नए भारत में नारी शक्ति

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निर्मला सीतारमण

नारी शक्ति वंदन अधिनियम (महिला आरक्षण विधेयक) महिलाओं का राजनीतिक सशक्तीकरण करने का एक महत्वपूर्ण साधन है। जब भी महिला संबंधित मामलों की बात आती है तो हमारी सरकार राजनीति करने से बचती है। यह प्रधानमंत्री के लिए अटूट प्रतिबद्धता का विषय है और इसलिए हमने दृढ़ कार्रवाई की हैं, चाहे वह अनुच्छेद 370 हो, तीन तलाक हो, या अब महिला आरक्षण विधेयक हो। जब महिलाओं को समान अवसर दिए जाते हैं, तो वे राजनीतिक क्षेत्र में भी श्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकती हैं, जैसा हमारी महिला वैज्ञानिकों ने इसरो में किया है।

पिछले नौ वर्षों में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत ‘महिला-नेतृत्व वाले विकास’ की ओर अग्रसर हुआ है। इन पहलों के परिणाम भी स्पष्ट हैं, जो देश के सामाजिक ताने-बाने में परिवर्तनकारी बदलाव में दिखायी देते हैं।

उज्ज्वला योजना, स्वच्छता अभियान, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, मुद्रा योजना, मातृत्व अवकाश में वृद्धि और सशस्त्र बलों में महिलाओं को स्थायी कमीशन जैसी पहलों के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने के मोदी सरकार के प्रयास सभी के सामने हैं। पीएम मुद्रा योजना के तहत लगभग 70 प्रतिशत ऋण महिलाओं को स्वीकृत किए गए हैं। ये ऋण सूक्ष्म-स्तरीय इकाइयों और स्व-रोजगार वालों को दिये जाते हैं, जिसकी राशि 10 लाख रुपये तक होती हैं। इसी तरह, स्टैंड-अप इंडिया के तहत 80 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं।

मोदी सरकार के लिए महिलाओं के लिए सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करना एक अटूट प्रतिबद्धता है। उज्ज्वला योजना के तहत महिलाओं को एलपीजी सिलेंडर दिये गये हैं, जिससे धुआं मुक्त रसोई को बढ़ावा देकर लाखों महिलाओं को श्वास संबंधी बीमारियों से बचाया जा रहा है।

इसके अलावा, स्वच्छ भारत अभियान की सफलता के साथ अनगिनत महिलाओं के पास अब घरों में शौचालय की सुविधा है, जिससे उनकी सुरक्षा और उनकी गरिमा की रक्षा को लेकर चिंताएं कम हुई हैं।

2014 के बाद से तकनीकी शिक्षा, विशेषकर औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में महिलाओं की भागीदारी दोगुनी हो गई है। उल्लेखनीय रूप से भारत में लगभग 43 प्रतिशत एसटीईएम स्नातक महिलाएं हैं। भारत में लगभग एक चौथाई अंतरिक्ष वैज्ञानिक महिलाएं हैं जिनका समर्पण और कड़ी मेहनत देश के प्रमुख अंतरिक्ष मिशनों में महत्वपूर्ण रहा है, जिनमें चंद्रयान, गगनयान और मिशन मंगल शामिल हैं

पीएम आवास योजना के तहत बने घरों का महिलाओं को संयुक्त स्वामित्व मिला है।

मोदी सरकार के तहत पिछले नौ वर्षों में महिलाएं उल्लेखनीय उपलब्धियों के साथ आगे बढ़ी हैं। यह प्रगति महिला पुलिस कर्मियों के बढ़ते प्रतिनिधित्व, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हमारी महिला खिलाड़ियों द्वारा हासिल की गई प्रशंसा और विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग एवं गणित (एसटीईएम) विषयों में महिलाओं के बढ़ते नामांकन से स्पष्ट है। 2014 के बाद से तकनीकी शिक्षा, विशेषकर औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में महिलाओं की भागीदारी दोगुनी हो गई है। उल्लेखनीय रूप से भारत में लगभग 43 प्रतिशत एसटीईएम स्नातक महिलाएं हैं। भारत में लगभग एक चौथाई अंतरिक्ष वैज्ञानिक महिलाएं हैं जिनका समर्पण और कड़ी मेहनत देश के प्रमुख अंतरिक्ष मिशनों में महत्वपूर्ण रहा है, जिनमें चंद्रयान, गगनयान और मिशन मंगल शामिल हैं।

आज भारत में पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाएं उच्च शिक्षा में दाखिला ले रही हैं। हमारे पास नागरिक उड्डयन में सबसे अधिक संख्या में महिला पायलट भी हैं। वहीं भारतीय वायुसेना में महिला पायलट अब लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं। मोदी सरकार ने सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) में महिलाओं के लिए पद आरक्षित किए हैं। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) और सैनिक स्कूलों में लड़कियों के प्रवेश को अनुमति दी गयी है। महिलाएं अब प्रधानमंत्री मोदी की कल्पना के अनुसार ‘अमृत काल’ में ‘अमृत रक्षक’ के रूप में सेवा करने के लिए तैयार हैं।

भारत में शुरू से ही महिलाओं को वोट देने और चुनाव लड़ने का अधिकार दिया गया था। भारत में ग्रामीण स्थानीय निकायों में लगभग 14 लाख यानी 46 प्रतिशत निर्वाचित प्रतिनिधि महिलाएं हैं। भारतीय महिलाएं और उनका सशक्तीकरण देश के विकास को आगे बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा रहा है।

