प्रधानमंत्री मोदीजी की हालिया अंतरराष्ट्रीय यात्राएं : भारत की विदेश नीति के नए युग की शुरुआत

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विजय चौथाईवाले

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ऊर्जावान नेतृत्व में भारत-अमेरिका संबंधों ने एक नए अध्याय में प्रवेश किया है। भारत ने अतीत की िहचकिचाहट को पीछे छोड़ दिया है और नए आत्मविश्वास के साथ भरोसेमंद साझेदारी के दौर की ओर बढ़ गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा ऐतिहासिक थी, जिसने एक वैश्विक नेता के रूप में उनके कद की पुष्टि की। संयुक्त राष्ट्र में एक प्रभावशाली योग कार्यक्रम का नेतृत्व करने से लेकर महत्वपूर्ण रक्षा और सेमीकंडक्टर उत्पादन सौदे करने तक, प्रधानमंत्री मोदीजी की यात्रा ने भारत की सांस्कृतिक विरासत, राजनयिक कौशल और विश्व मंच पर इसके बढ़ते प्रभाव को सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया। प्रधानमंत्री मोदी का अमेरिका दौरा कई मायनों में अहम है। वह नेल्सन मंडेला और विंस्टन चर्चिल के प्रतिष्ठित वर्ग में शामिल हुए और अमेरिकी कांग्रेस को दो बार संबोधित करने वाले तीसरे विश्व नेता बने।

इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने रक्षा, प्रौद्योगिकी, माइक्रोचिप्स और वीजा नवीनीकरण सहित विभिन्न क्षेत्रों में कई समझौतों की घोषणा की। भारत ने एमक्यू-9 ‘रीपर’ सशस्त्र ड्रोन की खरीद के लिए एक समझौता किया। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा स्वदेशी रूप से निर्मित तेजस एमके-2 विमान के लिए जीई के 414 इंजनों के सह-उत्पादन की घोषणाएं की गई। माइक्रोन टेक्नोलॉजी भारत में 2.75 बिलियन डॉलर की नई सेमीकंडक्टर असेंबली और परीक्षण सुविधा के साथ 800 मिलियन डॉलर से अधिक का निवेश करेगी। अगले वर्ष नासा और इसरो का एक संयुक्त मिशन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भी भेजा जाएगा।

अमेरिका की अपनी राजकीय यात्रा समाप्त करने के बाद प्रधानमंत्री श्री मोदी मिस्र पहुंचे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को काहिरा के राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी द्वारा मिस्र के सर्वोच्च सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ द नाइल’ से सम्मानित किया गया। विगत 26 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली द्विपक्षीय यात्रा थी, भारत और मिस्र ने अपने संबंधों को ‘रणनीतिक साझेदारी’ तक बढ़ाया।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा ऐतिहासिक थी, जिसने एक वैश्विक नेता के रूप में उनके कद की पुष्टि की। संयुक्त राष्ट्र में एक प्रभावशाली योग कार्यक्रम का नेतृत्व करने से लेकर महत्वपूर्ण रक्षा और सेमीकंडक्टर उत्पादन सौदे करने तक, प्रधानमंत्री मोदीजी की यात्रा ने भारत की सांस्कृतिक विरासत, राजनयिक कौशल और विश्व मंच पर इसके बढ़ते प्रभाव को सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया

इस यात्रा के दौरान मोदी और अल-सिसी ने राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया। दोनों नेताओं ने राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग, रक्षा सहयोग, व्यापार और निवेश संबंधों, वैज्ञानिक और अकादमिक आदान-प्रदान और लोगों से लोगों के बीच संपर्क को मजबूत करने सहित व्यापक वार्ता के बाद रणनीतिक साझेदारी दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए गए। दोनों देशों ने तीन अन्य समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए; इसमें कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए; स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों की सुरक्षा और संरक्षण; एवं प्रतिस्पर्धा कानून शामिल है।

प्रधानमंत्री मोदीजी और राष्ट्रपति अल-सिसी ने जी-20 में आगे के सहयोग पर भी चर्चा की, जिसमें खाद्य और ऊर्जा असुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल साउथ के लिए एक ठोस पहल की आवश्यकता के मुद्दों पर प्रकाश डाला गया। प्रधानमंत्री ने अल-सिसी को सितंबर में नई दिल्ली में आयोजित होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने का निमंत्रण भी दिया। भारत के लिए प्रस्थान करने से पहले प्रधानमंत्री मोदीजी ने काहिरा में मिस्र की ऐतिहासिक 11वीं सदी की अल-हकीम मस्जिद का दौरा किया, जिसे भारत के दाऊदी बोहरा समुदाय की मदद से पुनर्स्थापित किया गया था। मोदीजी ने मिस्र के ग्रैंड मुफ्ती डॉ. शॉकी इब्राहिम अब्देल-करीम अल्लम के साथ मिस्र-भारत संबंधों के साथ-साथ सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने और उग्रवाद एवं कट्टरपंथ का मुकाबला करने से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने ग्रैंड मुफ्ती को अवगत कराया कि भारत मिस्र के सामाजिक न्याय मंत्रालय के साथ इस्लामी कानूनी अनुसंधान के लिए मिस्र की सलाहकार संस्था दार-अल-इफ्ता में आईटी का उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करेगा।

