मोदी की आर्थिक नीतियां अधिक सुदृढ़: नये भारत की प्रेरणा

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डॉ. आर. बालाशंकर

रेन्द्र मोदी सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल में भारत ने विश्व आर्थिक विकास के प्रेरक के रूप में स्थान सुरक्षित किया है। भारत 7.9 प्रतिशत की वृद्धि दर से विकास कर रहा है, जबकि विश्व की वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत है। शेयर बाजार तेजी से बढ़ रहा है। पहली बार भारत में बिजली और कोयले का अतिरिक्त उत्पादन हुआ है। ऊर्जा परिदृश्य काफी आशाजनक है। ऐसे समय में जब तेल की कीमत कम हो रही है, भारत सफलतापूर्वक ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत विकसित कर रहा है। मुद्रास्फीति कम है। ऋण दरें कम हो गई हैं। अधिक ऋण लिया जा रहा है। देश के बुनियादी ढांचा क्षेत्र में सबसे अधिक सार्वजनिक निवेश हुआ है। सभी आर्थिक मूल सिद्धांत सतत् आर्थिक विकास के लिए सकारात्मक हैं, जिसके परिणाम स्वरूप भारत विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने की ओर अग्रसर है।

मोदी सरकार ने असल में भारत की उस गौरव गाथा को दोबारा हासिल कर लिया है, जो नीतिगत पक्षाघात, घनिष्ट पूंजीवाद और भ्रष्टाचार के कारण मलिन हो गई थी। श्री मोदी ने साबित कर दिया है कि अच्छा अर्थशास्त्र अच्छी राजनीति है। उन्होंने विकास को भारतीय राजनीतिक बहस का केंद्रीय विषय बना दिया है। वास्तव में यह वर्तमान सरकार के पिछले तीन वर्षों की सबसे बड़ी उपलब्धि है।

यह पहले की राजनीति से काफी अलग है, जब राष्ट्रीय भाषणों में भावनात्मक, जाति, साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण और पहचान के मुद्दें छाये रहते थे। हाल ही के प्रत्येक चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़े जा रहे हैं। जनता की प्रतिक्रिया से राजनीतिक दल नैतिक रूख अपनाने और महत्वाकांक्षी भारत की चिंताओं को दूर करने के लिए मजबूर हो गए हैं। इसी तरह प्रधानमंत्री ने राजनीति को पुनः गढ़ा है। सबके साथ, सबका विकास यानी प्रत्येक व्यक्ति एक हितधारक के रूप में सबके विकास के लिए जिम्मेदार है।

इसके लिए मोदी सरकार टीम इंडिया की दिशा में आगे बढ़ी है, जहां प्रत्येक राज्य आर्थिक विकास का साधन बना है और निवेश को बढ़ावा देने तथा कारोबार में सुगमता लाने का वातावरण तैयार करने के लिए राज्य एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। इसके लिए केंद्र ने 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के तर्ज पर राज्यों के लिए महत्वपूर्ण रूप से आवंटन बढ़ा दिया है। वस्तुओं की संवैधानिक योजना में विकास, बिजली, पानी, सड़क, भूमि और शिक्षा जैसे सभी प्रमुख पहलू राज्य या समवर्ती सूची में हैं। नीति आयोग के माध्यम से नियोजन की भूमिका को दोबारा परिभाषित करना सकारात्मक विकास के लिए राज्यों की पहलों को बढ़ावा देने का कदम था। इसके परिणामस्वरूप मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और बिहार जैसे राज्यों ने कृषि क्षेत्र में दोहरे अंकों की विकास दर हासिल कर राष्ट्रीय कृषि विकास की दर को बढ़ाया है।

सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना इस कहानी का एक और पहलू है। आजादी के बाद से पहली बार सबसे अधिक संख्या में 35 करोड़ लोग बैंक खाताधारक बने हैं। ये सभी लोग स्वतः ही जीवन बीमा के लिए पात्र हो गए हैं। सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने को बढ़ावा देने, दस मिलियन से अधिक परिवारों द्वारा सब्सिडी छोड़ने और गरीब परिवारों को सीधे नकद हस्तांतरण के जरिए 55 हजार करोड़ रुपये की बचत से अधिक संख्या में लोगों को निःशुल्क रसोई गैस कनेक्शन मिल रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना और मुद्रा योजना के जरिए आवास और रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाकर ऐसे लाखों लोगों के सपनों को साकार किया गया, जिन्हें कभी अपना घर होने या स्वयं का व्यापार शुरू करने की उम्मीद ही नहीं थी।

