बिम्सटेक क्षेत्रीय सहयोग को और सक्रिय बनाया जाए : नरेन्द्र मोदी

| Published on:

         बिम्सटेक ने चार्टर को अपनाया, परिवहन मास्टर प्लान को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 30 मार्च को पांचवें बिम्सटेक (बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन) शिखर सम्मेलन में सम्मिलित हुये, जिसकी मेजबानी वर्चुअल माध्यम से श्रीलंका ने की, जो इस समय बिम्सटेक का अध्यक्ष है। बिम्सटेक के सात सदस्य देश— भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड, नेपाल और भूटान हैं।

पांचवें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन से पहले वरिष्ठ अधिकारियों और विदेश मंत्रियों के स्तर पर एक तैयारी बैठक हाइब्रिड पद्धति से कोलंबो में 28 और 29 मार्च को आयोजित की गई थी। शिखर सम्मेलन की विषय वस्तु ‘टूवर्ड्स ए रेजीलियंट रीजन, प्रॉस्पेरस इकोनॉमीज़, हेल्दी पीपुल’ सदस्य देशों के लिये प्राथमिकता विषय थी। इसके अलावा इसमें बिम्सटेक के प्रयासों से सहयोगी गतिविधियों को विकसित करना भी शामिल था, ताकि सदस्य देशों के आर्थिक तथा विकास पर कोविड-19 महामारी के दुष्प्रभावों से निपटा जा सके।

सम्मेलन के दौरान बिम्सटेक ने आपसी सहयोग के विस्तार के लिए एक चार्टर को अंगीकार किया तथा परिवहन सम्पर्क को बढ़ावा देने के लिये एक मास्टर प्लान को मंजूरी दी। प्रधानमंत्री श्री मोदी तथा अन्य राष्ट्राध्यक्षों के समक्ष तीन बिम्सटेक समझौतों पर हस्ताक्षर हुये। इन समझौतों में वर्तमान सहयोग गतिविधियों में हुई प्रगति के विषय शामिल हैं:

• आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता पर बिम्सटेक समझौता
• राजनयिक प्रशिक्षण के क्षेत्र में आपसी सहयोग पर बिम्सटेक समझौता-ज्ञापन
• बिम्सटेक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सुविधा की प्रतिस्थापना के लिये प्रबंध-पत्र

शिखर सम्मेलन में बिम्सटेक कनेक्टीविटी एजेंडा को पूरा करने की उल्लेखनीय प्रगति का जायजा लिया गया। राष्ट्राध्यक्षों ने ‘यातायात संपर्कता के लिये मास्टरप्लान’ पर विचार किया, जिसके तहत भविष्य में इस इलाके में संपर्कता सम्बंधी गतिविधियों का खाका तैयार करने के दिशानिर्देश निहित हैं।
दरअसल, बिम्सटेक चार्टर पर हस्ताक्षर और इसे अंगीकार किया जाना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इससे इस क्षेत्रीय संगठन को एक अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी और इसके कामकाज के लिए मूलभूत संस्थागत संरचना तैयार होगी।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 30 मार्च को अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि भारत, बिम्सटेक सचिवालय के परिचालन बजट को बढ़ाने के लिए सहयोग के रूप में 10 लाख अमेरिकी डॉलर प्रदान करेगा।

उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र आज के चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिदृश्य से अछूता नहीं है। श्री मोदी ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्थाएं, हमारे लोग अब भी कोविड-19 महामारी के प्रभाव से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सप्ताह में यूरोप में हुए घटनाक्रम से अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की स्थिरता पर प्रश्नचिह्न लग गया है। श्री मोदी ने कहा कि इस संदर्भ में यह जरूरी हो गया है कि बिम्सटेक क्षेत्रीय सहयोग को और सक्रिय बनाया जाए।

श्री मोदी ने कहा कि यह आवश्यक हो गया है कि हमारी क्षेत्रीय सुरक्षा को और अधिक प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन में बिम्सटेक चार्टर को अपनाया जाना संस्थागत संरचना को स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन के परिणाम बिम्सटेक के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय लिखेंगे। श्री मोदी ने कहा कि हमारी उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए बिम्सटेक सचिवालय की क्षमता को बढ़ाना भी जरूरी है। उन्होंने बिम्सटेक महासचिव को इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक रोडमैप बनाने का सुझाव दिया।

श्री मोदी ने कहा कि बिम्सटेक के सदस्य देशों के बीच परस्पर व्यापार बढ़ाने के लिए बिम्सटेक एफटीए प्रस्ताव पर आगे बढ़ना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमारे देशों के उद्यमियों और स्टार्टअप के बीच आदान प्रदान बढ़ाने की भी जरूरत है। इसके साथ ही हमें व्यापार सहयोग के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय नियमों को भी अपनाना चाहिए।

श्री मोदी ने रेखांकित किया कि ‘मौसम और जलवायु के लिए बिम्सटेक केंद्र’ आपदा प्रबंधन में सहयोग के वास्ते एक महत्वपूर्ण संगठन है। उन्होंने कहा कि इसे और सक्रिय बनाने के लिए बिम्सटेक देशों के बीच सहयोग होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत इस केंद्र के काम को पुनः शुरू करने के लिए 30 लाख डॉलर देने को तैयार है।