प्रधानमंत्री मोदीजी की हालिया फ्रांस यात्रा ने दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी के लिए नए मानक स्थापित किए हैं। बैस्टिल डे परेड में सम्मानित अतिथि के रूप में भाग लेने के लिए दो दिवसीय यात्रा पर पेरिस पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदीजी का रेड कार्पेट स्वागत किया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने फ्रांस के सर्वोच्च सम्मान ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया। जैसाकि भारत और फ्रांस अपनी रणनीतिक साझेदारी की स्थापना के 25 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं, इस यात्रा ने विभिन्न क्षेत्रों में भविष्य के लिए साझेदारी की रूपरेखा तैयार करने का अवसर प्रदान किया है। दोनों देश यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) भुगतान तंत्र का उपयोग करने पर भी सहमत हुए हैं।

फ्रांस, भारत का सबसे पुराना रणनीतिक साझेदार है। वर्ष 1998 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी और उनके समकक्ष जैक्स शिराक ने भारत-फ्रांस संबंधों को रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया था। दोनों देश अपनी रणनीतिक स्वायत्तता, स्वतंत्र विदेश नीतियों को महत्व देते हैं और एक बहुध्रुवीय दुनिया चाहते हैं। दोनों देशो का हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर समान दृष्टिकोण है और दोनों देश हिंद-प्रशांत में संतुलित और स्थिर व्यवस्था बनाना चाहते हैं। इसके अतिरिक्त दोनों देशों ने भारत-फ्रांस इंडो-पैसिफिक रोडमैप जारी किया है।

इन दोनों ही राष्ट्रों के रक्षा संबंध मजबूत हैं और अधिक मजबूत होंगे। फ्रांस-भारत के रक्षा संबंध अब खरीदार-विक्रेता मॉडल पर आधारित नहीं है, यह संयुक्त रूप से डिजाइन, विकास और सह-उत्पादन में विश्वास करते हैं। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी साझा करने को लेकर फ्रांसीसी पक्ष की ओर से एक आदर्श बदलाव आया है। कुछ समझौते हमारे रक्षा संबंधों में बदलाव को उजागर करते हैं। फ्रांसीसी कंपनी सफ्रान और डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) उन्नत मध्यम लड़ाकू विमानों के लिए संयुक्त रूप से जेट इंजन विकसित करने पर सहमत हुए हैं। पनडुब्बियों को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स

चार देशों की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री श्री मोदी ने हमारे पारंपरिक भागीदारों के साथ संबंधों को मजबूत किया है, भारत के साथ उनके संबंधों में नए आयाम जोड़े हैं, भारत की रक्षा तैयारियों को मजबूत किया है, भारत के सभ्यतागत जुड़ाव को पुनर्जीवित किया है और यूपीआई जैसे नवीन भारतीय फिनटेक समाधानों को वैश्विक बनाने के अपने प्रयास को जारी रखा है

और फ्रांस के नेवल ग्रुप द्वारा संयुक्त रूप से बनाने का प्रस्ताव है। यूक्रेन में युद्ध के बाद रक्षा आयात में विविधीकरण अपरिहार्य है। यह स्पष्ट होता जा रहा है कि फ्रांस इस क्षेत्र में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा।

पिछले दस वर्षों में फ्रांस भारत को रक्षा उपकरणों का निर्यात करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश बनकर उभरा है। इस कड़ी में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की डिलीवरी पहले ही हो चुकी है। भारत द्वारा 26 अतिरिक्त राफेल एम लड़ाकू विमानों और स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद को मंजूरी दी जा चुकी है, इसके अतिरिक्त भारत में संयुक्त रूप से एक विमान इंजन विकसित करने का सौदा इस यात्रा के दौरान हस्ताक्षरित प्रमुख ऐतिहासिक सौदे में से एक है।

फ्रांस की दो दिवसीय यात्रा के समाप्त करने के पश्चात् प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी संयुक्त अरब अमीरात पहुंचे, जहां उन्होंने शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के साथ मुलाकात की। प्रधानमंत्री मोदी जी का अबू धाबी के राष्ट्रपति भवन कसर-अल-वतन में औपचारिक स्वागत किया गया, जहां यूएई के राष्ट्रपति ने गर्मजोशी से उनसे मिले। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त अरब अमीरात की सीओपी-28 की अध्यक्षता के लिए भारत के पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया और उन्होंने अबू धाबी में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के मनोनीत राष्ट्रपति सुल्तान अल जाबेर के साथ सार्थक बातचीत भी की।

भारत और यूएई अपनी मुद्राओं में व्यापार शुरू करने और भारतीय एकीकृत भुगतान इंटरफेस को खाड़ी देश के त्वरित भुगतान प्लेटफॉर्म से जोड़ने पर सहमत हुए। यूएई के राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद अपनी टिप्पणी में श्री मोदी ने कहा कि पिछले साल व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर के बाद से भारत-यूएई व्यापार में 20 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों की मुद्राओं में व्यापार करने के लिए हस्ताक्षरित समझौते से दोनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक सहयोग और आपसी विश्वास का पता चलता है।

संक्षेप में, चार देशों की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री श्री मोदी ने हमारे पारंपरिक भागीदारों के साथ संबंधों को मजबूत किया है, भारत के साथ उनके संबंधों में नए आयाम जोड़े हैं, भारत की रक्षा तैयारियों को मजबूत किया है, भारत के सभ्यतागत जुड़ाव को पुनर्जीवित किया है और यूपीआई जैसे नवीन भारतीय फिनटेक समाधानों को वैश्विक बनाने के अपने प्रयास को जारी रखा है।

(लेखक भाजपा विदेश विभाग के प्रभारी हैं)