परीक्षा के लिए मोदी मंत्र

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कैलाश विजयवर्गीय

श्रीनरेंद्र मोदी को हमने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक, भारतीय जनता पार्टी के संगठन महामंत्री, गुजरात के मुख्यमंत्री और अब देश के प्रधानमंत्री के तौर पर देखा है। एक राजनीतिक हस्ती के तौर पर उनमें बहुत खूबियां हैं। ऐसी खूबियां बहुत से राजनीतिज्ञों में रही हैं। उनकी सबसे बड़ी खूबी, जो उन्हें खास बनाती है, वह है देश और समाज के लिए बिना राजनीतिक इच्छा के काम करना। समाज के हर वर्ग के लिए वे लगातार परिश्रम करते हैं। दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में परीक्षा पर चर्चा करते हुए उन्होंने विद्यार्थियों को जो जीने का मंत्र दिया, वह हम सभी के लिए महत्व का है। परीक्षा की तैयारियों में लगे हर विद्यार्थी को तनाव रहता है। विद्यार्थी को ही नहीं उसके पूरे परिवार को परीक्षा में अच्छे अंक लाने की चिंता रहती है। बच्चों को तमाम सलाह दी जाती है। घूमने-फिरने पर रोक लगा जाती है। परिवारों में टीवी चलने बंद हो जाते हैं। शिक्षक और परिवार का हर सदस्य बस पढ़ो-पढ़ो की रट लगाये रहते हैं। मोदीजी ने परीक्षा के तनाव दूर करने के लिए छात्रों को जो मंत्र दिया, उससे एक नई राह मिली है।

हमने टीवी चैनलों पर देखा भी कि मोदीजी एक प्रधानमंत्री की तरह नहीं, बल्कि एक शिक्षक और अभिभावक की भूमिका में दिखाई दिए। प्रतिस्पर्धा, आत्मविश्वास, एकाग्रता की चर्चा करते हुए अभिभावकों को भी बताया किस तरह बच्चों में अलग भावनाओं का समावेश करें। अगले लोकसभा चुनाव को लेकर पूछे गए एक बच्चे के सवाल पर उन्होंने प्रशंसा करते हुए बड़ी सहजता से जवाब दिया कि चुनाव के लिए कोई काम नहीं करता। यह सही है कि राजनीति में रहते हुए भी मोदीजी राजनीतिज्ञों जैसा व्यवहार नहीं करते हैं। वे कर्मयोगी हैं, उनके विचार हमें हमेशा नई राह दिखाते हैं। मोदीजी ने बताया भी कि बात मेरी परीक्षा की तैयारी की तो मैं चुनाव को ध्यान में रखकर काम नहीं करता हूं। चुनाव तो आएंगे-जाएंगे। मेरे पास जितना समय, शक्ति, बूता है और जितनी दिमागी ताकत होती है, वह देशवासियों के लिए खपाता हूं। चुनाव परिणाम को लेकर काम नहीं करता हूं। उनकी यह बात बहुत गौर करने वाली है कि ‘वैसे तो मैं राजनीतिक व्यवस्था में हूं, लेकिन मन, मस्तिष्क और स्वभाव से राजनीति में नहीं हूं। मेरे नेचर में यह नहीं है। मेरे नेचर में हर समय कुछ करने की ललक बनी रहती है। अगर एक राजनीतिज्ञ के तौर पर या गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए और अब प्रधानमंत्री के कार्यों को देखे तो उनका एक ही मंत्र होता है कि हर समय अपने-अपने काम करते रहो, चुनाव हो या कोई परीक्षा कभी तनाव नहीं होगा। हम सभी जानते हैं कि मेधावी छात्र परीक्षा आने पर पढ़ाई नहीं करते हैं, बल्कि वे नई कक्षा में आते ही पढ़ाई पर पूरा ध्यान देते हैं।

मोदीजी से हमने यही सीखा है कि चुनाव आने पर अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय होने के बजाय हर समय लोगों के बीच जाते रहो। उनके सुख-दुख में भागीदार बनो। यही उनकी सफलता का मंत्र है। बच्चों को एक शिक्षक के तौर पर उन्होंने जो मंत्र दिया, उससे छात्रों को परीक्षा के साथ जीवन को नए तरीक से देखने की प्रेरणा मिली है। एक परिवार के बड़े सदस्य की तरह उन्होंने अभिभावकों को भी सलाह दी कि बच्चों को स्टेटस सिंबल से मत जोड़ो। हर किसी को भगवान ने कुछ न कुछ करने की परम शक्ति दे रखी है। उसे पहचानो और बच्चों को आगे बढ़ने दो। कोई काम करने के लिए उन्होंने एकाग्रता, शरीर, मन, आत्मा और बुद्धि को जोड़ने की सलाह दी। जब इन सबका मिलन होता है तो काम ठीक हो जाता है। परीक्षा के दौरान तनाव है तो उन्होंने एकाग्रता के लिए बच्चों को योग करने की सलाह भी दी। प्रतिस्पर्धा की भावना के बजाय उन्होंने छात्रों को अनुस्पर्धा यानी खुद से स्पर्धा करने की सलाह देकर तमाम झंझटों से बचने का रास्ता दिखाया है। उनके इस मंत्र को अपनाने से परीक्षा के तनाव तो दूर होंगे ही, साथ ही हमें नई राह पर चलने की प्रेरणा मिलेगी।

(लेखक भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री हैं)