प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 30 जुलाई को अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के दौरान कहा कि जीएसटी के लागू हुए क़रीब एक महीना हुआ है और उसके फ़ायदे दिखने लगे हैं और मुझे बहुत संतोष होता है, खुशी होती है, जब कोई ग़रीब मुझे चिट्ठी लिख करके कहता है कि जीएसटी के कारण एक ग़रीब की ज़रुरत की चीज़ों में कैसे दाम कम हुए हैं, चीज़ें कैसे सस्ती हुई हैं।
उन्होंने कहा कि अगर नार्थ-ईस्ट, दूर-सुदूर पहाड़ों में, जंगलों में रहने वाला कोई व्यक्ति चिट्ठी लिखता है कि शुरू में डर लगता था कि पता नहीं क्या है; लेकिन अब जब मैं उसमें सीखने-समझने लगा, तो मुझे लगता है, पहले से ज़्यादा आसान हो गया काम। व्यापार और आसान हो गया और सबसे बड़ी बात है, ग्राहकों का व्यापारी के प्रति भरोसा बढ़ने लगा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अभी मैं देख रहा था कि ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक सेक्टर पर कैसे जीएसटी का प्रभाव पड़ा? कैसे अब ट्रकों की आवाजाही बढ़ी है! दूरी तय करने में समय कैसे कम हो रहा है ! हाईवे बाधा मुक्त हुए हैं। ट्रकों की गति बढ़ने के कारण प्रदूषण भी कम हुआ है। सामान भी बहुत जल्दी से पहुंच रहा है। ये सुविधा तो है ही, लेकिन साथ-साथ आर्थिक गति को भी इससे बल मिलता है।
उन्होंने कहा कि पहले अलग-अलग कर संरचना होने के कारण ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक सेक्टर का अधिकतम संसाधन पेपरवर्क मेन्टेन करने में लगता था और उसको हर राज्य के अन्दर अपने नये-नये वेयरहाउस बनाने पड़ते थे। जीएसटी-जिसे मैं गुड एंड सिंपल टैक्स कहता हूं, सचमुच में उसने हमारी अर्थव्यवस्था पर एक बहुत ही सकारात्मक प्रभाव और बहुत ही कम समय में उत्पन्न किया है। जिस तेज़ी से स्मूथ ट्रांज़िशन हुआ है, जिस तेज़ी से माइग्रेशन हुआ है, नये पंजीकरण हुए हैं, इसने पूरे देश में एक नया विश्वास पैदा किया है।
श्री मोदी ने कहा कि कभी-न-कभी अर्थव्यवस्था के पंडित, प्रबंधन के पंडित, तकनीक के पंडित, भारत के जीएसटी के प्रयोग को विश्व के सामने एक मॉडल के रूप में शोध करके ज़रूर लिखेंगे। दुनिया की कई यूनिवर्सिटियों के लिए एक केस स्टडी बनेगा। क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर इतना बड़ा परिवर्तन और इतने करोड़ों लोगों की भागीदारी के साथ इतने बड़े विशाल देश में उसको लागू करना और सफलतापूर्वक आगे बढ़ना, ये अपने-आप में सफलता की एक बहुत बड़ी ऊंचाई है। विश्व ज़रूर इस पर अध्ययन करेगा और जीएसटी लागू किया है, सभी राज्यों की उसमें भागीदारी है, सभी राज्यों की ज़िम्मेवारी भी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सारे निर्णय राज्यों ने और केंद्र ने मिलकर के सर्वसम्मति से किए हैं और उसी का परिणाम है कि हर सरकार की एक ही प्राथमिकता रही कि जीएसटी के कारण ग़रीब की थाली पर कोई बोझ न पड़े और जीएसटी एप्प पर आप भली-भांति जान सकते हैं कि जीएसटी के पहले जिस चीज़ का जितना दाम था, तो नई परिस्थिति में कितना दाम होगा, वो सारा आपके मोबाइल फोन पर उपलब्ध है। ‘एक राष्ट्र-एक कर’, कितना बड़ा सपना पूरा हुआ।
श्री मोदी ने कहा कि जीएसटी के मसले को मैंने देखा है कि जिस प्रकार से तहसील से ले करके भारत सरकार तक बैठे हुए सरकार के अधिकारियों ने जो परिश्रम किया है, जिस समर्पण भाव से काम किया है, एक प्रकार से जो अनुकूल माहौल बना सरकार और व्यापारियों के बीच, सरकार और ग्राहकों के बीच, उसने विश्वास को बढ़ाने में बहुत बड़ी भूमिका अदा की है। मैं इस कार्य से लगे हुए सभी मंत्रालयों को, सभी विभागों को, केंद्र और राज्य सरकार के सभी मुलाज़िमों को ह्दय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
उन्होंने कहा कि जीएसटी भारत की सामूहिक शक्ति की सफलता का एक उत्तम उदाहरण है। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है और ये सिर्फ कर सुधार नहीं है, एक नयी ईमानदारी की संस्कृति को बल प्रदान करने वाली अर्थव्यवस्था है। एक प्रकार से एक सामाजिक सुधार का भी अभियान है। मैं फिर एक बार सरलतापूर्वक इतने बड़े प्रयास को सफल बनाने के लिए कोटि-कोटि देशवासियों को कोटि-कोटि वंदन करता हूं।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगस्त महीना क्रांति का महीना होता है। सहज रूप से ये बात हम बचपन से सुनते आए हैं और उसका कारण है, 1 अगस्त, 1920 – ‘असहयोग आन्दोलन’ प्रारंभ हुआ। 9 अगस्त, 1942 – ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ प्रारंभ हुआ, जिसे ‘अगस्त क्रांति’ के रूप में जाना जाता है और 15 अगस्त, 1947 – देश आज़ाद हुआ। एक प्रकार से अगस्त महीने में अनेक घटनायें आज़ादी की तवारीख़ के साथ विशेष रूप से जुड़ी हुई हैं।
