भारत पिछले सात साल में 200 से ज्यादा बहुमूल्य प्रतिमाओं को वापस ला चुका है : नरेन्द्र मोदी

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इस महीने की शुरुआत में भारत इटली से अपनी एक बहुमूल्य धरोहर को लाने में सफल हुआ है। यह धरोहर है— अवलोकितेश्वर पद्मपाणि की हजार साल से भी ज्यादा पुरानी प्रतिमा

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 27 फरवरी को अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के दौरान देश की चोरी हुई बहुमूल्य धरोहर को विदेशों से वापस लाने, मातृभाषा का महत्व, देश के विकास में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी समेत अनेक विषयों पर चर्चा की।

प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ की 86वीं कड़ी में कहा कि इस महीने की शुरुआत में भारत इटली से अपनी एक बहुमूल्य धरोहर को लाने में सफल हुआ है। यह धरोहर है— अवलोकितेश्वर पद्मपाणि की हजार साल से भी ज्यादा पुरानी प्रतिमा। यह मूर्ति कुछ वर्ष पहले बिहार में गया जी के देवी स्थान कुंडलपुर मंदिर से चोरी हो गई थी, लेकिन अनेक प्रयासों के बाद अब भारत को ये प्रतिमा वापस मिल गई है।
श्री मोदी ने कहा कि ऐसे ही कुछ वर्ष पहले तमिलनाडु के वेल्लूर से भगवान आंजनेय्यर, हनुमान जी की प्रतिमा चोरी हो गई थी। हनुमान जी की ये मूर्ति भी 600-700 साल पुरानी थी। इस महीने की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया में हमें ये प्राप्त हुई, हमारे मिशन को मिल चुकी है।

‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत देश में महिलाओं को खुले में शौच से मुक्ति मिली है। ट्रिपल तलाक जैसे सामाजिक बुराई का अंत भी हो रहा है। जब से ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून आया है, देश में तीन तलाक के मामलों में 80 प्रतिशत की कमी आई है

उन्होंने कहा कि अभी आपने कुछ दिन पहले देखा होगा, काशी से चोरी हुई मां अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा भी वापस लाई गई थी। ये भारत के प्रति बदल रहे वैश्विक नजरिये का ही उदाहरण है। साल 2013 तक करीब-करीब 13 प्रतिमाएं भारत आयी थीं, लेकिन पिछले सात साल में 200 से ज्यादा बहुमूल्य प्रतिमाओं को भारत सफलता के साथ वापस ला चुका है।

श्री मोदी ने कहा कि अभी कुछ दिन पहले ही हमने मातृभाषा दिवस मनाया। जो विद्वान लोग हैं, वो मातृभाषा शब्द कहां से आया, इसकी उत्पत्ति कैसे हुई, इसे लेकर बहुत अकादमिक सूत्र दे सकते हैं। मैं तो मातृभाषा के लिए यही कहूंगा कि जैसे हमारे जीवन को हमारी मां गढ़ती है, वैसे ही मातृभाषा भी हमारे जीवन को गढ़ती है। मां और मातृभाषा, दोनों मिलकर जीवन की नींव को मजबूत बनाते हैं, चिरंजीव बनाते हैं। जैसे, हम अपनी मां को नहीं छोड़ सकते, वैसे ही अपनी मातृभाषा को भी नहीं छोड़ सकते।

उन्होंने कहा कि भारत के लोग करीब 121 प्रकार की मातृभाषाओं से जुड़े हुए हैं और इनमें 14 भाषाएं तो ऐसी हैं जो एक करोड़ से भी ज्यादा लोग रोजमर्रा की जिंदगी में बोलते हैं, यानी जितनी कई यूरोपियन देशों की कुल जनसंख्या नहीं है, उससे ज्यादा लोग हमारे यहां अलग-अलग 14 भाषाओं से जुड़े हुए हैं। साल 2019 में हिन्दी दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में तीसरे क्रमांक पर थी। इस बात का भी हर भारतीय को गर्व होना चाहिए। भाषा केवल अभिव्यक्ति का ही माध्यम नहीं है, बल्कि भाषा समाज की संस्कृति और विरासत को भी सहेजने का काम करती है।

श्री मोदी ने कहा कि आज से कुछ दिन बाद ही 8 मार्च को पूरी दुनिया में ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि आप किसी भी क्षेत्र में देखिए, महिलाएं पुराने मिथकों को तोड़ रही हैं। आज हमारे देश में संसद से लेकर पंचायत तक अलग-अलग कार्यक्षेत्र में महिलाएं नई ऊंचाई प्राप्त कर रही हैं। सेना में भी बेटियां अब नई और बड़ी भूमिकाओं में ज़िम्मेदारी निभा रही हैं और देश की रक्षा कर रही हैं।

श्री मोदी ने कहा कि आप देश में एक और बढ़ा बदलाव भी होते देख रहे होंगे। यह बदलाव है– हमारे सामाजिक अभियानों की सफलता। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की सफलता को ही लीजिए, आज देश में लिंग अनुपात सुधरा है। स्कूल जाने वाली बेटियों की संख्या में भी सुधार हुआ है।

उन्होंने कहा कि ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत देश में महिलाओं को खुले में शौच से मुक्ति मिली है। ट्रिपल तलाक जैसे सामाजिक बुराई का अंत भी हो रहा है। जब से ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून आया है, देश में तीन तलाक के मामलों में 80 प्रतिशत की कमी आई है। ये इतने सारे बदलाव इतने कम समय में कैसे हो रहे हैं? ये परिवर्तन इसलिए आ रहा है, क्योंकि हमारे देश में परिवर्तन और प्रगतिशील प्रयासों का नेतृत्व अब खुद महिलाएं कर रहीं हैं।