2016-17 में भारत का समुद्री खाद्य निर्यात सबसे ज्यादा रहा

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अंतरराष्ट्रीय बाजारों में फ्रोजन झींगा और फ्रोजन मछली की भारी मांग के मद्देनजर, भारत ने 2016-17 में अब तक का सबसे ज्यादा 5.78 अरब अमरीकी डॉलर (37,870.90 करोड़ रूपये) मूल्य का 11,34,948 मीट्रिक टन सीफूड का निर्यात किया, जो एक साल पहले 9,45,892 टन और 4.69 अरब डॉलर था। अमरीका और दक्षिण पूर्व एशिया लगातार सबसे ज्यादा आयात करने वाले देशों में रहे, जबकि यूरोपीय संघ से मांग में भी इस अवधि में इजाफा हुआ है।
फ्रोजन झींगा निर्यात किए जाने वाली चीजों में 38.28 प्रतिशत के साथ सबसे ऊपर रहा। इससे 64.50 प्रतिशत (डॉलर में) कुल आय हुई। झींगा का निर्यात मात्रा में 16.21 प्रतिशत बढ़ा और डॉलर में 20.33 प्रतिशत। फ्रोजन मछली सबसे ज्यादा निर्यात की जाने वाली चीजों में 26.15 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर रही। इससे 11.64 प्रतिशत (डॉलर में) आय हुई। इसमें 26.92 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

अमरीका ने 1,88,617 मीट्रिक टन भारतीय सीफूड का आयात किया, जो डॉलर में 29.98 प्रतिशत है। इस देश के लिए निर्यात में मात्रा, रूपये और अमरीकी डॉलर के संदर्भ में 22.72 प्रतिशत, 33 प्रतिशत और 29.82 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। दक्षिण पूर्व एशिया 29.91 प्रतिशत के साथ (अमरीकी डॉलर में) भारत के समुद्री उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा बाजार बना हुआ है। इसके बाद यूरोपीय संघ (17.98 प्रतिशत), जापान (6.83 प्रतिशत), मध्य पूर्व (4.78 प्रतिशत) चीन (3.50 प्रतिशत) और अन्य देशों में (7.03 प्रतिशत) रहा। दक्षिण पूर्व एशिया में कुल निर्यात मात्रा में 47.41 प्रतिशत, आय में 52.84 प्रतिशत रुपये में और 49.90 प्रतिशत डॉलर में वृद्धि हुई।

वाणिज्य और उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वानैमी के उत्पादन में वृद्धि, मत्स्यपालन प्रजातियों के विविधीकरण, गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए किए गए निरंतर उपायों और मूल्यवर्धित उत्पादों के उत्पादन के लिए आधारभूत सुविधाओं में वृद्धि के कारण सीफूड के निर्यात में भारत की सकारात्मक वृद्धि हुई।

2016-17 के दौरान झींगा का कुल निर्यात 4,34,484 मीट्रिक टन रहा जिससे 3,726.36 मिलियन अमरीकी डॉलर आय हुई। अमरीका 1,65,827 मीट्रिक टन के साथ फ्रोजन झींगा के लिए सबसे बड़ा आयात बाजार रहा। इसके बाद यूरोपीय संघ (77,178 मीट्रिक टन), दक्षिण पूर्व एशिया (1, 05,763 मीट्रिक टन), जापान (31,284 मीट्रिक टन), मध्य पूर्व (19,554 मीट्रिक टन), चीन (7818 मीट्रिक टन) और अन्य देशों में (27,063 मीट्रिक टन) रहा।
2016-17 में प्रमुख समुद्री खाद्य व्यंजन वानैमी का निर्यात 2,56,699 मीट्रिक टन से बढ़कर 3,29,766 मीट्रिक टन हो गया, जिससे मात्रा में 28.46 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। वैल्यू के संदर्भ में कुल वानैमी का 49.55 प्रतिशत संयुक्त राज्य अमरीका को निर्यात किया गया। इसके बाद दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में 23.28 प्रतिशत, यूरोपीय संघ में 13.17 प्रतिशत, जापान में 4.53 प्रतिशत, मध्य पूर्व में 3.02 प्रतिशत और चीन में 1.35 प्रतिशत रहा।
जापान 43.84 प्रतिशत के शेयर के साथ ब्लैक टाइगर झींगा के लिए सबसे बड़ा बाजार रहा। इसके बाद अमरीका (23.44) और दक्षिण पूर्व एशिया (11.33) था। फ्रोजन झींगा लगातार अमरीका को (94.77 प्रतिशत डॉलर मूल्य में) प्रमुख रूप से निर्यात किया गया जबकि वानैमी के निर्यात में 25.60 प्रतिशत मात्रा में और 31.75 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

