केन्द्रीय गृह मंत्री ने गांधीनगर में गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के नए कैंपस का भूमिपूजन किया

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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज गुजरात की राजधानी गांधीनगर में गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के नए कैंपस का भूमिपूजन किया। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

श्री अमित शाह ने गांधीनगर महानगर पालिका द्वारा सेक्टर-15 के पास G-4 रोड पर निर्मित अंडरपास का उद्घाटन किया।

श्री शाह ने रूपाल गांव, गांधीनगर में सुप्रसिद्ध श्री वरदायिनी माता मंदिर परिसर में नवनिर्मित स्वर्ण गर्भगृह के उद्घाटन के अवसर पर मां के दर्शन कर पूजा-अर्चना भी की।

अपने संबोधन में श्री अमित शाह ने गुजरात सरकार को इस विश्वविद्यालय के लिए 100 एकड़ भूमि देने के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि जिस राज्य या देश की यूनिवर्सिटी उन्नत, उन्मुख और मुक्त मन से विचरण करने वाली ना हो, उस राज्य या देश का भविष्य कभी उज्ज्वल नहीं हो सकता। श्री शाह ने कहा कि संपूर्ण सुविधायुक्त इस यूनिवर्सिटी में प्रशासनिक, शैक्षणिक, छात्रावास और पुस्तकालय सहित 14 बड़े भवन होंगे और लगभग 65 हज़ार वर्ग मीटर का इको-फ्रेंडली कंस्ट्रक्शन होगा और इसमें 84 प्रतिशत क्षेत्र खुला रखा गया है जिससे छात्र प्रकृति के साथ जुड़ सकें। यहां वर्षा के जल के संचयन, सौर ऊर्जा, एलईडी और वेस्ट वॉटर के शत-प्रतिशत उपयोग की व्यवस्था की गई है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने GTU की स्थापना के समय कहा था कि टेक्नोलॉजी के बिना देश का भविष्य उज्ज्वल नहीं हो सकता, देश विकसित नहीं बन सकता और हमारे युवा विश्व के युवाओं के साथ प्रतियोगिता नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि दुनिया की आधुनिकतम शिक्षा के उपयोग के लिए अगर देश में माहौल या मंच नहीं मिलेगा तो क्या लाभ। श्री शाह ने कहा कि देश के युवाओं के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अनेक संभावनाओं के द्वार खोले हैं। उन्होंने कहा कि मोदी जी देश के सामने 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का जो लक्ष्य रखा है वो युवाओं के लिए देश में असीम संभावनाएं भी खोलने का द्वार प्रशस्त करेगा। आज जीटीयू में 4 लाख छात्र टेक्निकल पढ़ाई करके आगे बढ़ रहे हैं और लगभग 15 हज़ार शिक्षक उन्हें शिक्षा दे रहे हैं।

श्री अमित शाह ने युवाओं से कहा कि मोदी जी द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति का अध्य्यन करके इसे आत्मसात करने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने नई शिक्षा नीति में हमारी पुरानी ज्ञान परंपरा और अत्याधुनिक तकनीकी शिक्षा को जोड़कर एक सशक्त प्लेटफॉर्म देश के युवाओं के लिए तैयार किया है। उन्होंने कहा कि भारत में शिक्षा व्यवस्था बहुआयामी थी, लेकिन दुर्भाग्यवश अंग्रेजों द्वारा बनाई गई शिक्षा व्यवस्था पर हम 75 सालों तक चले,लेकिन अब प्रधानमंत्री मोदी ने शिक्षा व्यवस्था को मल्टीसेक्टोरल बनाया है। श्री शाह ने कहा कि पहले शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी पाना होता था लेकिन नई शिक्षा नीति का उद्देश्य विद्यार्थी की क्षमता को बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि ये शिक्षा नीति एक डॉक्यूमेंट नहीं है बल्कि भारत के शिक्षार्थियों और नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है। श्री शाह ने कहा कि नई शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं, कला, संस्कृति और विद्यार्थियों की सृजनक्षमता को विकसित करने को प्राथमिकता दी गई है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने तकनीक की सहायता से देशवासियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने का बीड़ा उठाया है औरजब मोदी जी तकनीक के माध्यम से लोगों का जीवन सुधारने का प्रयास करते हैं तो ऐसे हर प्रयास में आपके लिए बहुत अवसर हैं। चाहे विधवा पेंशन हो या फिर छात्रवृत्ति, पैसा सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुंचता है और ये व्यवस्था तकनीक के आधार पर लोगों के जीवनस्तर को उठाने के लिए बनाई है। उन्होंने कहा कि तकनीक के माध्यम से निर्धन व्यक्ति को उसका राशन मिल जाता है। इसके अलावा डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांस्फर, सरकारी क्रय में GEM की व्यवस्था, कृषि क्षेत्र में मृदा स्वास्थ्य कार्ड, सारी कृषि मंडियों को ई-मंडी बनाने की योजना, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, 28 करोड़ LED बल्बों का देश में वितरण और देशभर में 2 करोड़ से भी अधिक संपत्तियों की जियोटैगिंग करना, ये सब तकनीक से ही संभव है और हर इस योजना में देश के युवाओं के लिए एक अच्छी संभावना है।

