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उजली तस्वीर पर मुहर

रत तेजी से खुशहाली की तरफ बढ़ रहा है, इस आम धारणा पर अब अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ‘मूडीज ने भी मुहर लगा दी है। कुछ दिन पहले विश्व बैंक के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स में भारत ने 30 पायदान की ऊंची छलांग लगाई थी। अब मूडीज ने भारत का दर्जा बीएए-3 से बढ़ाकर बीएए-2 कर दिया है। ये महत्वपूर्ण सुधार है। मूडीज ए, बी और जंक में विभिन्न श्रेणियां देता है। ए और बी पॉजिटिव (सकारात्मक) रैंकिंग है। बीएए-3 पॉजिटिव का सबसे निचला पायदान है। ध्यानार्थ है कि वर्ष 2004 के बाद भारत की मूडीज रेटिंग में पहली बार सुधार हुआ है। इस एजेंसी ने इस निर्णय का कारण भारत के सकल घरेलू उत्पाद में हो रही बढ़ोतरी, नोटबंदी, जीएसटी, डूबते कर्ज से पैदा हुई बैंकों की समस्या को दूर करने के लिए उठाए गए कदमों, आधार कार्ड, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना इत्यादि को बताया है। जाहिर है, नरेंद्र मोदी सरकार के जिन फैसलों की विपक्ष अक्सर आलोचना करता है, उसे दुनिया दूसरी नजर से देख रही है। उसकी निगाह में ये अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए उठाए गए दूरगामी महत्व के कदम हैं, जिनसे देश को दीर्घकालिक लाभ होगा।

इस बिंदु पर उल्लेखनीय है कि जिस समय नोटबंदी और जीएसटी से आमजन के लिए मुश्किलें खड़ी होने की बातें कही गईं, उसी वक्त भारत में विदेशी निवेश में लगातार वृद्धि हुई। यह भारतीय अर्थव्यवस्था में विश्व के यकीन का जीवंत प्रमाण है। अब विश्व बैंक के बाद मूडीज ने भी भारत के बारे में दुनिया में लगातार मजबूत हो रही आशाजनक दृष्टि की पुष्टि कर दी है। रेटिंग में सुधार का गहरा निहितार्थ होता है। किसी विदेशी या घरेलू कंपनी के लिए खुद ये आकलन करना कठिन होता है कि किसी देश की अर्थव्यवस्था की मूलभूत स्थितियां कैसी हैं। ऐसे में वे अक्सर क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के आकलन पर निर्भर करती हैं। ये रेटिंग एजेंसियां किसी देश की अर्थव्यवस्था के हर आयाम तथा संभावनाओं को देखते हुए उसकी श्रेणी तय करती हैं। अधिकांश निवेशक ऐसी रेटिंग के आधार पर अपनी निवेश योजनाएं एवं बाजार रणनीति बनाते हैं। चूंकि मूडीज ने भारत सरकार के आर्थिक और संस्थागत सुधारों का खास जिक्र किया है, तो उससे एनडीए सरकार की नीतियों और भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाओं में निवेशकों का भरोसा और मजबूत होगा। इससे यह संदेश जाएगा कि भारतीय अर्थव्यवस्था न सिर्फ स्थिर है, बल्कि लगातार अधिक पारदर्शी और सुदृढ़ हो रही है।
– (नई दुनिया, 18 नवंबर)

सुधरता माहौल

तरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की संप्रभु बॉन्ड रेटिंग को बीएए3 से सुधार कर बीएए2 कर दिया है। यह निस्संदेह देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है। सैद्धांतिक तौर पर देखा जाए तो इस सुधार का अर्थ यह हुआ कि न केवल संप्रभु, बल्कि सरकारी क्षेत्र की कंपनियों और निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए भी विदेशी फंड जुटाना आसान होगा। देश की संप्रभु रेटिंग में सुधार के साथ एजेंसी ने कहा है कि ऐसा उन सुधारों के कारण किया गया जिन्हें सरकार ने अब तक अंजाम दिया है। उसका कहना है कि इन सुधारों से देश में कारोबारी माहौल सुधरेगा और मजबूत और स्थायी विकास की परिस्थितियां निर्मित होंगी। सरकार लंबे समय तक यह दलील देती रही है कि राजकोषीय समावेशन की उसकी प्रतिबद्धता और देश के स्थिर वृहद आर्थिक विकास संकेतकों को देखते हुए रेटिंग में सुधार आवश्यक हो चला है। कई पर्यवेक्षक कह रहे थे कि भारत, विकास की गति गंवा रहा है। ऐसे में यह भरोसा बहाली का एक मजबूत संकेत है। सरकार को विभिन्न नीतिगत बदलावों का श्रेय मिलना चाहिए, जिनके चलते रेटिंग में यह सुधार संभव हो सका।
– (बिजनेस स्टैंडर्ड, 19 नवंबर)

बड़ी कामयाबी

रत की नुमाइंदगी के लिए न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी का हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में एक बार फिर पहुंचना एक बड़ी कूटनीतिक जीत है। उससे भी बड़ी बात यह कि यह ब्रिटेन जैसे एक सशक्त देश के लिए बड़ी हार है। इसका अहसास दुनिया के उन सर्वाधिक ताकतवर देशों को भी हो चुका है, जो सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में वीटो के अधिकार से लैस हैं। भारत के लिए यह बड़ी कामयाबी इसलिए भी है कि दुनिया में आज भी विकासशील देश के रूप में पहचान के बावजूद उसने ब्रिटेन को एक ऐसे वैश्विक मंच पर पटखनी दी, जिसमें हमेशा से उसकी तूती बोलती आई थी। 1946 के बाद यह पहला मौका है जब अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के पंद्रह जजों में ब्रिटेन का कोई जज नहीं है।
(जनसत्ता, 23 नवम्बर, 2017)