जी20 की अध्यक्षता ‘ग्लोबल कॉमन’ के मुद्दों के समाधान के प्रधानमंत्री मोदीजी के संकल्प को दर्शाता है

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वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप दुनिया में बढ़ती अन्योन्याश्रितता के कारन किसी भी राज्य के लिए अपने राष्ट्रीय हितों को अकेले साधना मुश्किल है। अब विदेश नीति में बहुपक्षवाद एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण बन गया है। विशेष रूप से ‘ग्लोबल कॉमन’ के मुद्दों के हल के लिए यह दृष्टिकोण अनिवार्य हो जाता है।
आज, जी20 एक प्रमुख बहुपक्षीय मंच बन गया है। इसने ‘अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग’ के एक मंच के रूप में अपनी यात्रा शुरू की। इसका एजेंडा अब व्यापार, सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और भ्रष्टाचार विरोधी जैसे मुद्दे भी इस मंच रखे जा रहे हैं।

भारत की जी-20 अध्यक्षता उद्देश्य का बेहतर दुनिया और बेहतर कल बनाना

इस वर्ष के लिए भारत को जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने का अवसर मिला है। 17वें जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के समापन समारोह में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इंडोनेशिया से 18वें जी20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की बागडोर ली। ‘बेहतर दुनिया और बेहतर पृथ्वी’ बनाने के लिए श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने शिखर सम्मेलन की थीम- ‘एक पृथ्वी’, एक परिवार, एक भविष्य’

भारत ने हमेशा ग्लोबल साउथ के अपने भाइयों के साथ अपने विकास संबंधी अनुभव को साझा किया है। हमारी विकास साझेदारी में सभी भौगोलिक और विविध क्षेत्र शामिल हैं। हमने महामारी के दौरान 100 से अधिक देशों को दवाओं और टीकों की आपूर्ति की। हमारे साझा भविष्य के निर्धारण में भारत हमेशा विकासशील देशों की बड़ी भूमिका के पक्ष में रहा है

को रखा है। G20 प्रतीक को भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रंगों में डिज़ाइन किया गया है। शिखर सम्मेलन का थीम और प्रतीक वैश्विक मुद्दों के समाधान के लिए भारतीय नेतृत्व के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। भारत की साल भर चलने वाली G20 अध्यक्षता 1 दिसंबर, 2022 को शुरू हुई, जो 30 नवंबर, 2023 तक जारी रहेगी।

जनवरी में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने ग्लोबल साउथ के देशों के एक शिखर सम्मेलन को संबोधित किया जिसमें 125 विकासशील देशों ने भाग लिया। श्री मोदी ने आश्वासन दिया कि भारत की अध्यक्षता समावेशी और विकासशील देशों के लिए एक आवाज होगी। उन्होंने कहा कि तीन चौथाई मानवता ग्लोबल साउथ में रहती है। हमारी भी समतुल्य आवाज़ होनी चाहिए। इसलिए, जैसे-जैसे वैश्विक शासन का आठ दशक पुराना मॉडल धीरे-धीरे बदलता है, हमें उभरती हुई व्यवस्था को आकार देने का प्रयास करना चाहिए। अधिकांश वैश्विक चुनौतियां ग्लोबल साउथ द्वारा सृजित नहीं की गई हैं, लेकिन वे हमें प्रभावित अधिक करती हैं। हमने इसे कोविड महामारी, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और यहां तक कि यूक्रेन संघर्ष के प्रभावों में देखा है। समाधान की खोज में भी हमारी भूमिका या हमारी आवाज़ का कोई महत्व नहीं है। भारत ने हमेशा ग्लोबल साउथ के अपने भाइयों के साथ अपने विकास संबंधी अनुभव को साझा किया है। हमारी विकास साझेदारी में सभी भौगोलिक और विविध क्षेत्र शामिल हैं। हमने महामारी के दौरान 100 से अधिक देशों को दवाओं और टीकों की आपूर्ति की। हमारे साझा भविष्य के निर्धारण में भारत हमेशा विकासशील देशों की बड़ी भूमिका के पक्ष में रहा है।

इस लेख के लिखे जाने तक जी20 की 100 बैठकें 41 शहरों में आयोजित की जा चुकी हैं, जिसमें 28 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं। जी-20 के आयोजनों के दौरान भारत ने अपनी विविध समृद्ध संस्कृति, समावेशी परंपरा, उभरते हुए भारत की आध्यात्मिक और भौतिक शक्ति को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 7,000 से अधिक कलाकारों की भागीदारी के साथ स्थानीय और राष्ट्रीय कला रूपों की विशेषता वाले 150 से अधिक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। भारत की जी20 अध्यक्षता को ‘पीपुल्स G20’ में बदलने के लिए पूरे राष्ट्र और पूरे समाज के दृष्टिकोण में सक्रिय सार्वजनिक भागीदारी के साथ-साथ कई जनभागीदारी गतिविधियों को भी आयोजित किया जा रहा है। व्यक्तिगत रूप से भागीदारी अब तक की सबसे बड़ी भागीदारी में से एक है। अब तक 110 से अधिक राष्ट्र के 12,300 से अधिक प्रतिनिधियों ने जी20 से संबंधित बैठकों में भाग लिया है। इसमें जी20 सदस्यों, 9 आमंत्रित देशों और 14 अंतरराष्ट्रीय संगठनों की भागीदारी शामिल है। लेख को लिखे जाने के समय तक 28 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कवर करते हुए 41 शहरों में जी20 की 100 बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं। व्यापारियों, वैज्ञानिकों आदि समूहों के सम्मलेन के अलावा अन्य समूह जैसे कि यूथ20 (Y20), और सिविल20 (C20) की बैठकें आयोजित का जा रही हैं। इन संवादों के माध्यम से दुनिया भारत के गतिशील और आकांक्षापूर्ण युवाओं के साथ विचारों का आदान-प्रदान कर रहा है, जो देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा है, और देश के विकास के गाथा को लिखने में मदद कर रहा है और दुनिया के नेता भी देख रहे हैं कि भारत में नागरिक देश-समाज कितना जीवंत है और देश में लोकतंत्र को और गहरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है।