76.57 प्रतिशत मूल्य (यूएस डॉलर) के शेयर के साथ वियतनाम, भारतीय समुद्री उत्पादों के लिए प्रमुख दक्षिण पूर्व एशियाई बाजार रहा। इसके बाद थाईलैंड (12.93 प्रतिशत), ताइवान (3.88 प्रतिशत), मलेशिया (2.60 प्रतिशत), सिंगापुर (2.21 प्रतिशत), दक्षिण कोरिया (1.50 प्रतिशत) और अन्य देशों (0.30 प्रतिशत) का रहा। अकेले वियतनाम ने 3,18,171 मीट्रिक टन भारतीय सीफूड का आयात किया, जो अमरीका, जापान और चीन जैसे किसी भी दूसरे बाजारों के मुकाबले काफी ज्यादा है।

यूरोपीय संघ 16.73 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ भारतीय समुद्री उत्पादों के लिए लगातार तीसरा सबसे बड़ा बाजार रहा। फ्रोजन झींगा सबसे ज्यादा निर्यात किया गया, जिसका यूरोपीय संघ के कुल निर्यात में 40.66 प्रतिशत मात्रा में व 55.15 प्रतिशत डॉलर आय में योगदान रहा। यूरोपीय संघ के लिए वानैमी के निर्यात मात्रा में 9.76 प्रतिशत और डॉलर के मूल्य में 11.40% की वृद्धि हुई।

जापान, भारतीय सीफूड के लिए चौथा सबसे बड़ा बाजार (6.83 प्रतिशत आय और 6.08 प्रतिशत मात्रा के मामले में) रहा। फ्रोजन झींगा जापान निर्यात की जाने वाली प्रमुख वस्तु रही जो कुल निर्यात का 45.31 प्रतिशत मूल्य में 77.29 प्रतिशत रहा।

फ्रोजन झींगा और फ्रोजन मछली के अलावा भारत के प्रमुख सीफूड उत्पाद फ्रोजन स्क्विड को बड़े पैमाने पर निर्यात किया गया, जिसमें 21.50 प्रतिशत, 59.44 प्रतिशत और 57 प्रतिशत की वृद्धि क्रमशः मात्रा, रुपया मूल्य और डॉलर आय में हुई। हालांकि फ्रोजन कटलफिश के निर्यात मात्रा में गिरावट दर्ज की गई, लेकिन रुपये के मूल्य में और डॉलर के संदर्भ में क्रमशः 18.85 और 16.95 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

सूखी वस्तुओं में क्रमशः मात्रा, रुपया मूल्य और डॉलर के संदर्भ में 40.98%, 20.14% और 79.05% की वृद्धि दर्ज की गई। भारतीय बंदरगाहों ने 2015-17 में 11,34,948 टन कुल समुद्री माल, जिसका मूल्य 37,870.90 करोड़ (5,777.61 मिलियन अमरीकी डालर) था, का प्रबंधन किया। जबकि 2015-16 में यह 9,45,892 टन एवं मूल्य 30,420.83 करोड़ (4,687.94 मिलियन अमरीकी डालर) था। विजाग, कोच्चि, कोलकाता, पीपावाव और जवाहरलाल नेहरू पोर्ट (जेएनपी) प्रमुख बंदरगाह थे जहां से 2016-17 के दौरान समुद्री माल का प्रबंधन किया गया। 2015-16 की तुलना में विजाग, कोच्चि, कोलकाता, पिपवव, जेएनपी, कृष्णपट्टनम और तुतिकोरिन से निर्यात में सुधार हुआ है।

वाइजैग बंदरगाह ने 2016-17 में 9,294.31 करोड़ रुपए (1,401.94 मिलियन अमरीकी डॉलर) मूल्य के 1,69,773 टन समुद्री कार्गो का निर्यात किया, जबकि 2015-16 में 7,161 करोड़ रुपये (1,105.76 मिलियन डॉलर) मूल्य के 1,28,718 टन का निर्यात किया गया था।
वाइजैग बंदरगाह के बाद कोच्चि (1,55,989 टन, 4,447.05 करोड़ रूपये), कोलकाता (1,04668 टन, 4,451.67 करोड़ रूपये), पीपावाव (2,32,391 टन, 4,217.45 करोड़ रूपये), जेएनपी (1,49,914 टन, 4,084.96 करोड़ रुपये) कृष्णापट्टनम (62,049 टन, 3,701.63 करोड़ रूपये), तुतिकोरिन (42,026 टन, 2,220.52 करोड़ रूपये) और चेन्नई (37,305 टन, 1,693.87 करोड़ रूपये) शामिल हैं।