1.17 करोड़ से अधिक लोगों का कौशल विकास

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कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री श्री राजीव प्रताप रूडी ने 6 जून को कहा कि स्किल इंडिया कार्यक्रम के आरंभ से मंत्रालय ने 1.17 करोड़ से अधिक प्रतिभागियों को कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीएम) की योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से विभिन्न कौशलों में प्रशिक्षण प्रदान किया। यह संख्या अन्य केंद्रीय मंत्रालयों के अधीन कौशल विकास योजना के अंतर्गत चलाये जाने वाले कार्यक्रमों और योजनाओं के अतिरिक्त है।

श्री रुडी ने कहा कि स्किल इंडिया एक मूक क्रांति है, जो जारी है। सरकार देश के भविष्य के विकास के लिए निजी साझेदारों के साथ मिलकर यह संयुक्त निवेश कर रही है। उन्होंने कहा कि इस मार्ग पर सावधानी से कदम आगे बढ़ाने होंगे, क्योंकि इसमें हमारे देश के युवाओं का भविष्य शामिल है। उन्होंने कहा कि आज जो हम बोएंगे, वहीं हम कल काटेंगे। इसीलिए हमने पहले 2 वर्ष का समय सही आधारशिला तैयार करने में लगाया, ताकि कौशल पर्यावरण का अपनी कौशल योग्यताओं के राष्ट्रीय मानकों के साथ मेल करा सके।

श्री रूडी ने कहा कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई), जिसका शुभारंभ 15 जुलाई 2015 को किया गया था। अकेले इसके अंतर्गत 26.5 लाख लोगों को उनके चयनित कौशल क्षेत्र में प्रशिक्षण दिया गया जिसमें 50 प्रतिशत महिला प्रत्याशी रही।

उन्होंने कहा कि यह देखकर सुखद अनुभव होता कि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं कौशल प्राप्त करने के लिए आगे आ रही हैं। पिछले वर्ष पीएमकेवीवाई के अंतर्गत महिलाओं की सहभागिता 40 प्रतिशत थी। मंत्री ने कहा, “मैं यह देखकर प्रफुल्लित हो रहा हूं कि इस वर्ष हमारा महिला-पुरूष अनुपात बढ़कर समान हो गया।”

श्री रूडी ने कहा, “निजी/उद्योग क्षेत्र तभी साझेदार बनेगा] जब उसे स्किल इंडिया के माध्यम से कुशल कार्यबल मिलता हुआ दिखाई देखा। हमें यह बदलाव धीरे-धीरे होता हुआ दिखाई दे रहा है। विभिन्न स्तरों पर ज्यादा से ज्यादा कार्पोरेट हमारे साथ साझेदारी कर रहे हैं। चाहे यह नौसिखियों को प्रशिक्षण देने की बात हो, अवसंरचना को प्रोत्साहन देना हो, सीएसआर निधियों के माध्यम से योगदान हो या फिर पारिश्रमिक संसाधनों को चुनने का विषय हो।”

जालसाजी और ठगी की निगरानी पर किए गए सवाल के जवाब में श्री रूडी ने कहा, “कुछ मुटठी भर संस्थायें प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) एजेंसियां होने का दावा करती हैं और भोले-भाले लोगों से कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीएम) के नाम पर पैसे लेने और बेरोजगार युवकों को रोजगार प्रदान करने के झूठे दावे करती हैं। इस तरह के ज्यादातर विज्ञापन क्षेत्रीय समाचार पत्रों में पाये जाते हैं। हम इस तरह के कृत्यों की निंदा करते हैं और उनके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज करवाते हैं।” उन्होंने जनता को चेताया कि लोगों को इस तरह की धोखा देने वाली संस्थाओं से सचेत रहना चाहिए और इनसे जुड़ने से पहले इनकी संबद्धता की जांच अवश्य कर लेनी चाहिए।

कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीएम) सचिव श्री के पी कृष्णन ने कहा कि भारत के संविधान की 7वीं सूची के अंतर्गत समवर्ती सूची में वर्णित 52 विषयों में से व्यावसायिक शिक्षा एक बिंदु है। इसका अर्थ यह भी है कि मुख्य रूप से राज्यों को ही इस आदेश को राज्य भर में केंद्र के सहयोग से चलाना होगा। केंद्र का सहयोग निधि, राष्ट्रीय स्तर पर एकीकरण के रूप में होगा। उन्होंने कहा कि कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीएम) ने राज्य कौशल विकास मिशनों के साथ मिलकर अल्पकालीन प्रशिक्षणों को श्रेणीबद्ध करने का काम किया है और संकल्प जैसी विश्व बैंक की योजनाओं को भी राज्य स्तर पर लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रयासों से जल्द ही अंतिम दूरी भी तय हो जाएगी।

मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि वे आपूर्ति आधारित कौशल विकास परिदृश्य से दूर हटकर मांग आधारित की ओर अग्रसर होने का प्रयास कर रहे हैं] ताकि भारत में कौशलयुक्त युवा बेरोजगार न रहे। गौरतलब है कि प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या में 5 गुणा बढ़ोतरी हुई है। यह अप्रेंटसिशप एक्ट एनएपीएस में किये गए व्यापक सुधारों के परिणाम है। जिसमें सरकार उद्योगों को प्रशिक्षण देने के लिए प्रोत्साहित करने का काम कर रही है। एनएपीएस के अंतर्गत अभी तक 5.9 लाख लोग प्रशिक्षण में लगाया गया है।