सांस्कृतिक गौरव प्रतिष्ठा का महापर्व

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के 9 वर्ष पूर्ण हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी के लाखों कार्यकर्ता विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से ‘महा जनसंपर्क अभियान’ चलाकर इस महापर्व को मना रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी जनसभाओं, प्रतिष्ठित नागरिक संपर्क, प्रबुद्ध एवं व्यापारी सम्मेलन, लाभार्थी संपर्क एवं कार्यकर्ताओं की सक्रियता के लिए अनेक उपक्रम इस एक माह की अवधि में ले रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा के नेतृत्व में केन्द्रीय मंत्रिमंडल के सभी सदस्य, राष्ट्रीय एवं प्रदेश पदाधिकारी, प्रदेशों के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री सहित सभी सांसद, विधायक इस महा जनसम्पर्क अभियान की सफलता के लिए सक्रिय हैं।

9 वर्षों की कालावधि में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार की सफलताएं अतुलनीय हैं। गरीबों के कल्याण की अनेक योजनाएं, विकसित होता विश्वस्तरीय ढांचागत विकास, अंतर्बाह्य सुरक्षा, आर्थिक प्रगति एवं विश्व में भारत के सम्मान जैसे अनेक क्षेत्रों में सभी मंत्रालयों ने कीर्तिमान बनाया है। नई शिक्षा नीति को लागू करना, विदेशो में फंसे भारतीयों को सुरक्षित वापिस स्वदेश लाना जैसे सभी उपक्रमों ने प्रत्येक भारतीय के मस्तक को ऊंचा करने का कार्य किया है। आर्थिक प्रगति के आधार के साथ–साथ 9 वर्ष का यह कालखंड भारत के सांस्कृतिक गौरव की पुनर्प्रतिष्ठा के रूप में इतिहास में सदैव स्मरणीय रहेगा।

जब विदेशी आक्रान्ताओं ने भारत पर आक्रमण कर भारत को पददलित करने का घृणित कार्य किया था, आस्था एवं श्रद्धा के स्थानों को खंडित किया तब भारत की आत्मा चीत्कार कर उठी थी। ऐसे समय में भारत के स्वाभिमान को जागृत करने उसका सांस्कृतिक गौरव पुनः प्रतिष्ठित करने का महान कार्य 17 वीं शताब्दी में महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने किया था। भारत के सभी प्रसिद्ध तीर्थो पर मंदिर निर्माण, नदी किनारे घाट, यात्रियों के लिए कुएं एवं प्याऊ, मंदिरों में विद्वानों की नियुक्ति, शास्त्रों के अध्ययन की व्यवस्था आदि कार्य इस दिशा में उनकी अनुकरणीय पहल थी। भगवान केदारनाथ, काशी विश्वनाथ मंदिर जैसे अनेक स्थान आज भी उनकी गौरव गाथाएं कह रहे हैं। उसी प्रकार स्वतंत्रता के पश्चात गुजरात के सोमनाथ मंदिर के समान सभी गुलामी के प्रतीकों से भारत मुक्त होना चाहिए था, लेकिन तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के नाम पर भारतीय स्वाभिमान को कुचलने का कार्य ही चलता रहा। हिन्दू स्वाभिमान को कुचलना एवं अल्पसंख्यक तुष्टीकरण ही धर्मनिरपेक्षता की पहचान बन गया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पक्षपात रहित विकास के साथ–साथ भारत के सांस्कृतिक गौरव को भी पुनर्प्रतिष्ठित करने का महान कार्य किया है जो कि 17 वीं शताब्दी के बाद इतिहास में महारानी अहिल्याबाई के समान है। उनका नाम भी गौरव के साथ लिया जायेगा।

अयोध्या में प्रभु श्रीराम का मंदिर अपने भव्य स्वरूप में बनकर तैयार हो रहा है। शीघ्र ही प्रभु श्रीराम के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा वहां होगी। केवल मंदिर ही नहीं समस्त अयोध्या ही सम्पूर्ण विश्व के लिए पवित्र एवं दर्शनीय हो रही है। भगवान् विश्वनाथ की नगरी में काशीनाथ लोक अपनी भव्यता का वर्णन कर रहा है। मंदिर प्रांगण से मां गंगा के भव्य दृश्य का अवलोकन मनमोहक हो गया है। हिमालय स्थित केदारपुरी के दर्शन जीवन की सत्यता का आभास कराते हैं। जगद्गुरु शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा देश की एकात्मता का दर्शन कराती है। वहां पर ध्यानस्थ प्रधानमंत्री जी की गुफा पवित्र स्थल हो गयी है। उज्जैन स्थित महाकाल लोक ने तीर्थ यात्रियों के समस्त पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त करके अपनी भव्यता का नया कीर्तिमान बनाया है।

आदि जगद्गुरु शंकराचार्य जी द्वारा स्थापित 2400 वर्ष पुराना शारदा पीठ जो नियंत्रण रेखा के निकट कुपवाड़ा जिले में स्थित है, वहां 70 वर्षों के बाद मां शारदा मंदिर के कपाट खुलकर पूजा प्रारंभ हो गई है। गुजरात के पावागढ़ में स्थित महाकाली मंदिर में 500 वर्षों बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने धर्म ध्वजा को लहराया। कावड़ यात्रा पर पुष्प वर्षा, कुम्भ मेले की भव्यता, अमरनाथ यात्रा की सुरक्षितता सभी तीर्थ यात्रियों में विश्वास का निर्माण कर रहे हैं। शंकराचार्य जी की स्मृति में मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर का अद्वैत केंद्र भव्य आकार लेने की ओर अग्रसर है।