जी20 प्रेसीडेंसी और भारत का उभरता बहुपक्षीय नीति

यदि हम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर नीतियों पर दृष्टि डाले तो पता चलता है कि भारत अब केवल एक नियम का अनुसरण करने वाला या नियम अवरोधक नहीं है; यह एक नियम को आकार देने वाले या नियम को प्रभावित करने वाले के देश के रूप में उभरा है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पड़ोसी-पहले की नीति का पालन करते हुए सार्क नेताओं और मॉरीशस के प्रधानमंत्री को नई दिल्ली में अपने पहले शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। भारत ने इस इशारे के माध्यम से, दक्षिण एशिया क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग को गहरा करने के अपने इरादे को प्रदर्शित किया।

G20 शिखर सम्मेलन में भारत का नेतृत्व संरक्षणवादी प्रवृत्तियों से बचाने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए है कि ग्लोबल साउथ की विकास संभावनाओं को नुकसान न पहुंचे, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली अधिक समावेशी हो। दुनिया के बहुपक्षीय मंचों में भारत मुखर भागीदारी और ग्लोबल कॉमन के मुद्दों के समाधान के लिए प्रधानमंत्री दृष्टिकोण से पता चलता है कि भारत एक बड़ी वैश्विक भूमिका निभाने के लिए तैयार है

श्री मोदी का दृष्टिकोण अधिक यथार्थवादी और साझेदारी उन्मुख है। दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय एकीकरण को तेज गति देते हुए, पीएम मोदी ने समूह BBIN (बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल) की शुरुआत की, जो सड़क संपर्क, सीमाओं को कागज रहित बनाने और क्षेत्र में अन्य संपर्क परियोजनाओं में सहयोग बढ़ाने में भूमिका निभा रहा है। भारत के आर्थिक और सुरक्षा हितों को हासिल करने के लिए मोदी बहु-संरेखण (multialignment) पर अधिक भरोसा करते हैं। QUAD के अलावा भारत और अमेरिका, इज़राइल और UAE ने एक चतुर्भुज संरेखण I2U2 (भारत, इज़राइल, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका) का गठन किया।

COVID-19 महामारी के दौरान भारत ने एक विश्वनेता के जिम्मेदारी का प्रदर्शन किया। अपनी ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल के माध्यम से इसने 150 देशों को चिकित्सा सहायता और टीके प्रदान किए। संयुक्त राष्ट्र के पूर्व अवर महासचिव और कांग्रेस नेता श्री शशि थरूर ने वैक्सीन कूटनीति पर कहा, “भारत ने दुनिया के सबसे गरीब देशों में टीके को आसानी से उपलब्ध कराके अपनी वैश्विक स्थिति को मजबूत किया है। यह प्रयास एक दिन भारत को एक वैश्विक शक्ति के रूप में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की सीट के साथ मान्यता प्राप्त कराने में मदद कर सकता है।

अंतरराष्ट्रीय संगठनों में पीएम मोदी की कूटनीति की महत्वपूर्ण विशेषताओं में है उत्तर-भौतिकता के मुद्दों को अधिक मुखरता से पेश करना है।

मोदी सरकार ने 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में मान्यता देने का विचार प्रस्तावित किया। 175 सदस्य देशों के समर्थन से भारत ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित करते हुए UNGA में प्रस्ताव पेश किया। यह UNGA के किसी भी प्रस्ताव के लिए अब तक की सबसे बड़ी संख्या थी।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया। भारत मिलेट का सबसे बड़ा उत्पादक है। कई स्वास्थ्य लाभों के अलावा, बाजरा को कम पानी की आवश्यकता होती है इसलिए यह पर्यावरण के लिए भी अच्छा होता है।

जलवायु परिवर्तन सम्मेलनों में भारत वैश्विक एजेंडा निर्धारित करने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। ‘वन अर्थ, वन हेल्थ’ के विजन के माध्यम से श्री मोदी ने सभी देशों से स्थायी जीवन शैली अपनाने का आग्रह किया।

अंतरराष्ट्रीय सौर संगठन जैसे पहल और 2022 तक भारत में सभी एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक को खत्म करने की मोदी की अभूतपूर्व प्रतिज्ञा के लिए प्रधानमंत्री मोदी को संयुक्त राष्ट्र के सर्वोच्च सम्मान, ‘चैंपियंस ऑफ द अर्थ अवार्ड’ से सम्मानित किया गया।

जी20 की अध्यक्षता से पता चलता है कि भारत का बहुपक्षीय दृष्टिकोण समय के अनुसार और नेतृत्व की प्राथमिकताओं में बदलाव के जवाब में विकसित हुआ है। G20 शिखर सम्मेलन में भारत का नेतृत्व संरक्षणवादी प्रवृत्तियों से बचाने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए है कि ग्लोबल साउथ की विकास संभावनाओं को नुकसान न पहुंचे, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली अधिक समावेशिता हो। दुनिया के बहुपक्षीय मंचों में भारत मुखर भागीदारी और ग्लोबल कॉमन के मुद्दों के समाधान के लिए प्रधानमंत्री दृष्टिकोण से पता चलता है कि भारत एक बड़ी वैश्विक भूमिका निभाने के लिए तैयार है।