मोदी सरकार ने परिवर्तन के लिए कैसे आवश्यक चुनौतियों पर विजय प्राप्त की है

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निर्मला सीतारमण

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अक्सर कहते हैं, हम यहां सत्ता का आनंद लेने नहीं आए हैं, बल्कि शासन के महत्वपूर्ण अंगों में बुनियादी बदलाव लाने आए हैं। यह साबित करने के लिए नौ साल का समय काफी है कि वह अपनी बात पर खरे उतरे हैं।

एक रिकॉर्ड समय में नयी संसद का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ, धारा 370 को निरस्त किया गया, कोविड के बावजूद अर्थव्यवस्था को दुनिया के शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं के बीच स्थापित किया गया, सार्वजनिक स्वामित्व वाले 10 बैंकों को मिलाकर चार बैंक बनाकर उन्हें दुरुस्त किया गया, माल और सेवा कर (जीएसटी) लागू की गई, दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, एक महीने में छह अरब भुगतान लेनदेन देने वाली डिजिटल अवसंरचना, 74 हवाई अड्डों का निर्माण और संचालन, छह विलंबित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की पूर्ण किया गया (एक पांच दशकों से अधिक लटकी हई), 1,400 पुराने कानूनों को निरस्त किया गया और 39,000 अनुपालन हटाया गया, सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए स्थायी आयोग, अब तक का सबसे अधिक रक्षा निर्यात, अक्षय ऊर्जा का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक बनना – ये हमारे शासन के दौरान लाये गये मूलभूत परिवर्तनों के कुछ परिणाम हैं।

जिस तरह से सरकारें चलाई जा रही थीं, उसमें मूलभूत परिवर्तन की आवश्यकता कोई मुहावरा तक सीमित नहीं था। सुस्ती, शासन में गतिरोध, गहरी जड़ें जमा चुके थे और मैं कह सकती हूं कि यह अस्थिर सरकारों या वंशवादी शासन का परिणाम है। यह माना जाना चाहिए कि पहले भी बदलावों के लिए प्रयास होते रहे हैं। हालांकि, उनमें बहुत अधिक प्रगति नहीं हुई। प्रधानमंत्री मोदी की राजनीतिक इच्छाशक्ति और स्थिरता, दृष्टिकोंण, निर्धारित लक्ष्यों के लिए अथक प्रयास और राष्ट्र को स्वयं से ऊपर

एक रिकॉर्ड समय में नयी संसद का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ, धारा 370 को निरस्त किया गया, कोविड के बावजूद अर्थव्यवस्था को दुनिया के शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं के बीच स्थापित किया गया

रखने के अब परिणाम मिल रहे हैं। दुर्भाग्य से संसद में विपक्ष की भूमिका सकारात्मक नहीं रही है। सदन में बहस और चर्चा के बजाय अदालतों में याचिका दायर करके व्यवधान और देरी करना अधिक हुआ है। जीएसटी, अनुच्छेद 370, टीकाकरण, तीन तलाक, सेंट्रल विस्टा सहित 15 से अधिक मामलों में जोरदार बहस की गई, लेकिन, उनमें से हर एक में केवल उनकी हार हुई है। इनमें से प्रत्येक मामले को लेकर यदि अदालतों में बिताए गए समय को भी जोड़ लें, तो शायद हमने नौ साल से भी कम समय में वंछित परिणाम दिए हैं।

यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि नौ वर्षों में से तीन वर्षों में ऐसी चुनौतियां सामने आयी जो हमारे नियंत्रण से बाहर थीं। महामारी और इसकी दूसरी लहर, ईंधन और उर्वरक की कीमतों में उतार-चढ़ाव और यूक्रेन युद्ध का वैश्विक स्तर पर प्रभाव पड़ा है। हमारी बड़ी आबादी को रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करने के लिए समय पर उनके टीकाकरण की आवश्यकता थी। इसके बाद, समयानुसार हमनें नागरिकों के टीकाकरण को देखते हुए अपना पूरा ध्यान पर्याप्त संख्या में कोविड टीकों के निर्माण पर लगाया। भारत ने सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाया जिसमें 220 करोड़ टीके नि:शुल्क लगाए गए। एक ओर प्रधानमंत्री ने टीकों के तेजी से विकास और उत्पादन को दृढ़ता से समर्थन और प्रोत्साहित दिया, तो दूसरी आेर उनके पास एक अन्य संवेदनशील काम भी था। उन्होंने नागरिकों का उन पर जो भरोसा है, उसके आधार पर सभी नागरिकों से टीकाकरण करवाने का आग्रह किया। टीकाकरण के लिए तैयार नीति के अनुसार जब वह स्वयं पात्र बनें तो उन्होंने सार्वजनिक रूप से टीकाकरण करवाया। यह क्यों जरूरी था? क्योंकि, कुछ विपक्षी दलों ने संदेह जताकर नागरिकों में वैक्सीन को लेकर झिझक पैदा करने का प्रयास किया था।

