बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मिला ‘भारत रत्न’ सम्मान

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बिहार के दो बार मुख्यमंत्री रहे श्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ के लिए चुना गया है। राष्ट्रपति भवन ने 23 जनवरी को उनकी जन्म शताब्दी की पूर्वसंध्या पर यह घोषणा की। स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक और राजनीतिज्ञ श्री ठाकुर दिसंबर, 1970 से जून, 1971 तक और दिसंबर, 1977 से अप्रैल, 1979 तक दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे। उनका 17 फरवरी, 1988 को निधन हो गया था।

सामाजिक न्याय के पुरोधा श्री ठाकुर का जन्म 24 जनवरी, 1924 को हुआ था। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी थी और उन्हें 1942 से 1945 के दौरान ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में शामिल होने के लिए गिरफ्तार किया गया था।

प्रधानमंत्री ने श्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिये जाने के निर्णय पर प्रसन्नता व्यक्त की

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सामाजिक न्याय के प्रणेता श्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न दिये जाने के निर्णय पर प्रसन्नता व्यक्त की। श्री मोदी ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर की जन्म-शताब्दी के अवसर पर यह निर्णय देशवासियों को गौरवान्वित करेगा। पिछड़ों और वंचितों के उत्थान के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता और दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी है।

प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया है, “मुझे इस बात की बहुत प्रसन्नता हो रही है कि भारत सरकार ने सामाजिक न्याय के पुरोधा महान जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है। उनकी जन्म-शताब्दी के अवसर पर यह निर्णय देशवासियों को गौरवान्वित करने वाला है।”

श्री मोदी ने कहा कि पिछड़ों और वंचितों के उत्थान के लिए कर्पूरी जी की अटूट प्रतिबद्धता और दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ी है। यह भारत रत्न न केवल उनके अतुलनीय योगदान का विनम्र सम्मान है, बल्कि इससे समाज में समरसता को और बढ़ावा मिलेगा।

जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का मतलब हर गरीब एवं वंचित सम्मानित : जगत प्रकाश नड्डा

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने मोदी सरकार द्वारा जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के निर्णय की सराहना की है।

श्री नड्डा ने कहा कि एक अत्यंत गरीब परिवार से निकलकर बिहार के मुख्यमंत्री पद को सुशोभित करने वाले, सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने वाले, जननायक श्री कर्पूरी ठाकुर जी को आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करने के निर्णय की जितनी भी सराहना की जाए, वह कम है। जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का मतलब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश के हर गरीब और वंचित को सम्मानित किया है, जो सराहनीय है।

उन्होंने कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर जी का जीवन हमेशा सामाजिक न्याय के लिए समर्पित रहा है और उसके लिए उन्होंने परिश्रम की पराकाष्ठा की। उन्होंने गरीबों को न्याय दिलाने के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया। इसके लिए उन्होंने कभी भी अपने सिद्धांतों के साथ समझौता नहीं किया। वे पूरी जिंदगी कांग्रेस की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ लड़ते रहे। आपातकाल में भी उन्होंने जमकर लड़ाई लड़ी।

श्री नड्डा ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किये गए प्रंशसनीय और सराहनीय कार्यों के लिए और सामाजिक न्याय के लिए करोड़ों लोगों की तरफ से मैं उनका हार्दिक अभिवादन करता हूं एवं उनके प्रति आभार व्यक्त करता हूं। पिछले दस सालों में प्रधानमंत्रीजी ने सामाजिक न्याय और गरीब कल्याण के लिए जो कार्य किये हैं, वो ऐतिहासिक है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के लिए सामाजिक न्याय एक दृढ़ संकल्प है। उन्होंने गरीबों, पिछड़ों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला, युवा, किसान के कल्याण और विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए कार्य किया है, उनके प्रयासों की मैं हृदय की गहराइयों से सराहना करता हूं।

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद देश में पहली बार श्री नरेन्द्र मोदी जी ऐसे प्रधानमंत्री हुए हैं जिन्होंने पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया, जिनकी सरकार में 27 से ज्यादा पिछड़े वर्ग के मंत्री बनाए। हमारी पार्टी के 100 से अधिक पिछड़े वर्ग के सांसद हैं, 300 से अधिक अधिक पिछड़े वर्ग के विधायक हैं और 65 से ज्यादा विधान परिषद् सदस्य हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि राजनीति में सामाजिक न्याय के लिए पिछड़े वर्ग को सबसे अधिक पहचान और सम्मान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दी है।

श्री नड्डा ने कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित करने के निर्णय के लिए मैं पुनः प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का अभिवादन करता हूं और उन्हें धन्यवाद देता हूं। सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने वाले इस निर्णय को सदैव याद रखेंगे।