श्री मोदी ने कहा कि इस वर्ष हम ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ की 75वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं, लेकिन बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि ‘भारत छोड़ो’-ये नारा डॉ. यूसुफ़ मेहर अली ने दिया था। हमारी नयी पीढ़ी को जानना चाहिए कि 9 अगस्त, 1942 को क्या हुआ था? 1857 से 1942 तक जो आज़ादी की ललक के साथ देशवासी जुड़ते रहे, जूझते रहे, झेलते रहे, इतिहास के पन्ने भव्य भारत के निर्माण के लिए हमारी प्रेरणा हैं। हमारे आज़ादी के वीरों ने त्याग, तपस्या, बलिदान दिए हैं, उससे बड़ी प्रेरणा क्या हो सकती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन का एक महत्वपूर्ण संघर्ष था। इसी आन्दोलन ने ब्रिटिश-राज से मुक्ति के लिये पूरे देश को संकल्पित कर दिया था। ये वो समय था, जब अंग्रेज़ी सत्ता के विरोध में भारतीय जनमानस हिंदुस्तान के हर कोने में, गांव हो, शहर हो, पढ़ा हो, अनपढ़ हो, ग़रीब हो, अमीर हो, हर कोई कंधे-से-कंधा मिला करके ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ का हिस्सा बन गया था।
श्री मोदी ने कहा कि 1947 में हम आज़ाद हुए। आज 2017 है। क़रीब 70 साल हो गए। सरकारें आईं-गईं। व्यवस्थायें बनीं, बदलीं, पनपीं, बढ़ीं। देश को समस्याओं से मुक्त कराने के लिये हर किसी ने अपने-अपने तरीक़े से प्रयास किए। देश में रोज़गार बढ़ाने के लिये, ग़रीबी हटाने के लिये, विकास करने के लिये प्रयास हुए। अपने-अपने तरीक़े से परिश्रम भी हुआ। सफलतायें भी मिलीं। अपेक्षायें भी जगीं। जैसे 1942 to 1947 संकल्प से सिद्धि के एक निर्णायक पांच वर्ष थे। मैं देख रहा हूं कि 2017 से 2022 – संकल्प से सिद्धि के और एक पांच साल का तबका हमारे सामने आया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस 2017 के 15 अगस्त को हम संकल्प पर्व के रूप में मनाएं और 2022 में आज़ादी के जब 75 साल होंगे, तब हम उस संकल्प को सिद्धि में परिणत करके ही रहेंगे। अगर सवा-सौ करोड़ देशवासी 9 अगस्त, क्रांति दिवस को याद करके, इस 15 अगस्त को हर भारतवासी संकल्प करे, व्यक्ति के रूप में, नागरिक के रूप में – मैं देश के लिए इतना करके रहूंगा, परिवार के रूप में ये करूंगा, समाज के रूप में ये करूंगा, गांव और शहर के रूप में ये करूंगा, सरकारी विभाग के रूप में ये करूंगा, सरकार के नाते ये करूंगा। करोड़ों-करोड़ों संकल्प हों। करोड़ों-करोड़ों संकल्प को परिपूर्ण करने के प्रयास हों। तो जैसे 1942 to 1947 पांच साल देश को आज़ादी के लिए निर्णायक बन गए, ये पांच साल 2017 से 2022 के, भारत के भविष्य के लिए भी निर्णायक बन सकते हैं और बनाने हैं।
श्री मोदी ने कहा कि पांच साल बाद देश की आज़ादी के 75 साल मनाएंगे। तब हम सब लोगों को दृढ़ संकल्प लेना है आज। 2017 हमारा संकल्प का वर्ष बनाना है। यही अगस्त मास संकल्प के साथ हमें जुड़ना है और हमें संकल्प करना है। गंदगी – भारत छोड़ो, ग़रीबी – भारत छोड़ो, भ्रष्टाचार – भारत छोड़ो, आतंकवाद – भारत छोड़ो, जातिवाद – भारत छोड़ो, सम्प्रदायवाद – भारत छोड़ो। आज आवश्यकता ‘करेंगे या मरेंगे’ की नहीं, बल्कि नये भारत के संकल्प के साथ जुड़ने की है, जुटने की है, जी-जान से सफलता पाने के लिये पुरुषार्थ करने की है। संकल्प को लेकर के जीना है, जूझना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आइए, इस अगस्त महीने में 9 अगस्त से संकल्प से सिद्धि का एक महाभियान चलाएं। प्रत्येक भारतवासी, सामाजिक संस्थायें, स्थानीय निकाय की इकाइयां, स्कूल, कॉलेज, अलग-अलग संगठन – हर एक नए भारत के लिए कुछ-न-कुछ संकल्प लें। एक ऐसा संकल्प, जिसे अगले 5 वर्षों में हम सिद्ध करके दिखाएंगे। युवा संगठन, छात्र संगठन, NGO आदि सामूहिक चर्चा का आयोजन कर सकते हैं। नये-नये विचार उजागर कर सकते हैं। एक राष्ट्र के रूप में हमें कहां पहुंचना है? एक व्यक्ति के नाते उसमें मेरा क्या योगदान हो सकता है? आइए, इस संकल्प के पर्व पर हम जुड़ें।