नई संसद में अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री ने एक उदाहरण देते हुए बात कही: आम लोगों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए यदि सांसदों को एक नए सदन की आवश्यकता होती है, तो लोगों को रहने के लिए पक्के घर की आवश्यकता होती है। इन नौ सालों में 3.5 करोड़ से अधिक पक्के घर बनाए गए हैं। 11.72 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में 100 प्रतिशत संतृप्ति हासिल की गई है। 12 करोड़ परिवारों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया गया है।

अथक परिश्रम कर भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म कर, वादों को पूरा कर और लगातार उत्तरदायी रहकर ही प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों का विश्वास अर्जित किया है। मुसीबत में पड़े लोगों के साथ खड़े रहकर भी भरोसा कमाया जाता है। कोविड के दौरान दुनिया के विभिन्न हिस्सों में फंसे 2.97 करोड़ भारतीयों को सुरक्षित घर वापस लाया गया। इसी तरह, 20,000 से अधिक भारतीय जो संकटग्रस्त देशों में फंसे हुए थे, उन्हें वापस लाया गया।

हमारे युवाओं को दिया गया प्रोत्साहन और समर्थन विभिन्न वैश्विक आयोजनों के माध्यम से आये परिणामों में दिख रहा है। निर्मित और चल रहे उच्च शिक्षण संस्थानों की संख्या चौंका देने वाली है: 700 मेडिकल कॉलेज, 15 एम्स, 69,000 से अधिक मेडिकल सीटें, 7 आईआईटी, 7 आईआईएम, 15 आईआईआईटी और 390 विश्वविद्यालय।

मछली उत्पादन जैसे कई क्षेत्रों में दक्षता में वृद्धि हुई है। उत्पादन स्तर को 59.14 लाख टन तक ले जाने में जहां 63 साल लगे थे, वहीं केवल नौ वर्षों में हमने 59.89 लाख टन उत्पादन को इसमें जोड़ा है और विश्व स्तर पर अब हम तीसरे स्थान पर हैं।

हम फल और सब्जी उत्पादन में चीन के बाद दूसरे स्थान पर हैं। हमारा डेयरी क्षेत्र जो आज आठ करोड़ से अधिक किसानों को रोजगार देता है, विश्व दूध उत्पादन में पहले स्थान पर है। भारत वैश्विक दूध उत्पादन में 22 प्रतिशत का योगदान दे रहा है। हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े शहद उत्पादक हैं। भारतीय पोल्ट्री क्षेत्र अंडा उत्पादन में विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है।

अपने पात्र लाभार्थियों के निर्धारित लाभों को सुनिश्चित करने के लिए चोरी को समाप्त करना एक जिम्मेदार सरकार का कर्तव्य है। करदाताओं के पैसे का दुरुपयोग रोकना होगा। इसको देखते हुए 3.99 करोड़ डुप्लीकेट/फर्जी राशन कार्ड और 4.11 करोड़ फर्जी एलपीजी कनेक्शन रद्द किए गए। इससे 2.73 लाख करोड़ रुपए (2021-22) से ज्यादा की बचत हुई है। इन नौ सालों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए कुल 29 लाख करोड़ से ज्यादा राशि ट्रांसफर की गयी है। महामारी के बाद से दो साल तक 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज और दाल दी गई, ताकि हमारे नागरिक भूखे न रहें।

राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों को व्यापक और उद्देश्यपरक देखना हमारी सरकार की पहचान है। वे दिन गए जब रक्षा मंत्री कहा करते थे कि बलों को बेहतर ढंग से सुसज्जित करने के लिए हमारे पास कोई संसाधन नहीं हैं। हमारी सीमावर्ती सड़कें और गांव अविकसित रह गए थे, क्योंकि हमें बताया गया था कि विकसित होने पर वे दुश्मन के काम आएंगे। अब, पीएम गति शक्ति और भास्कराचार्य नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस एप्लिकेशन एंड जियो इंफॉर्मेटिक्स (बीआईएसएजी-एन) संसाधन दक्षता और वास्तविक समय पर निगरानी कर रहे हैं।

महिला सशक्तीकरण में क्रांतिकारी बदलाव हो रहे हैं। पहली बार प्रति 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं हैं। मातृ मृत्यु दर घटकर 97 (2019-20) हो गई है। मुद्रा योजना के तहत 68 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं। सवेतन मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया है। जन औषधि केंद्रों ने 27 करोड़ से अधिक सैनिटरी पैड वितरित किये हैं। अब सैनिक स्कूलों में लड़कियों की भर्ती प्रक्रिया आरंभ की गयी है।

पिछले नौ साल भारत को उस निराशाजनक दलदल से बाहर निकालने के लिए समर्पित रहे, जिसमें इसे फेंका गया था। अगले 25 वर्षों में इंिडया@100 के लिए इसी तरह के समर्पित, भ्रष्टाचार मुक्त शासन की आवश्यकता है। नीतियों की स्थिरता और निरंतरता महत्वपूर्ण है। एक सेवक के रूप में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को वह स्थिरता दी है।

(लेखिका केंद्रीय वित्त मंत्री हैं)