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आसियान के मेहमान

हर साल गणतंत्र दिवस पर किसी न किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष को अतिथि के तौर पर बुलाया जाता रहा है, लेकिन इस बार खास बात यह है कि किसी एक देश के नहीं, बल्कि दस देशों के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री भारत के मेहमान हैं। ये देश हैं सिंगापुर, थाईलैंड, म्यांमा, ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, विएतनाम, लाओस और फिलीपीन्स। इन सभी देशों के प्रतिनिधियों को एक साथ गणतंत्र दिवस पर आमंत्रित करने के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की क्या मंशा रही होगी, यह बिलकुल साफ है। वे आसियान देशों के साथ भारत की व्यापारिक और रणनीतिक साझेदारी बढ़ाना चाहते हैं और इस सिलसिले में अतिथि नेताओं के साथ बुधवार तथा गुरुवार को उनकी बातचीत हुई। उम्मीद है कि अलग-अलग द्विपक्षीय वार्ताओं का दौर इन देशों के साथ भारत के संबंधों को और मजबूती देगा। आसियान के सदस्य-देशों या दक्षिण पूर्व एशिया से संबंध बढ़ाने की ललक नई नहीं है। दरअसल, भारत की विदेश नीति और विदेश व्यापार में आसियान के करीब आने की ललक उदारीकरण का दौर शुरू होने के साथ ही तेज हुई, क्योंकि निवेश और बाजार के लिए नए-नए क्षेत्रों की तलाश थी और इस क्रम में उस वक्त तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था कहे जाने वाले देशों की तरफ भारत का मुखातिब होना स्वाभाविक था।
– (जनसत्ता, 27 जनवरी, 2018)

उपलब्धियां और सपने

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में जो कुछ भी कहा, उसमें उनका आत्मविश्वास साफ नजर आया। दरअसल दुनिया की प्रमुख वित्तीय संस्थाओं ने भारतीय अर्थव्यवस्था में अपना विश्वास प्रदर्शित कर केंद्र सरकार की आर्थिक नीति पर अपनी मुहर लगा दी है। हाल में विश्व बैंक ने कहा कि इस साल भारत सबसे तेज विकास वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उसने अपनी ‘ग्लोबल इकनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स रिपोर्ट’ में 2018-19 में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 7.3 प्रतिशत होने का अनुमान जाहिर किया।

पिछले महीने ब्रिटेन की कंसल्टेंसी फर्म ‘सेंटर फॉर इकनॉमिक ऐंड बिजनेस रिसर्च’ (सीईबीआर) ने भी कहा था कि 2018 में भारत दुनिया की टॉप-5 अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो जाएगा। आईएमएफ और कुछ रेटिंग एजेसियां भी ऐसा ही संकेत दे चुकी हैं। नोटबंदी और जीएसटी जोखिम भरा कदम था, जिस पर प्रधानमंत्री को विपक्ष द्वारा घेरा भी गया, लेकिन तमाम वित्तीय संस्थाएं मान रही हैं कि इनका असर अब खत्म हो चुका है। इससे पीएम मोदी उत्साहित हैं। उनका यह उत्साह दावोस में विश्व आर्थिक फोरम की सालाना बैठक में जरूर दिखेगा।

इसके बारे में प्रधानमंत्री ने अपने इंटरव्यू में कहा कि आज अर्थजगत का ध्यान भारत पर केंद्रित है। भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है और पूरा विश्व इसे मान रहा है। आज दुनिया भारत की नीतियों और विकास के बारे में सीधे देश के मुखिया से सुनना चाहती है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि मुझे दावोस में 125 करोड़ भारतीयों की सक्सेस स्टोरी सुनाने में गर्व महसूस होगा। हालांकि, पीएम को इस बात का थोड़ा मलाल भी है कि सरकार के काम के रूप में सिर्फ नोटबंदी और जीएसटी की ही चर्चा होती है। उनका आग्रह था कि उनकी और उपलब्धियों को भी देखा जाए। इस संदर्भ में उन्होंने बताया कि सरकार ने बड़ी संख्या में लोगों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा है। लड़कियों के अनेक स्कूलों में शौचालय बनवाए गए हैं। करीब 3.30 करोड़ लोगों के घर गैस पहुंचाई गई। 90 पैसे में गरीब लोगों का इंश्योरेंस हुआ। उन्होंने बेरोजगारी के मुद्दे पर कहा कि पिछले एक साल में संगठित क्षेत्र में 70 लाख ईपीएफ अकाउंट खुले हैं। एक साल में 10 करोड़ लोगों ने मुद्रा योजना का लाभ लिया है।

ये आंकड़े बताते हैं कि लोगों को रोजी-रोजगार मिल रहा है। किसानों की दुर्दशा को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में पीएम ने कहा कि हमने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की है। मध्य प्रदेश, कर्नाटक समेत कई राज्यों में इसका फायदा हो रहा है। हमारा सपना है कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी की जाए। आगामी बजट को लेकर पीएम ने कहा कि मोदी का एक ही मंत्र है- विकास, विकास, विकास और सबका साथ-सबका विकास। इस तरह प्रधानमंत्री ने भविष्य को लेकर अपना विजन एक बार फिर साफ कर दिया है।
– (नवभारत टाइम्स, 23 जनवरी, 2018)