ग्रामीण विद्युत्तीकरण से सात दशकों में पहली बार 19 हजार गांवों में बिजली पहुंचाई गई। पिछली सरकार की मनरेगा और आधार जैसी अच्छी तथा व्यवहार्य योजनाओं को और सुदृढ़ किया गया। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री जीवन बीमा, सुरक्षा योजना तथा स्वास्थ्य अभियान, दवाओं और स्टेंट की कीमतों के नियमन जैसी नई कल्याणकारी पहलों से ग्रामीण जीवन शैली में क्रांति लाई गई है। इन उपायों से निम्न आय वर्ग के लोगों में आशा और विश्वास जगा है। विमुद्रीकरण अधिक समानतावादी सामाजिक व्यवस्था बनाने के लिए धन के पुनर्वितरीकरण की दिशा में प्रमुख कदम था। इससे करोड़ों रुपये का कालाधन बाहर आया और करोड़ों रुपये की नकली मुद्रा समाप्त हुई।

मोदी सरकार ने तीन वर्षों में जो हासिल किया है, वह विकास की दृष्टिकोण से संपूर्ण सोच में परिवर्तन है। सरकार ने तेल सब्सिडी को समाप्त कर, सेवा शुल्क को तर्कसंगत बनाकर, बेहतर कर संग्रह, कोयला ब्लॉकों तथा स्पेक्ट्रम की नीलामी के माध्यम से अप्रत्याशित लाभ सुनिश्चित कर सार्वजनिक कोषों में भारी बचत की है, जिन्हें पिछली सरकार ने शून्य मूल्य संपत्ति बताया था। ऐसा करके प्रधानमंत्री ने न केवल अपनी शपथ को कायम रखा कि वे एक पहरेदार के रूप में राष्ट्रीय खजाने की सुरक्षा करेंगे, बल्कि सार्वजनिक जीवन में घनिष्ठ संबंधों को भी समाप्त किया। नकद रहित समाज और डिजिटल लेनदेन के विचार की जड़ में विवेकपूर्ण आर्थिक योजना थी। सरकार का नीति संचालित, विश्वसनीय, लक्षित और लोगों पर केंद्रित दृष्टिकोण रहा है। अधिकार, विशेषाधिकार और माई-बाप की सरकार का शासन अतीत की बात है। असल में शासन के प्रतिदिन के कार्यों में असली लोकतंत्र ताजी हवा का झोंका है, जो श्री नरेन्द्र मोदी राजनीति और शासन में लाए हैं।

इन वर्षों में भारत ने कारोबार करने में आसानी के सूचकांक में ऊपर का स्थान हासिल किया है। कुछ महीने पहले इंडिया ऑन लाइन शीर्षक से मुख्य कहानी में द इकोनॉमिस्ट ने लिखा, “प्रति सेकेंड तीन भारतीय पहली बार इंटरनेट का अनुभव करते हैं। 2030 तक उनमें से एक बिलियन से अधिक ऑनलाइन होंगे…भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और पृथ्वी पर सहस्त्राब्दि की सबसे अधिक आबादी यहां होने का दावा करता है … और आप देख सकते हैं कि फेसबुक, उबर और गूगल जैसी कंपनियां यहां पर अपना आधार तैयार करने के लिए क्यों उत्सुक हैं…।” स्पष्ट है कि एनडीए के शासन के तहत भारत राजस्व गुणक और निवेश गंतव्य है तथा हाल ही में रोजगार बाजार में भी इसकी संभावनाएं बढ़ी है।

सफल स्टार्ट-अप्स से भारत विश्व का विनिर्माण केंद्र बन रहा है। लोकतंत्र, विश्वसनीय संस्थागत ढांचे, भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी प्रणालियों से भारत को चीन की तुलना में निवेशकों का विश्वास जीतने में मदद मिली है। श्री मोदी ने भारत के लिए एक नया पत्ता खोला है, जिसने 30 मिलियन से अधिक प्रवासी भारतीय नागरिकों को भारत की विकास गाथा में विश्वास करने के लिए प्रेरित किया और विदेशों से भेजी गई काफी धनराशि देश में आई। तीन वर्ष में श्री मोदी ने निराशा को आशा में बदल दिया है और जैसा कि विश्व बैंक ने कहा है कि भारत अंधेरे समुद्र में एकमात्र सिल्वर लाइन है।

(लेखक भाजपा राष्ट्रीय प्रकाशन विभाग के सदस्य हैं)