जन आशीर्वाद यात्रा जनता व सरकार के बीच अद्भुत पहल : सुनील देवधर

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले महीने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। सरकार में 36 नए मंत्रियों को सम्मिलित किया गया और 2014 से केंद्र में सरकार आने के बाद यह सबसे बड़ा कैबिनेट विस्तार भी बना। अब नई कैबिनेट में 77 मंत्री हो गए हैं, जो पहले संख्या 52 थी। महिला प्रतिनिधियों की भी इतनी बड़ी संख्या इससे पहले कभी कैबिनेट में नहीं दिखाई दी, जो अब 11 है। मंत्रिमंडल की औसत आयु 50 है। इसके अलावा क्षेत्रीय संतुलन का उत्तम उदाहरण प्रधानमंत्रीजी ने स्थापित किया। नए मंत्रियों के नामों की घोषणा के बाद यह स्पष्ट तरीके से दिखाई दिया कि इस पर गहन विचार किया गया है। अखबारों में इस मंत्रिमंडल की सकारात्मक चर्चा और सराहना हुई और लोगों ने भी इसका स्वागत किया। प्रधानमंत्रीजी ने क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखा, सामाजिक समरसता के भाव को प्राथमिकता पर रखा, पढ़े-लिखे व क्षमता रखने वालों को मंत्रिमंडल में जगह दी। इसे हर स्तर के लोगों द्वारा सराहा गया, फिर चाहे वो मीडिया जगत हो, राजनीतिशास्त्र के पुरोधा या विश्लेषक या एक आम इंसान हो।

प्रधानमंत्रीजी ने संसद में अपने मंत्रिमंडल विस्तार और नए सदस्यों को सम्मिलित किए जाने को लेकर स्वागत की कोशिश की, लेकिन विपक्ष ने ऐसा नहीं होने दिया। अब उन्होंने नए मंत्रियों को एक अनोखे तरीके से जनता के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्णय लिया। इससे अच्छा तरीका और क्या हो सकता है कि नवनियुक्त मंत्री जनता तक सीधे रूप से पहुंचें और सरकार के प्रतिनिधियों के रूप में उनसे मिलें। इसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ के नाम से एक विशेष योजना बनाई गई है। मंत्रियों को स्वतंत्रता दिवस तक दिल्ली में रहने का आग्रह िकया गया है। इसलिए 16 अगस्त से यात्रा की योजना बनाई गई है। न्यूनतम 3 से 5 दिनों की अवधि के लिए मंत्री अपने राज्य में यात्रा शुरू करेंगे और पूर्व नियोजित मार्ग से गुजरेंगे। कई गतिविधियां, बैठकों, कार्यक्रमों की योजना बनाई जा रही है। यात्रा मंत्रियों के गृह नगर में समाप्त होगी।

यात्रा की अवधारणा बहुत स्पष्ट है। केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में मंत्री अपनी यात्रा के दौरान समाज के विभिन्न वर्गों से मिलेंगे। वे विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में आम जनता को अवगत कराएंगे। वे योजनाओं के लाभार्थियों से मिलेंगे, उनसे सरकार के प्रति उनकी धारणा, उनके अनुभव आदि के बारे में सुनेंगे। नए मंत्री पूर्व सैनिकों, कोरोना वॉरियर्स, डॉक्टरों, छात्रों, किसानों, महिलाओं और अन्य सामाजिक समूहों से भी मिलेंगे। वे उन्हें सरकारी योजनाओं के बारे में बताएंगे। उन्हें जानकारी देंगे कि भाजपा सरकार बनने के बाद किस तरह अनेक विकास कार्यक्रम संभव हो पाए। इस यात्रा की योजना बहुत ही बारीकी से बनाई जा रही है। सूक्ष्म स्तर की योजना में जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं की भागीदारी को महत्व दिया गया है। इन कार्यकर्ताओं को न केवल स्वयं सिद्ध करने का मौका मिलेगा, बल्कि बड़े आयोजन की योजना बनाने और उसे धरातल पर उतारने का भी प्रत्यक्ष अनुभव मिलेगा। उन्हें केंद्रीय मंत्री से मिलने का भी अवसर मिलेगा। इतना ही नहीं, जो बैनर आदि लगाए जाएंगे, उन पर भी अलग-अलग संदेश लिखे होंगे।

आजादी के बाद के भारत के इतिहास में इस तरह की गतिविधि पहली बार होने जा रही है, जब मंत्री सड़कों पर उतरेंगे और इतनी लंबी यात्रा को करते दिखेंगे। मंत्रियों और आम लोगों की ये बैठकें जनता और सरकार के बीच एक अद्भुत संचार विकसित करने में एक लम्बी यात्रा तय करेंगी। इस यात्रा के लिए अलग-अलग तरह की छोटी से छोटी गतिविधियों की पहचान की गई है, जिसका नेतृत्व पार्टी का कोई वरिष्ठ कार्यकर्ता करेगा। इन गतिविधियों में मंदिरों के दर्शन, मूर्तियों पर माल्यार्पण, कोविड-19 केंद्रों का दौरा, टीकाकरण केंद्रों का दौरा, राशन की दुकानों का दौरा आदि सम्मिलित हैं। इसके अलावा बैंक-ऑफिस के काम, जैसे- प्रचार सामग्री का प्रबंधन, सुरक्षा, स्थानीय पुलिस से सामंजस्य, यात्रा की अनुमति प्राप्त करना भी सम्मिलित रहेगा, जिसे पार्टी कार्यकर्ता तय करेगा। इसके अतिरिक्त कार्यकर्ता ही संबंधित प्राधिकारों का गठन करेगा। इन गतिविधियों में पार्टी के बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं का सामूहिक प्रयास भी सम्मिलित है। हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा ने एक-एक यात्रा का अवलोकन किया है और यात्रा के हर एक पहलू पर दृष्टि रखी। राष्ट्रीय महामंत्री श्री तरुण चुघ यात्रा पर निगरानी बनाये हुए हैं। वह जन आशीर्वाद यात्रा के राष्ट्रीय प्रभारी भी हैं। पूरी यात्रा उनकी देखरेख में की जायेगी, पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व यात्राओं पर दृष्टि रखेगा। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री एम चुबा ओ, मैं और मेरे साथी चार राष्ट्रीय मंत्री–पंकजा मुंडेजी, अरविंद मेननजी, विनोद सोनकरजी और वाई सत्या कुमारजी के मध्य राज्यों का दायित्व दिया गया है।

