पिछले नौ महीनों में अंतरिक्ष स्टार्टअप्स में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का हुआ निवेश

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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 17 दिसंबर को कहा कि चालू वित्त वर्ष के पिछले नौ महीनों में अप्रैल से दिसंबर 2023 तक भारत में अंतरिक्ष स्टार्टअप्स में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ है। डॉ. सिंह ने कहा कि ऐसा इसलिए संभव हुआ है, क्योंकि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लिए गए एक साहसिक निर्णय के बाद भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप उद्योग जगत के साथ-साथ निजी क्षेत्र के निवेशकों से भी बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।

उन्होंने कहा कि चार वर्ष पहले अंतरिक्ष क्षेत्र में सिर्फ एक स्टार्टअप था, लेकिन इस क्षेत्र के खुलने के बाद हमारे पास लगभग 190 निजी अंतरिक्ष स्टार्ट-अप्स हैं और उनमें से पहले स्टार्ट-अप वाले अब उद्यमी बन गए हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कुल मिलाकर वर्ष 2014 के लगभग 350 स्टार्ट-अप्स से बढ़कर आज हमारे पास यूनिकॉर्न के अलावा लगभग 1,30,000 स्टार्ट-अप हैं।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पुराने अप्रचलित नियमों को खत्म कर दिया है और प्रौद्योगिकी के अधिकतम उपयोग के माध्यम से नागरिक-केंद्रित शासन पर ध्यान केंद्रित किया है। डॉ. सिंह ने कहा कि इसी तरह श्रीहरिकोटा के द्वार सभी हितधारकों के लिए खोल दिए गए हैं।

उन्होंने आगे कहा कि इतना ही नहीं, सरकार अधिकतम सीमा तक प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए इच्छुक रही है और उन सभी बाधाओं या अवरोधक नियमों को दूर करना चाहती है जो बहुत सुविधाजनक नहीं थे।

स्वामित्व योजना और डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र के लिए चेहरा पहचान तकनीक के अंतर्गत भूमि स्वामित्व के मानचित्रण में उपग्रहों और ड्रोन के अनुप्रयोग का हवाला देते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हमारा चंद्रयान मिशन चंद्रमा पर पानी के साक्ष्य की खोज करने वाला पहला मिशन था।

डॉ. सिंह ने कहा कि दुनिया भविष्य में एकीकृत प्रौद्योगिकी आधारित विकास देखेगी। उन्होंने कहा कि भारत अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता और क्वांटम टेक्नोलॉजी सहित प्रौद्योगिकी के अग्रणी क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

अरोमा मिशन की सफलता का हवाला देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत के पास अप्रयुक्त जैव संसाधनों की एक ऐसी बड़ी संपदा है, जो हिमालय से लेकर 7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा तक असंतृप्त संसाधन दोहन की प्रतीक्षा कर रही है।

यह कहते हुए कि अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) इस पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण पूरक होगा, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसे मुख्य रूप से गैर-सरकारी स्रोतों से वित्त पोषित किया जाएगा।

एनआरएफ को लागू करते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के साथ-साथ ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र को समृद्ध करता है, जो छात्रों को मानविकी और वाणिज्य जैसे अध्ययन की विभिन्न धाराओं से विज्ञान और इंजीनियरिंग के लिए स्विच ओवर या संयोजन की अनुमति देकर उन्हें ‘उनकी आकांक्षाओं के बंदी’ होने से मुक्त करता है।