प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के शहडोल में राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया मुक्ति मिशन का किया शुभारंभ

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एक जुलाई को मध्य प्रदेश के शहडोल में राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया मुक्ति मिशन का शुभारंभ किया और लाभार्थियों को सिकल सेल आनुवंशिक स्थिति कार्ड वितरित किए। प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश में लगभग 3.57 करोड़ आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) कार्ड के वितरण कार्यक्रम की भी शुरुआत की। कार्यक्रम के दौरान श्री मोदी ने 16वीं सदी के मध्य में गोंडवाना की शासक रानी दुर्गावती को सम्मानित किया।

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने रानी दुर्गावती को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया मुक्ति मिशन आज शुरू किया जा रहा है, जो उनसे प्रेरित है। उन्होंने यह भी बताया कि मध्य प्रदेश के लोगों को 1 करोड़ आयुष्मान कार्ड जारी किये जा रहे हैं। श्री मोदी ने रेखांकित किया कि इन दो प्रमुख प्रयासों के सबसे बड़े लाभार्थी गोंड, भील और अन्य आदिवासी समाज के लोग हैं। उन्होंने इस अवसर पर मध्य प्रदेश की जनता और डबल इंजन सरकार को बधाई दी।

श्री मोदी ने कहा कि आज शहडोल की धरती से देश जनजातीय समुदाय के लोगों के जीवन को सुरक्षित करने, सिकल सेल एनीमिया से मुक्त करने और इस बीमारी से प्रभावित ढाई लाख बच्चों और परिवारों के जीवन बचाने का एक बड़ा संकल्प ले रहा है। जनजातीय समुदायों के साथ अपने व्यक्तिगत अनुभव को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने सिकल सेल एनीमिया के दर्दनाक लक्षणों और आनुवंशिक उत्पत्ति को रेखांकित किया।

श्री मोदी ने कहा कि सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन का यह अभियान अमृत काल का एक प्रमुख मिशन बनेगा। उन्होंने 2047 तक आदिवासी समुदायों और देश को सिकल सेल एनीमिया के खतरे से मुक्त करने का दृढ़ संकल्प व्यक्त किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बीमारी पूरे परिवार को प्रभावित करती है, क्योंकि बीमारी परिवार को गरीबी के जाल में फंसा देती है। गरीबी की अपनी पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए श्री मोदी ने कहा कि सरकार इस दर्द को समझती है और मरीजों की मदद के प्रति संवेदनशील है। इन प्रयासों से टीबी के मामलों में कमी आई है और देश 2025 तक टीबी को पूरी तरह खत्म करने की दिशा में काम कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने विभिन्न बीमारियों के बारे में तथ्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि 2013 में काला-जार के 11,000 मामले थे, जो अब घटकर एक हजार से भी कम हो गए हैं। 2013 में मलेरिया के 10 लाख मामले थे, जो 2022 में घटकर 2 लाख से भी कम हो गए हैं। इसी तरह कुष्ठ रोग के मामले भी 1.25 लाख से घटकर 70-75 हजार रह गए हैं।