महिला सशक्तीकरण को चरितार्थ करते मोदी, समावेशी शासन के एक नए युग की होगी शुरुआत

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मोदी सरकार ने नौ वर्षों में न सिर्फ महिला सशक्तीकरण के लिए काम किया, बल्कि हमारी पौराणिक संस्कृति के अनुसार महिलाओं को सम्मान भी दिया है। महिला सशक्तीकरण हमारी गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत रही है। वैदिक युग में ऋषि-मुनियों ने महिला सशक्तीकरण और ज्ञान के विकास में अहम योगदान दिया। गार्गी-याज्ञवल्क्य शास्त्रार्थ की आज तक मिसाल दी जाती है। उपनिषदों के बारे में विदुषी मैत्रेयी की समझ अभी भी विद्वानों का मार्गदर्शन करती है। यामी धर्म की अवधारणा की प्रारंभिक प्रस्तावक थीं। विज्ञान, अंतरिक्ष अन्वेषण और स्वास्थ्य सेवा में महिलाओं द्वारा की गई प्रगति ने वर्तमान युग में दुनिया को भारत की ओर प्रशंसा की दृष्टि से देखने पर मजबूर किया है। भारत में 80 प्रतिशत से अधिक नर्स और दाई महिलाएं हैं, जो कोविड महामारी में लोगों की सेवा के लिए खड़ी रहीं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महिला सशक्तीकरण पर जी-20 सम्मेलन में मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के अपने संबोधन में विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा निभाई गई परिवर्तनकारी भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा था कि भारत में महिला सशक्तीकरण केवल एक विशेष क्षेत्र तक सीमित नहीं है। वास्तव में वह हर क्षेत्र में महिला नेतृत्व की क्षमता को आगे ले जाना चाहते हैं। मोदी जी ने महिलाओं के सशक्तीकरण से लेकर उन्हें नेतृत्व देने की क्षमता के लिए जो काम करना शुरू किया, उस दिशा में अमृतकाल में महिलाओं को राजनीति में आरक्षण देना एक बड़ी उपलब्धि है।

हाल में संसद के विशेष सत्र में मोदी जी के मार्गदर्शन में लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटों के आरक्षण का मार्ग प्रशस्त करने वाला विधेयक पारित हुआ। इस महिला आरक्षण के कारण भावी राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की बड़ी भूमिका नजर आ रही है। मुझे विश्वास है कि इस आरक्षण के लागू होने के बाद नारी शक्ति की भागीदारी के साथ समावेशी शासन के एक नए युग की शुरुआत होगी।

महिला आरक्षण विधेयक की ऐतिहासिकता के साथ-साथ उसके संदर्भ को भी समझना होगा। पिछले नौ वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के मुखर समर्थक और सक्रिय प्रस्तावक रहे हैं। ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ जैसी पहल से लिंग अनुपात में सुधार हुआ और शैक्षणिक संस्थानों में लड़कियों का नामांकन बढ़ा।

लड़कियों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने में भी मोदी सरकार द्वारा प्रदान की गई छात्रवृत्ति की महत्वपूर्ण भूमिका है। ‘प्रधानमंत्री सुकन्या समृद्धि’ और ‘प्रधानमंत्री जन धन खाता’ जैसी योजनाओं ने 30 करोड़ महिलाओं की वित्तीय सुरक्षा एवं समावेशन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मुद्रा योजना के माध्यम से कोलैटरल-फ्री लोन ने 40 करोड़ महिलाओं को अपनी उद्यमशील क्षमता का लाभ उठाने के लिए सशक्त बनाया है। इस व्यवस्था ने न केवल महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक जरूरतों को पूरा किया, बल्कि उन्हें गरीबी से भी उबारा।