हमारी सरकार ने हाल ही में नए संसद भवन— नए भारत का प्रतीक— का उद्घाटन करने के लिए एक विशेष सत्र बुलाया। और हमने कल्पना की कि यह संसद अपने इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण विधेयकों में से एक को पारित करके अपनी यात्रा शुरू करे। यह शुभ शुरुआत आने वाली शताब्दी के लिए राष्ट्र की सेवा के लिए डिज़ाइन की गई इमारत के अनुरूप है। प्रधानमंत्री मोदी ने ठीक ही कहा है कि अगर 50 प्रतिशत आबादी यानी महिलाएं अपने घरों तक ही सीमित रहेंगी तो सफलता हासिल नहीं की जा सकती। जैसे-जैसे भारत एक प्रमुख वैश्विक आर्थिक ताकत बनने के लिए आगे बढ़ रहा है, देश के विकास में योगदान देने में महिलाओं की भूमिका दिन-ब-दिन के साथ महत्वपूर्ण होती जा रही है।

नारी शक्ति वंदन अधिनियम ऐतिहासिक कानून है, जो महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देगा और हमारी राजनीतिक एवं शासन प्रक्रियाओं में महिलाओं की अधिक भागीदारी को सुनिश्चित करेगा। कानून के अधिनियमन के साथ भारत खुद को अधिक उज्ज्वल और समावेशी समय की ओर ले गया है, इस परिवर्तन के केंद्र में हमारी नारी शक्ति है। यह परिवर्तनकारी यात्रा सामाजिक धारणाओं में एक आदर्श बदलाव का भी प्रतीक है— जहां महिलाएं अब केवल लाभार्थी नहीं हैं, बल्कि सक्रिय योगदानकर्ता और देश की नियति को आकार देने वाली हैं।

यह रास्ता चुनौतीपूर्ण रहा है, लड़ाई लंबी चली, लेकिन आखिरकार नारी शक्ति विजयी हुई है। सफलता के इस क्षण में पंचायती राज प्रणाली में 33 प्रतिशत आरक्षण शुरू करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की सरकार को याद करना महत्वपूर्ण है। इस पहल से महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि हुई है, कई राज्यों ने तो जमीनी स्तर पर आरक्षण को 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है।

महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास पर यह ध्यान केवल एक राजनीतिक रणनीति नहीं है बल्कि एक अंतर्निहित लोकाचार है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार ने इस सिद्धांत को आत्मसात कर लिया है

एक पार्टी के रूप में, भाजपा ने लगातार महिला आरक्षण की वकालत की है। हम सशक्त महिलाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं और हमारी पार्टी एवं प्रधानमंत्री ने हम सभी को सशक्त बनाया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एक सशक्त महिला का एक शानदार उदाहरण है और हमारी पार्टी की प्रत्येक महिला सांसद सशक्तीकरण का प्रतीक है

और स्वीकार किया है कि किसी राष्ट्र का विकास उसकी महिलाओं के विकास से अटूट रूप से जुड़ा हुआ है। यह प्रतिबद्धता पिछले नौ वर्षों में शुरू की गई असंख्य नीतिगत पहलों में परिलक्षित होती है और परिणाम स्पष्ट हैं।

एक पार्टी के रूप में, भाजपा ने लगातार महिला आरक्षण की वकालत की है। हम सशक्त महिलाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं और हमारी पार्टी एवं प्रधानमंत्री ने हम सभी को सशक्त बनाया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एक सशक्त महिला का एक शानदार उदाहरण है और हमारी पार्टी की प्रत्येक महिला सांसद सशक्तीकरण का प्रतीक है। हमारी चुनी हुई महिला प्रतिनिधि निस्संदेह संसदीय बहसों की गुणवत्ता बढ़ाएंगी, कानून और नीति निर्माण को प्रभावित करेंगी और सभी भारतीयों की बेहतरी के लिए शासन में सकारात्मक योगदान देंगी।

हमें याद रखना चाहिए कि महिलाओं को सशक्त बनाने का मतलब एक राष्ट्र को सशक्त बनाना है। जब महिलाएं आगे बढ़ती हैं, तो समाज समृद्ध होता है। जैसाकि हम इस महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़े हैं, यह केवल हासिल किए गए मील के पत्थर का जश्न मनाने के बारे में नहीं है, बल्कि आगे आने वाली असीमित संभावनाओं की प्रतीक्षा करने के बारे में भी है। भारत वैश्विक मंच पर एक उदाहरण स्थापित कर रहा है, यह प्रदर्शित करते हुए कि प्रतिबद्धता, दृष्टि और कार्रवाई के साथ, लैंगिक बाधाओं को दूर किया जा सकता है, जिससे अधिक समावेशी, समृद्ध और संतुलित भविष्य का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।

नारी शक्ति वंदन अधिनियम का सार और इसी तरह की पहल सभी के लिए आशा, प्रगति और उज्जवल भविष्य का वादा करती है। यह पूरे देश के लिए एक साथ एकजुट होने और यह सुनिश्चित करने का आह्वान है कि परिवर्तन की बयार आने वाली पीढ़ियों तक चलती रहे।

(लेखक केंद्रीय वित्त मंत्री हैं)