भारत की विदेश नीति में 2014 के बाद बदलाव आया : एस. जयशंकर

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भाजपा ने आयोजित किया ‘विदेश नीति संवाद’

भाजपा के विदेश मामलों के विभाग ने 17 दिसंबर, 2022 को ‘विदेश नीति संवाद’ का पहला सत्र आयोजित किया, जिसमें भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर को मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था। इस दौरान डॉ. एस. जयशंकर ने भाजपा मुख्यालय में दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया और भारत के अन्य प्रमुख संस्थानों के ‘अंतरराष्ट्रीय संबंधों’ के पाठ्यक्रम से जुड़े शोधार्थियों के साथ बातचीत की। कार्यक्रम में प्रारंभिक टिप्पणी करते हुए भारतीय जनता पार्टी के विदेश मामलों के विभाग के प्रभारी डॉ. विजय चौथाईवाले ने ‘विदेश नीति संवाद’ के पीछे के विचार और उद्देश्य के बारे में बताया, उन्होंने कहा, ‘विदेश नीति संवाद’ के माध्यम से वैश्विक राजनीति के समकालीन पहलुओं पर चर्चा करने के लिए उपलब्ध सर्वोत्तम व्यक्तियों के साथ शिक्षाविदों को जोड़ना है

पने संबोधन में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा, ”इतिहास से हमें एक बड़ी सीख मिलती है कि हमने बाहरी दुनिया और ‘पानीपत सिंड्रोम’ के कारण लगातार खतरों को कम करके आंका है, जिसका अर्थ है कि जब तक दुश्मन वास्तव में आपके द्वार पर नहीं आ जाता है, तब तक अज्ञानता में रहना, इसे अब बदलना चाहिए।” उन्होंने अन्य देशों में होने वाली घटनाओं से उत्पन्न जोखिमों को समझने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, ”चीन में शुरू हुई कोविड महामारी का पूरी दुनिया पर प्रभाव पड़ा और रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभावस्वरुप मुद्रास्फीति, तेल की कीमतों में वृद्धि और आर्थिक अनिश्चितताएं पैदा हुईं। ऐसे ही आतंकवाद भी किसी भी दिन हमें प्रभावित कर सकता है, इसलिए इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा कि विदेश नीति राष्ट्रीय एकता पर निर्भर है।

विदेश नीति राष्ट्रीय एकता पर निर्भर है। हर गुजरते साल के साथ भारत और अन्य देशों के बीच संबंध सुदृढ़ हो रहे हैं। दुनिया को एक कार्यस्थल के रूप में देखते हुए वैश्विक कार्यस्थल में भारतीय भागीदारी एक बड़ा अवसर लेकर आती है

हर गुजरते साल के साथ भारत और अन्य देशों के बीच संबंध सुदृढ़ हो रहे हैं। दुनिया को एक कार्यस्थल के रूप में देखते हुए वैश्विक कार्यस्थल में भारतीय भागीदारी एक बड़ा अवसर लेकर आती है और साथ ही, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी हमारे निर्यात को बढ़ाने के लिए विनिर्माण, कृषि को बढ़ावा देने, सेवा क्षेत्र और विदेशी निवेश का समर्थन कर रहे हैं।

पड़ोसियों तक पहुंच

•• पड़ोसियों तक पहुंच के संदर्भ में उन्होंने कहा कि 2014 से भारत की विदेश नीति बदली है। ‘नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी’ की शुरुआत प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह से हुई, जहां उन्होंने सभी पड़ोसी देशों को समारोह में आमंत्रित किया, जो भारत के कूटनीतिक इतिहास में एक अभूतपूर्व कदम था।
•• पहले जब कुछ बुरा होता था तो हमारे पड़ोसी पश्चिम की ओर देखते थे, आज यह क्षेत्र भारत की ओर देखते हैं। नेपाल भूकंप आपदा, यमन युद्ध, श्रीलंका में भूस्खलन, मालदीव जल संकट और मोजाम्बिक चक्रवात के दौरान भारत ने सबसे पहले इन देशों को सहायता प्रदान की।

दुनिया आज भारत को पहचानती है

•• दुनिया आज जिस तरह से भारत को देख रही है, उसमें आए बदलाव पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, पहले हम एक बैक ऑफिस थे, अब हम फार्मेसी, इनोवेशन और रिसर्च में लीडर हैं।
•• वैक्सीन मैत्री और योग जैसी पहलों से भारत की छवि बदली है।
•• विश्व की अपेक्षाएं हैं और चूंकि हम एक सभ्यतागत राष्ट्र हैं, इसलिए हमारा व्यक्तित्व, विरासत और संस्कृति मायने रखती है।
•• प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कूटनीति, सुरक्षा, सेना और खुफिया तंत्र मिलकर काम कर रहे हैं और मजबूत हुए हैं।
•• 2014 के बाद से हमारी छवि, हमारा उद्देश्य, हमारा आत्मविश्वास और जिस तरह से बाकी दुनिया हमें देखती है, इन सभी में बदलाव आया है।