श्री अमित शाह ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा के चार वर्टिकल बनाए हैं- नेशनल हायर एजुकेशन रेगुलेटरी काउंसिल, हायर एजुकेशन काउंसिल, जनरल एजुकेशन काउंसिल और नेशनल एक्रीडिटेशन काउंसिल। इन चारों स्तंभों के माध्यम से शिक्षा की सभी जरूरतों को पूरी करने का काम किया गया है। ई लर्निंग पर जोर दिया गया है, मल्टीडिसिप्लिनरी विद्यालय के कलस्टर की स्थापना की गई है और एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट का भी गठन किया है जिससे आपकी मेहनत का परिणाम एक योग्य प्लेटफार्म के माध्यम से आपको मिल सके। ‘स्वयं’ के तहत खुद पढ़ाई लिखाई करने की व्यवस्था की है और आज देश में 59 हायर एजुकेशन संस्थान, 351 सौ प्रतिशत ऑनलाइन करिकुलम लेकर आए हैं और यही बताता है कि आने वाले दिनों में विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए किसी यूनिवर्सिटी की आवश्यकता नहीं होगी। रिसर्च एंड इनोवेशन के लिए बहुत सारे प्रोविजन किए गए हैं और सबसे बड़ी बात है क्षेत्रीय भाषाओं को महत्व देना। विद्यार्थी जब अपनी भाषा में सोचता है तभी वह अच्छे से अनुसंधान कर सकता है क्योंकि उसकी सोचने की नैसर्गिक शक्ति अपनी भाषा से उसे प्राप्त होती है। इसके लिए जेईई और नीट परीक्षाओं को 12 भाषाओं में आयोजित करने की हमने शुरुआत की है। इसी तरह कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट देश की 13 भाषाओं में ले रहे हैं और इंजीनियरिंग कॉलेजों में हिंदी, तमिल, कन्नड़, तेलुगू, मराठी, बंगाली और गुजराती में पूरे पाठ्यक्रम का अनुवाद करने का काम शुरू हो गया है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि विद्यार्थी जब अपनी भाषा में सोचता है तभी वह अनुसंधान कर सकता है, और जब वो दूसरी भाषा में सोचता है तो रटा रटाया ज्ञान ही प्राप्त करता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने पूरी व्यवस्था इसके लिए की है और स्टडी इन इंडिया कार्यक्रम भी शुरू किया है जिसके माध्यम से वर्ष 2022 तक डेढ़ लाख विदेशी छात्र आज भारत में पढ़ाई कर रहे हैं। श्री शाह ने कहा कि 2014 में केवल 30 केंद्रीय विश्वविद्यालय थे जो आज 46 हैं, आईआईटी 16 थे जो अब 23 हैं, आईआईएम 13 थे जो अब 20 हैं, आईआईआईटी 9 थे जो अब बढ़कर 25 हो गए हैं, एम्स 7 थे जो अब 22 हो गए हैं, मेडिकल कॉलेज 387 थे जो बढ़कर 596 हो गए हैं और कुल विश्वविद्यालय देश में 723 थे जिन्हें बढ़ाकर 1043 करने का काम केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने सिर्फ 7 साल में किया।

श्री अमित शाह ने कहा कि ये आजादी के अमृत महोत्सव का वर्ष है और प्रधानमंत्री मोदी ने देश के नागरिकों, विशेषकर युवाओं, का आह्वान किया है कि जब 2047 में आजादी की शताब्दी मनाई जाएगी, उस वक्त हर क्षेत्र में भारत प्रथम स्थान पर होना चाहिए। लेकिन यह पुरुषार्थ और संकल्प के बिना नहीं होगा और हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए एक राष्ट्र का संकल्प हमें लेना है। यह तय करना है कि जब स्वतंत्रता की शताब्दी मनाई जाएगी तब हम कहां खड़े होंगे। इसके साथ ही देश की 130 करोड़ की जनता को भी संकल्प लेना है। उन्होंने कहा कि देश के हर व्यक्ति को संकल्प लेना चाहिए, चाहे संकल्प बहुत छोटा हो, मगर उसका पालन जीवनपर्यंत कीजिए। इसी प्रकार 130 करोड़ भारतीय अगर संकल्प लेते हैं तो देश 130 करोड़ कदम आगे बढ़ता है और यही देश को महान बनाता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हम सभी को भारत को महान बनाने की इस प्रक्रिया में अपने आप को लगा देना चाहिए।