2017-18 की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.7 फीसदी

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सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में देश की आर्थिक वृद्धि दर पिछली सात तिमाहियों में सर्वाधिक 7.7 प्रतिशत पर पहुंच गई। दरअसल, केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में वर्ष 2011-12 के मूल्यों पर जीडीपी वृद्धि दर 7.7 प्रतिशत आंकी, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 की प्रथम तीन तिमाहियों यथा पहली, दूसरी और तीसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर क्रमश: 5.6, 6.3 तथा 7.0 प्रतिशत रही। कृषि (4.5 प्रतिशत), विनिर्माण (9.1 प्रतिशत) और निर्माण (11.5 प्रतिशत) क्षेत्रों के उल्लेखनीय योगदान से ही यह शानदार प्रदर्शन संभव हो पाया।

वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में क्षेत्रवार स्तर पर कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों, उद्योग और सेवा क्षेत्रों के लिए स्थिर (2011-12) मूल्यों पर जीवीए वृद्धि दर क्रमश: 4.5, 8.8 और 7.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया। वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में पूंजीगत सामान की 9.0 प्रतिशत की वृद्धि दर की बदौलत स्थिर मूल्यों पर सकल स्थायी पूंजी निर्माण की वृद्धि दर चौथी तिमाही में बढ़कर 14.4 प्रतिशत हो गई, जबकि पहली, दूसरी और तीसरी तिमाहियों में यह वृद्धि दर क्रमश: 0.8, 6.1 तथा 9.1 प्रतिशत थी।

राष्ट्रीय आय के अनंतिम अनुमानों के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 के लिए स्थिर (2011-12) मूल्यों पर जीडीपी वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। वित्त वर्ष 2017-18 में क्षेत्रवार स्तर पर कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों, उद्योग और सेवा क्षेत्रों के लिए स्थिर (2011-12) मूल्यों पर जीवीए वृद्धि दर क्रमश: 3.4, 5.5 और 7.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया ।

स्थिर (2011-12) और वर्तमान मूल्यों पर वित्त वर्ष 2017-18 की पहली, दूसरी, तीसरी और चौथी तिमाही की जीडीपी वृद्धि दरों का भी उल्लेख निम्न है:

जीडीपी वृद्धि दरें

.                                                          स्थिर मूल्य(2011-12)         वर्तमान मूल्य

.वार्षिक 2017 -18                                        6.7                                        10.0

.पहली तिमाही, 2017-18 (अप्रैल-जून)         5.6                                        8.3

.दूसरी तिमाही, 2017-18 (जुलाई-सितंबर)   6.3                                       9.5

.तीसरी तिमाही, 2017-18 (अक्टूबर-दिसंबर) 7.0                                   11.0

.चौथी तिमाही, 2017-18 (जनवरी-मार्च) 7.7 10.9

वर्ष 2017-18 में स्थिर (2011-12) मूल्यों पर वास्तविक जीडीपी अथवा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बढ़कर 130.11 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान लगाया गया, जबकि वर्ष 2016-17 के लिए प्रथम संशोधित अनुमानों में यह 121.96 लाख करोड़ रुपये आंका गया था। यह 6.7 प्रतिशत की वृद्धि दर को दर्शाता है।
बुनियादी मूल्यों पर सकल मूल्य वर्द्धित (जीवीए)

वर्ष 2017-18 में बुनियादी स्थिर मूल्यों (2011-12) पर वास्तविक जीवीए बढ़कर 119.76 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान लगाया गया, जो वर्ष 2016-17 के प्रथम संशोधित अनुमानों में 112.48 लाख करोड़ रुपये था। यह 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर को दर्शाता है।

जिन क्षेत्रों ने 7.0 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि दर दर्ज की है उनमें ‘लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्य सेवाएं (10.0 प्रतिशत)’, ‘व्यापार, होटल, परिवहन, संचार एवं प्रसारण से जुड़ी सेवाएं (8.0 प्रतिशत)’ और ‘विद्युत, गैस, जलापूर्ति एवं अन्य उपयोगी सेवाएं (7.2 प्रतिशत)’ शामिल हैं। ‘कृषि, वानिकी एवं मत्यपालन’, ‘खनन एवं उत्खनन’, ‘विनिर्माण’, ‘निर्माण’ और ‘वित्तीय, अचल संपत्ति एवं प्रोफेशनल सेवाओं’ की वृद्धि दर क्रमश: 3.4, 2.9, 5.7, 5.7 और 6.6 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया।

सकल राष्ट्रीय आय

वर्ष 2017-18 के दौरान वर्ष 2011-12 के मूल्यों पर सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) 128.64 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया, जबकि पिछले वर्ष के दौरान यह अनुमानित 120.52 लाख करोड़ रुपये थी। वृद्धि दरों की दृष्टि से वर्ष 2017-18 के दौरान सकल राष्ट्रीय आय में 6.7 फीसदी की वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया, जबकि वर्ष 2016-17 के दौरान वृद्धि दर 7.1 फीसदी थी।

प्रति व्यक्ति आय

वर्ष 2017-18 के दौरान सही अर्थों में (2011-12 के मूल्यों पर) प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 86,668 रुपये के स्तर पर पहुंच जाने की संभावना है, जो वर्ष 2016-17 में 82229 रुपये थी। वर्ष 2017-18 के दौरान प्रति व्यक्ति आय की वृद्धि दर 5.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया, जो पिछले वर्ष 5.7 फीसदी थी।