भारत-चीन संबंध

इस चर्चा के अगले भाग में डॉ. एस. जयशंकर ने प्रतिभागियों द्वारा पूछे गए विभिन्न प्रश्नों को संबोधित किया।
•• भारत-चीन संबंधों से संबंधित प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा, “हमें इस वास्तविकता को स्वीकार करने की आवश्यकता है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में राष्ट्र मूलभूत इकाइयां हैं जो अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करती हैं। चीन के साथ संबंधों के प्रतिस्पर्धी पहलू हैं, जो 1950 के दशक में महसूस नहीं किए गए थे।”

भारत-चीन सीमा विवाद

•• भारत-चीन सीमा विवाद के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्य मुद्दा यह है कि 1950 के बाद हमारी सीमाएं एक-दूसरे से सीधे जुड़ी हुई हैं, जो पारस्परिक रूप से निर्धारित नहीं थीं और इस प्रकार एक संघर्ष पैदा हुआ। 1962 के युद्ध का प्रभाव अभी भी संघर्ष पैदा कर रहा है क्योंकि इस दौरान भारतीय क्षेत्र के एक बड़े हिस्से पर चीन ने कब्जा कर लिया था।
•• दूसरी बात, चीन ने खासकर विनिर्माण और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत से पहले आर्थिक सुधार लागू

आतंकवादी घटना को अंजाम देने वालों को उसकी कीमत चुकानी होगी और भारत को ऐेसे कदम उठाने होंगे जिससे पाकिस्तान को आतंकवाद से दूर ले जाया जा सके। भारत ने राजनीतिक एजेंडे पर ध्यान दिए बिना अफगानिस्तान के लोगों के जीवन में बदलाव लाने का प्रयास किया है

किये। हालांकि, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार भारत को एक विनिर्माण केंद्र, प्रौद्योगिकी और नवाचार नेतृत्वकर्ता के तौर पर स्थापित कर रही है।

भारत की विदेश नीति का भविष्य

•• भारत की विदेश नीति के भविष्य के बारे में चर्चा करते हुए, उन्होंने कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ प्रमुख कारक और बिल्डिंग ब्लॉक हैं जो राष्ट्र के भविष्य को आकार देंगे। उन्होंने भारतीय बाजार को हमारी सबसे बड़ी ताकत बताया।
•• उन्होंने कहा कि छोटे व्यवसायों का समर्थन करना और ब्रांड बनाना, तकनीकी प्रगति और देश के भीतर आपूर्ति शृंखलाओं को मजबूत कर हम सम्मान अर्जित कर सकते हैं।

पाकिस्तान और आतंकवाद

•• पाकिस्तान और आतंकवाद के संदर्भ में उन्होंने कहा कि आतंकवादी घटना को अंजाम देने वालों को उसकी कीमत चुकानी होगी, और भारत को ऐेसे कदम उठाने होगें जिससे पाकिस्तान को आतंकवाद से दूर ले जाया जा सके। अफगानिस्तान के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत ने राजनीतिक एजेंडे पर ध्यान दिए बिना अफगानिस्तान के लोगों के जीवन में बदलाव लाने का प्रयास किया है। हमने उन्हें गेहूं, वैक्सीन आदि भेजे हैं और हम काबुल में एक अस्पताल का संचालन भी कर रहे हैं, इसके अतिरिक्त हम दवाओं की आपूर्ति भी कर रहे हैं।
•• अफगानिस्तान में भारत की और अधिक भागीदारी की इच्छा रखता है। नेपाल में चीन के निवेश के मामले में उन्होंने कहा कि नेपाल, भारत और चीन दोनों का साझा पड़ोसी है। भारत यह उम्मीद नहीं कर सकता कि चीन नेपाल में निवेश नहीं करेगा। हमारी चुनौती लगातार यह साबित करना है कि हम नेपाल के लिए सबसे अच्छे भागीदार हैं।
•• उन्होंने प्रतिभागियों से अपील करते हुए चर्चा को समाप्त किया कि छात्रों को भारत की विदेश नीति को अधिक लोकतांत्रिक और समावेशी बनाने वाले विचारों के साथ अपना योगदान देना चाहिए। विदेश नीति के महत्व से लोगों को अवगत कराने की जिम्मेदारी देश के युवाओं पर है।
विस्तृत चर्चा के बाद डॉ. एस. जयशंकर के साथ एक समूह तस्वीर ली गई और छात्रों को सहभागिता प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया।