लिए कॉनटिनजेंसी प्लान भी तैयार किए गये हैं। सातवां और अतिंम सूत्र है सहायक गतिविधियों से अर्थात कृषि के अनुसंगी कार्यकलापों जैसे बागवानी, डेयरी विकास, पोल्ट्री, मधुमक्खी पालन, मत्स्य पालन, श्वेत क्रांति, नीली क्रांति, कृषि वानिकी,एकीकृत फार्मिंग (Integrated Farming) और रूरल बैकयार्ड पोल्ट्री डेवलपमेंट के जरिए किसानों की आमदनी बढ़ाना। हम सहायक गतिविधियों से किसानों की आय में बढोतरी करेंगे। अंशत: यह मुर्गीपालन, मधुमक्खी पालन, पशुपालन, डेयरी विकास एवं मत्स्यपालन के माध्यम से किया जाएगा। हम किसानों को उनकी भूमि के उस हिस्से का उपयोग करने का प्रोत्साहन दे रहे हैं जो जोता हुआ नहीं है। खासकर खेतों के बीच की सीमा वाला हिस्सा जिसका प्रयोग लकड़ी वाले वृक्ष उगाने एवं सौर सेल बनाने में किया जा सकता है। इसे अतिरिक्त बागवानी, कृषि वानिकी एवं समेकित कृषि पर भी विशेष बल दिया जा रहा है।

(लेखक केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री हैं।)