हमारे हित समान हैं, हमारी प्राथमिकताएं समान हैं: नरेन्द्र मोदी

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दूसरा वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 17 नवंबर को दूसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को वर्चुअल रूप से संबोधित किया। इस अवसर पर श्री मोदी ने कहा कि वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ 21वीं सदी की बदलती हुई दुनिया का सबसे अनूठा मंच है। भौगोलिक रूप से ग्लोबल साउथ तो हमेशा से रहा है, लेकिन उसे इस प्रकार से वॉयस पहली बार मिल रही है और ये हम सभी के साझा प्रयासों से संभव हुआ है।

उन्होंने कहा कि हम 100 से ज्यादा अलग-अलग देश हैं, लेकिन हमारे हित समान हैं, हमारी प्राथमिकताएं समान हैं। श्री मोदी ने कहा कि मैं वो ऐतिहासिक क्षण भूल नहीं सकता जब भारत के प्रयासों से अफ़्रीकी संघ को नई दिल्ली समिट में जी-20 की स्थायी सदस्यता मिली।

उन्होंने कहा कि भारत मानता है कि नई टेक्नॉलॉजी, नॉर्थ और साउथ के बीच दूरियां बढ़ाने का नया स्रोत नहीं बनना चाहिए। आज Artificial Intelligence (कृत्रिम मेधा) AI के युग में टेक्नॉलॉजी को जिम्मेदार तरीके से उपयोग में लाने की बहुत जरूरत है। इसको आगे बढ़ाने के लिए भारत में अगले महीने AI ग्लोबल पार्टनरशिप समिट आयोजित की जा रही है।

श्री मोदी ने कहा कि वैश्विक समृद्धि के लिए ‘सबका साथ और सबका विकास’ जरूरी है, लेकिन हम सभी देख रहे हैं कि पश्चिम एशिया क्षेत्र की घटनाओं से नई चुनौतियां उभर रही हैं। भारत ने 7 अक्टूबर को इजराइल में हुए जघन्य आतंकी हमले की निंदा की है।

उन्होंने कहा कि हमने संयम के साथ ही डायलॉग और डिप्लोमेसी पर भी जोर दिया है। इजराइल और हमास के संघर्ष में नागरिकों की मौत की हम कठोर निंदा करते हैं। राष्ट्रपति महमूद अब्बास जी से बातकर हमने फिलिस्तीन के लोगों के लिए मानवीय सहायता भी भेजी है। ये समय है जब ग्लोबल साउथ के देश बृहत्तर ग्लोबल गुड के लिए एक स्वर में बात करें।

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वर्चुअल जी-20 शिखर सम्मेलन

आतंकवाद हम सभी को अस्वीकार्य है: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 22 नवंबर को वर्चुअल जी-20 शिखर सम्मेलन में अपना प्रारंभिक वक्तव्य दिया। इसमें उन्होंने कहा कि अविश्वास और चुनौतियों से भरी आज की दुनिया में ये आपसी विश्वास ही है जो हमें बांधता है, एक दूसरे से जोड़ता है। इस एक साल में हमने ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ में विश्वास जताया है और विवादों से हटकर एकता और सहयोग का परिचय दिया है।

श्री मोदी ने कहा कि पिछले महीनों में नयी चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं। पश्चिम एशिया क्षेत्र में असुरक्षा और अस्थिरता की स्थिति हम सबके लिए चिंता का विषय है। आज हमारा एक साथ आना इस बात का प्रतीक है कि हम सभी मुद्दों के प्रति संवेदनशील हैं और इनके समाधान के लिए एक साथ खड़े हैं। हम मानते हैं कि आतंकवाद हम सभी को अस्वीकार्य है। नागरिकों की मौत कहीं भी हो निंदनीय है।

उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के विश्व को आगे बढ़ते हुए ग्लोबल साउथ की चिंताओं को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी। ग्लोबल साउथ के देश ऐसी अनेक कठिनाइयों से गुज़र रहे हैं जिनके लिए वे ज़िम्मेदार नहीं है। इस संदर्भ में समय की मांग है कि हम विकास एजेंडा को अपना पूर्ण समर्थन दें।

श्री मोदी ने कहा कि नई दिल्ली समिट में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर रिपॉजिटरी बनाने का निर्णय लिया था। मुझे कहते हुए खुशी है कि यह रिपॉजिटरी तैयार हो गई है। इसमें 16 देशों के 50 से भी ज्यादा DPI जुड़ गए हैं। ग्लोबल साउथ के देशों मे DPI इम्प्लिमेन्ट करने के लिए मैं सोशल इम्पैक्ट फंड स्थापित करने का प्रस्ताव रखता हूं। भारत की ओर से मैं इसमें 25 मिलियन डॉलर की प्रारंभिक राशि भी जोड़ने की घोषणा करता हूं। मैं उम्मीद करता हूं कि आप सभी इस पहल से जुड़ेंगे।