जब कोई परिवार भोजन, आवास, दवाइयों और पेयजल जैसी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करता है, तो उस परिवार की महिला को सबसे अधिक पीड़ा होती है। मोदी सरकार ने तीन करोड़ गरीबों को घर दिए, जिनमें से 75 प्रतिशत महिलाओं को दिए गए। 80 करोड़ गरीबों को मिलने वाले खाद्यान्न से भी सबसे बड़ी राहत महिलाओं को मिली।

मोदी सरकार द्वारा 11 करोड़ जल आपूर्ति कनेक्शन और 50 करोड़ लाभार्थियों को स्वास्थ्य बीमा प्रदान करने से भी सबसे बड़ा लाभ महिलाओं को मिला। उज्ज्वला योजना के तहत जारी 9.6 करोड़ गैस कनेक्शन से गरीब महिलाओं को उस घरेलू प्रदूषण से छुटकारा मिला, जिसके कारण उन्हें कई बीमारियों का सामना करना पड़ता था। मोदी सरकार ने मातृत्व अवकाश की अधिकतम अवधि 26 सप्ताह तक बढ़ाकर कामकाजी महिलाओं को बड़ी राहत प्रदान की, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों के समकक्ष है।

लैंगिक रूढ़िवादिता को खत्म करते हुए मोदी सरकार ने पहली बार भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन के योग्य बनाया। प्रधानमंत्री द्वारा महिला सशक्तिकरण के प्रयासों का ही फल है कि आज भारत के पास सबसे अधिक महिला फाइटर जेट पायलट हैं। यह भी देश के इतिहास में पहली बार है कि व्यावसायिक पायलटों की 15 प्रतिशत सीटों पर अब महिलाओं का कब्जा है, जबकि वैश्विक औसत मात्र पांच प्रतिशत है।

देश की आधी आबादी के जीवन में व्यापक बदलाव लाने में पिछले नौ वर्षों में हासिल किए गए ये सभी मील के पत्थर ‘जहां चाह, वहां राह’ की इच्छाशक्ति का परिणाम हैं। महिलाओं के जीवन से जुड़े ज्वलंत विषय इसके पहले शायद ही कभी देश के राजनीतिक विमर्श के केंद्र में रहे हों। इतिहास साक्षी है कि कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने राजनीतिक स्वार्थ और तुष्टीकरण की राजनीति के चलते महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर सकारात्मक रुख अपनाने की जगह अक्सर बहानेबाजी की। जैसे— जब तीन तलाक संबंधी विधेयक के माध्यम से करोड़ों मुस्लिम महिलाओं के भाग्य का फैसला किया जा रहा था, तब कांग्रेस ने विधेयक के समर्थन में आने की जगह तुष्टीकरण के चलते सदन से बाहर जाने का रास्ता चुना। राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मु जी की उम्मीदवारी का समर्थन न करने और विपक्षी उम्मीदवार के पक्ष में समर्थन देने का कांग्रेस का निर्णय भी सर्वविदित है।

महिला आरक्षण के लंबित विधेयक को कानून में बदलने की मोदी सरकार की पहल उसकी दृढ़ इच्छाशक्ति और प्रतिबद्धता का एक जीवंत उदाहरण है। विश्व स्तर पर सरकार में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी ने प्रजातांत्रिक संस्थाओं को मजबूती दी है, भ्रष्टाचार कम किया है और सरकारों को और अधिक संवेदनशील बनाया है।

देश को समान प्रतिनिधित्व के माध्यम से लैंगिक समानता और सामाजिक समावेशन को प्राथमिकता देनी चाहिए। दोनों सदनों से पारित ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ के माध्यम से मोदी जी ने अमृतकाल में एक अधिक समावेशी संसदीय लोकतंत्र की मजबूत नींव रखी है, जहां महिलाओं की बात अधिक सुनी जाएगी और उनके मुद्दों पर अधिक जोरदार ढंग से चर्चा की जाएगी। मुझे विश्वास है कि अमृतकाल के दौरान 2047 तक भारत के विकसित राष्ट्र बनने के मार्ग में नारी शक्ति की एक विशेष भूमिका होगी।

(लेखक केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री हैं)