नरेन्द्र मोदी : प्रतिकूलता को अवसर में बदलना

| Published on:

मोदी स्टोरी                                                                                          —थिरुपुगाज

प्रतिकूल परिस्थितियों में सच्चे नेता न केवल चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का प्रबंधन करने, बल्कि उन्हें विकास और नवाचार के अवसरों में बदलने की उल्लेखनीय क्षमता के साथ उभरते हैं। श्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हीं स्थितियों के लिए ‘आपदा में अवसर’ का मुहावरा दिया और इन सभी वर्षों में अपने कार्यों से इसे साबित भी किया। अपने सार्वजनिक जीवन में श्री मोदी ने प्रतिकूलताओं को अवसरों में बदलने की अद्वितीय प्रतिभा का प्रदर्शन किया।

2001 का गुजरात भूकंप भारत की सबसे बड़ी आपदाओं में से एक है। इस भूकंप में 13,805 लोगों की जान गई, 19 जिले समेत 1 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हुए। कच्छ, भुज, बचाऊ, अंजार और रोपड़ जैसे क्षेत्र 95 प्रतिशत तक ध्वस्त हो गये थे। इस भूकंप के बाद पुनर्निर्माण कार्य सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बन गया। लगभग 12 लाख घरों, 42,000 स्कूल के कमरों, 10,000-12,000 स्कूलों की या तो मरम्मत की जानी थी या अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे का पुनर्निर्माण किया जाना था। लाखों लोगों की आजीविका को पटरी पर लाना था।

सेवानिवृत्त आईएएस श्री थिरुपुगाज याद करते हैं कि इस दौरान पुनर्निर्माण नीतियों की घोषणा की गई। इनका कार्यान्वयन धीरे-धीरे बढ़ रहा था और उस समय श्री मोदी ने कार्यभार संभाला ही था। उन्होंने प्रगति की समीक्षा की और देरी के मामलों पर सख्ती की। उन्होंने कहा, ‘हम पुनर्निर्माण करेंगे, हम निश्चित रूप से प्रगति करके दिखाएंगे।’ उन्होंने प्रत्येक प्रभावित तालुका को एक सचिव स्तर के अधिकारी को सौंपने जैसे अभिनव कदम उठाए। उन्होंने सचिवों से कहा कि गांधीनगर स्थित सचिवालय में बैठने का कोई मतलब नहीं है। सभी को मैदान में जाने के लिए निर्देशित किया गया। शुक्रवार, शनिवार और रविवार को सचिवों को अपने निर्धारित तालुका में जाना होता था और सोमवार सुबह मुख्यमंत्री श्री मोदी प्रगति का जायजा लेने के लिए समीक्षा बैठक करते थे। श्री मोदी ने उन्हें पर्याप्त शक्तियां भी दीं; उन्हें वहां जाने और मौके पर ही निर्णय लेने की अनुमति दी गई। इस प्रकार, उन्होंने सत्ता को विकेंद्रीकृत करके प्रणाली को सशक्त बनाने की चुनौती को एक अवसर में बदल दिया ताकि आपदा प्रबंधन अधिक स्थानीयकृत और भागीदारीपूर्ण हो सके।’

एक और बड़ी चुनौती जिसका सामना करना पड़ा रहा था, वह थी कि हमारे सामने सीखने के लिए पुनर्निर्माण का कोई मॉडल उपलब्ध नहीं था। फिर, सहभागी दृष्टिकोण पर आधारित नए शहर और विकासात्मक योजना को अपनाया गया। इस योजना का उत्कृष्ट पहलू मालिक द्वारा संचालित पुनर्निर्माण कार्यक्रम था। इस प्रकार, डोनर-संचालित (ऊपर-नीचे दृष्टिकोण) के बजाय, नीचे-ऊपर दृष्टिकोण अपनाया गया।

इसलिए मुख्यमंत्री श्री मोदी के कुशल नेतृत्व में इन सभी चुनौतियों पर काबू पाया गया। इंजीनियरों और निगरानी एजेंसियों की भर्ती की गई, निर्माण सामग्री की गुणवत्ता का परीक्षण किया गया और सामग्री बैंक बनाए गए। तो, अंततः यह मालिक-संचालित पुनर्निर्माण कार्यक्रम एशियाई देशों के लिए अंतिम मॉडल बन गया। इस प्रकार, इस विशाल चुनौती से दुनिया को एक वैश्विक मॉडल देने का अवसर तैयार हुआ।

एक और घटना है जो दर्शाती है कि श्री नरेन्द्र मोदी न केवल स्थिति को संभालते हैं बल्कि उसे पलट देते हैं और विपरीत परिस्थिति में भी अवसर ढूंढ़ लेते हैं। प्रशासन कच्छ में जान गंवाने वाले लोगों के लिए एक स्मारक बनाने की योजना बना रहा था। कुछ जापानी और स्मारकों के अन्य मॉडलों को देखा गया।

श्री नरेन्द्र मोदी जान गंवाने वाले हर व्यक्ति के लिए एक पेड़ लगाने के सबसे नवीन विचारों में से एक लेकर आए और फिर 13,805 पेड़ लगाए गए और प्रत्येक पेड़ उस व्यक्ति को समर्पित किया गया, जिसने अपनी जान गंवाई थी। उनका विचार था कि परिवार साल में एक बार आएंगे और अपने पेड़ का रखरखाव करें और इस पेड़ को वह अपनी परिजन के तौर पर अपनाए।

उन्होंने इसका नाम स्मृति वन रखा, जो कि जान गंवाने वाले लोगों के नाम पर उनकी याद में एक क्षेत्र था और इसीलिए इसे स्मृति वन कहा जाता है।

श्री नरेन्द्र मोदी की विरासत नेतृत्व के एक शक्तिशाली प्रमाण के रूप में खड़ी है जो प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच पनपती है, शासन और आपदा प्रतिक्रिया के परिदृश्य पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ती है। प्रतिकूलता को अवसर में बदलने की उनकी क्षमता प्रेरणा की किरण के रूप में हम सभी के समक्ष है।