आजादी के बाद के भारत के इतिहास में इस तरह की गतिविधि पहली बार होने जा रही है, जब मंत्री सड़कों पर उतरेंगे और इतनी लंबी यात्रा को करते दिखेंगे। मंत्रियों और आम लोगों की ये बैठकें जनता और सरकार के बीच एक अद्भुत संचार विकसित करने में एक लम्बी यात्रा तय करेंगी

इस यात्रा के दौरान बड़ी-छोटी कई सभाएं होंगी। मंत्री स्थानीय मुद्दों पर बात करेंगे, जनता को सीधे तौर पर संबोधित करेंगे और साथ ही संदेश देंगे कि सरकार उनके कल्याण के लिए काम कर रही है और आसानी से उपलब्ध है। यह सरकार और मंत्रियों की सकारात्मक छवि बनाने में भी प्रभावी रहेगा जिससे जनता को अनुभूति कराई जाएगी कि यह सरकार वास्तव में उनका ध्यान रखती है और समस्त जनप्रतिनिधि जमीन से जुड़े कार्यकर्ता से यात्रा करते हुए किस तरह मंत्री पद तक पहुंचे हैं। लोकतंत्र की यह परिभाषा कि सरकार जनता की, जनता द्वारा और जनता के लिए होती है, वास्तव में धरातल पर सिद्ध होती नजर आएगी।

प्रत्येक यात्रा की अधिकतम दूरी 500 किलोमीटर रहेगी। इस यात्रा का एक पूर्व नियोजित मार्ग होगा और प्रत्येक दिन हर मंत्री अधिकतम 100-120 किलोमीटर की यात्रा करेंगे। पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ता विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों की पहचान करेंगे और मंत्रियों के साथ छोटे समूहों की बैठक की व्यवस्था करेंगे। जैसाकि इसके नाम से ही पता चलता है कि मंत्री जनता से आशीर्वाद मांग रहे हैं। प्रत्येक यात्रा एक विशाल आयोजन की तरह होगी, जिसे प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, सोशल मीडिया, लोकप्रिय यू-ट्यूब चैनल, स्थानीय केबल नेटवर्क आदि के जरिए प्रसारित-प्रकाशित किया जाएगा। इन यात्राओं की योजना महामारी काल में सकारात्मकता का वातावरण बनाने के लिए तैयार की जा रही है। कहने की जरूरत नहीं है कि यात्रा के दौरान सभी कोविड संबंधी प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जाएगा। यह यात्रा सभी पार्टी कार्यकर्ताओं को अपने संगठनात्मक कौशल दिखाने का अवसर भी प्रदान करेगी। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी एक ऐसी पार्टी है, जहां एक कार्यकर्ता को परिश्रम से संगठन और सरकार में बड़े दायित्वों का निर्वाह करने के अवसर प्राप्त होते हैं।

इस लंबी यात्रा की सबसे विशेष पहलू कई अभियानों का एक साथ चलना भी रहेगा यानी कोई केंद्रीय मंत्री सड़क पर जनता से सीधे संवाद करेगा, उनसे आशीर्वाद मांगेगा, स्वच्छ भारत अभियान जैसे कई कार्यक्रमों में भाग लेगा। इस तरह कई पड़ाव से यह यात्रा गुजरेगी। जो रथ इस यात्रा के लिए बनाया जाएगा, वह न तो ज्यादा ऊंचा होगा और उसमे किसी भी रूप से कोई सुविधा और भव्यता नहीं होगी। इसका उद्देश्य सीधे रूप से यही रहेगा कि जनता से सीधा संवाद स्थापित किया जा सके और कोई भी कार्यकर्ता अपने प्रतिनिधि को आसानी से मिल सके, अभिवादन कर सके। यात्रा का मार्ग भी इस तरह बनाया जाएगा कि ज्यादा से ज्यादा लोगों से, गांवों से, क्षेत्रों से लोग जुड़ सकें। यदि मार्ग में किसी गांव से गुजरेगी, चाहे छोटा हो या बड़ा, तो यात्रा का ठहराव अवश्य होगा ताकि शक्ति केंद्र, मंडल या बूथ समिति के लोग भी अभिवादन कर सकें। यात्रा के लिए एक विशेष तरह का रथ भी तैयार किया जाएगा, जिसे वह राज्य ही बनाएगा, जिससे वह सांसद सम्बन्ध रखता है।

                                                                                 (लेखक भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री हैं)