केन्द्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा पांच अप्रैल को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार स्टैंड-अप इंडिया योजना के तहत 7 वर्षों के दौरान 1,80,630 से अधिक खातों में 40,700 करोड़ रुपये से अधिक की राशि आवंटित की गई। उल्लेखनीय है कि इस योजना की शुरुआत 5 अप्रैल, 2016 को आर्थिक सशक्तीकरण और रोजगार सृजन पर ध्यान केन्द्रित करते हुए जमीनी स्तर पर उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी। इस योजना को वर्ष 2025 तक के लिए बढ़ा दिया गया है।
केन्द्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामन ने कहा कि यह मेरे लिए बेहद गर्व और संतोष की बात है कि 1.8 लाख से अधिक महिलाओं तथा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों के लिए 40,600 करोड़ रुपये से अधिक राशि के ऋण स्वीकृत किए गए हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदायों को सशक्त बनाने और महिला सशक्तीकरण सुनिश्चित करने में स्टैंड अप इंडिया पहल की भूमिका को स्वीकार किया। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया कि आज हम स्टैंड अप इंडिया की सातवीं वर्षगांठ मना रहे हैं और उस भूमिका को स्वीकार करते हैं जो इस पहल ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदायों को सशक्त बनाने और महिला सशक्तीकरण सुनिश्चित करने में निभाई है। इसने उद्यम की भावना को भी बढ़ावा दिया है, जिससे हमारे लोग धन्य हैं।
एसयूपीआई योजना की सातवीं वर्षगांठ के अवसर पर केन्द्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि इस योजना ने एक ऐसा इकोसिस्टम बनाया है जिसने सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की शाखाओं से मिलने वाले ऋण के जरिए ग्रीनफील्ड उद्यम स्थापित करने में एक सहायक वातावरण के निर्माण को सुविधाजनक बनाया है और उसे जारी रखा है। ‘स्टैंड-अप इंडिया’ योजना अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित हुई है।
21 मार्च, 2023 तक स्टैंड-अप इंडिया योजना के अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और महिला लाभार्थियों का विवरण निम्न है: