ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे एवं दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के फेज़-1 का शुभारंभ

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प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 27 मई को दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दो नवनिर्मित एक्सप्रेसवे देश के नाम समर्पित किये। इनमें से पहला निज़ामुद्दीन सेतु से दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा तक विस्तृत 14 लेन वाले अभिगम नियंत्रित दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे का प्रथम चरण है। राष्ट्रीय राजमार्ग का 8.360 किमी का यह हिस्सा लगभग 841.50 करोड़ रुपये की लागत से 30 महीनों की अपेक्षित निर्माण अवधि के मुकाबले 18 महीनों के रिकॉर्ड समय में तैयार किया गया। इसमें 6 लेन का एक्सप्रेसवे और 4प्लस4 की सर्विस लेन शामिल है। इस परियोजना का शिलान्यास माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 31.12.2015 को किया गया था।

दरअसल, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे परियोजना का लक्ष्य दिल्ली एवं मेरठ के बीच तथा इससे और आगे, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के साथ तेज एवं सुरक्षित संपर्क उपलब्ध कराना है। परियोजना की कुल लंबाई 82 किमी है, जिसमें से प्रारंभ की 27.74 किमी की लंबाई 14 लेन होगी, जबकि शेष 6 लेन का एक्सप्रेसवे होगा। इस परियोजना पर 4975.17 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। यह ऐसा पहला एक्सप्रेसवे होगा, जिसमें दिल्ली एवं डासना के बीच लगभग 28 किमी के खंड पर समर्पित साईकिल ट्रैक होगा। इस परियोजना में 11 फ्लाईओवरों/इंटरचेंज, 5 बड़े एवं छोटे पुल, तीन रेल ओवरब्रिज, 36 वाहनों के लिए तथा 14 पैदल यात्रियों के लिए अंडरपास होंगे। पूरी परियोजना के संपन्न हो जाने के बाद दिल्ली से मेरठ जाने में केवल 60 मिनट लगेंगे।

ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे

देश के नाम समर्पित दूसरी परियोजना राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 1 पर कुंडली से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 2 पर पलवल तक विस्तृत 135 किलोमीटर लंबा ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (ईपीई) है। गौरतलब है कि वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (डब्ल्यूपीई) एवं ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (ईपीई) से निर्मित दिल्ली के चारों ओर पेरिफेरल एक्सप्रेसवे की परियोजना की परिकल्पना- ऐसे ट्रैफिक को डायवर्ट करके जिनका गंतव्य दिल्ली नहीं हैं; राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को भीड़भाड़ एवं प्रदूषण से बचाने के लिए की गई है।

ईपीई के लिए लगभग 5900 करोड रुपये की लागत से कुल 1700 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया। परियोजना की निर्माण लागत लगभग 4617.87 करोड़ रुपये है। एक्सप्रेसवे लगभग 500 दिनों के रिकॉर्ड समय में तैयार किया गया, जबकि निर्धारित लक्ष्य 910 दिनों का था। एक्सप्रेसवे में 4 बड़े पुल, 46 छोटे पुल, तीन फ्लाईओवर, 7 इंटरचेंज, 221 अंडरपास, 8 आरओबी एवं 114 पुलिया (कल्वर्ट) हैं। इस परियोजना ने लगभग 50 लाख मानव दिवसों के लिए रोजगार की संभावनाएं सृजित की हैं।

यह देश का ऐसा पहला एक्सप्रेसवे है जिसमें पूरी 135 किमी की लंबाई में सौर बिजली का उपयोग किया गया है। अंडरपासों को रौशन रखने वॉटरिंग प्लांटों के लिए सौर पंपों के परिचालन के लिए इस एक्सप्रेसवे पर 4000 किलोवॉट (4 मेगावॉट) की क्षमता के आठ सौर बिजली संयंत्र हैं। ईपीई पर प्रत्येक 500 मीटर पर वर्षा जल संचयन का प्रावधान किया गया है तथा पूरे ईपीई पर ड्रिप सिंचाई भी है। भारतीय संस्कृति एवं विरासत को प्रदर्शित करती स्मारकों की 36 प्रतिकृतियां भी हैं।

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के शुभारंभ के बाद प्रधानमंत्री ने राजमार्ग के परीक्षण के लिये कुछ किलोमीटर तक खुली जीप में यात्रा की, इस अवसर पर बागपत में जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे का समूचा प्रसार जल्द ही पूर्ण कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे दिल्ली में यातायात की भीड़भाड़ कम करने में मददगार होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों के जीनव स्तर को उन्नत बनाने में आधुनिक अवसंरचना की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने सड़कों, रेलवे, जलमार्गों इत्यादि समेत ढांचागत व्यवस्था के निर्माण में उठाये जा रहे कदमों का उल्लेख किया। साथ ही, सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने अवसंरचना विकास की गति में वृद्धि की भी चर्चा की।