अपने वैश्विक प्रवास में भी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जापान के तोजी बौद्ध मंदिर, किनकाकु मंदिर, मॉरीशस के शिव मंदिर, लंका के नागुलेश्वम मंदिर, महाबोधि मंदिर, कनाडा के प्रसिद्ध लक्ष्मी नारायण मंदिर, गुरुद्वारा खालसा दीवान, बांग्लादेश के दक्षिणेश्वर मंदिर, म्यामार के आनंद मंदिर, नेपाल में पशुपतिनाथ में चन्दन की लकड़ी का भेंट एवं जनकपुर में जगत्जननी मां सीता के मंदिर के दर्शन, ओमान एवं मस्कट के प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन किए। दुबई में मंदिर निर्माण को उन्होंने दो देशों के मध्य सद्भाव सेतु का कार्य करने वाला बताया। अफगानिस्तान से पवित्र गुरु ग्रन्थ साहिब की सुरक्षित वापसी के प्रयासों ने विश्व भर में फैले सिख समाज में अपने सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति गहरी आस्था व्यक्त की है। विश्व भर से आए राजनयिकों को कर्म की प्रेरणा देने वाली गीता देकर स्वागत सराहनीय प्रयास है।
प्रधानमंत्री जी द्वारा भगवान् बिरसा मुंडा के जन्मदिवस पर जनजाति गौरव दिवस की घोषणा, महान संत कबीरदास जी पुण्य स्थली का दर्शन, संत रविदास जी के मंदिर में पूजा-अर्चना, पवित्र गुरुद्वारे में मत्था टेकना एवं लंगर वितरण, पंढरपुर में भक्त वेश में उपस्थिति, भगवान् महात्मा बुद्ध, महान संत शंकरदेव का पुण्य स्मरण जैसे अनेक प्रयास, देश, धर्म, संस्कृति एवं समाज सुधार के लिए अपना जीवन लगाने वाले महापुरुषों के प्रति सहज ही समाज को प्रेरणा देते हैं।

सम्पूर्ण विश्व के कल्याण के लिए देने योग्य अमूल्य धरोहर योग एवं आयुर्वेद की पुनर्प्रतिष्ठा के लिए भी उनके प्रयास सराहनीय है। योग आज सम्पूर्ण विश्व के लिए आकर्षण का विषय है। स्वस्थ एवं संयमित जीवन का आधार योग बना है। 21 जून योग दिवस सम्पूर्ण विश्व में प्रतिष्ठित हुआ है। एक अनुमान के अनुसार विश्वभर में 30 करोड़ लोग अब योग का अभ्यास करते हैं। वेलनेस एवं फिटनेस सेक्टर में आई तेजी का कारण भी योग ही है। गंगा की पवित्रता के प्रयासों के प्रति सक्रियता, जापान के प्रधानमंत्री जी द्वारा मां गंगा की आरती ने सभी गंगा प्रेमियों को गंगा सहित सभी नदियों की स्वच्छता एवं जल के प्रति पवित्र दृष्टि प्रदान की है। भारत की पवित्र नदी गंगा की सेहत सुधारने के उद्देश्य वाली परियोजना दुनियाभर की उन 10 बड़ी महत्वपूर्ण पहलों में से एक है, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने प्राकृतिक दुनिया को बहाल करने में उनकी भूमिका के लिए पहचाना है। आयुर्वेद का बजट बढ़ाकर आयुर्वेद की वृद्धि के प्रयास हो रहे हैं। अब हमारा आयुष मंत्रालय का बजट 3050 रुपए करोड़ है। विश्व के आठ देशों में 50 से अधिक आयुर्वेदिक उत्पाद रजिस्टर्ड हुए हैं। दुनिया का डब्ल्यू. एच.ओ. द्वारा मान्यता प्राप्त पहला केंद्र डब्ल्यू.एच.ओ. ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन जामनगर गुजरात में प्रारंभ हुआ है।

भारत से चोरी करके ले जायी गयी भारतीय स्वाभिमान की प्रतीक भारतीय धरोहर को वापसी लाने का प्रयास भी उल्लेखनीय हैं। 1976 से 2013 तक कुल 13 वस्तुएं वापिस आयी थीं, जबकि 2014 के उपरांत अब तक 235 भारतीय धरोहर की प्रतीक वस्तुओं की वापसी हुई है। यह विश्व भर में बढ़ते भारत के प्रभाव का लक्षण है। सेंगोल की संसद में प्रतिष्ठा ने प्राचीन परंपरा को पुनर्जीवित किया है।

हम हमारी संस्कृति के माध्यम से दुनिया को भोग रहित त्याग केन्द्रित जीवन शैली, संघर्ष के स्थान पर समन्वय, घृणा के स्थान पर प्रेम, सहकार एवं सहिष्णुता जैसे गुण दे सकते हैं। स्वामी विवेकानंद के अमेरिकी भाषणों एवं समस्त आध्यात्मिक संतों के प्रवचन का सार भी यही है। प्रधानमंत्री मोदी जी के द्वारा किया गया सांस्कृतिक जागरण का यह प्रयास इस दिशा में एक अनुकरणीय सार्थक पहल है। जिसने प्रत्येक भारतीय को गौरवान्वित किया है।

     (लेखक भाजपा के राष्ट्रीय सह महामंत्री (संगठन) हैं)