प्रधानमंत्री आदि आदर्शग्राम योजना : एक विश्लेषण

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जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा जनजातीय लोगों के एकीकृत सामाजिक एवं आर्थिक विकास का लक्ष्य हासिल करने के उद्देश्य से ‘प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना’ की शुरुआत की गई है। ताकि हर तरह की सुविधा जनजाति आबादी वाले गांवों को उपलब्ध की जा सके और उन्हें ठोस बुनियादी ढांचा प्रदान किया जा सके

अर्जुन मुंडा

देश में अनुसूचित जनजातियां (एसटी) भारत की जनसंख्या के लगभग 8.6 प्रतिशत हैं, जिनकी संख्या लगभग 10.4 करोड़ है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत 700 से अधिक अनुसूचित जनजातियां अधिसूचित हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास‘ के विजन के अनुरूप भारत सरकार ने जनजातियों के विकास तथा उनकी विरासत और संस्कृति के संरक्षण पर प्राथमिकता के रूप में ध्यान केंद्रित किया है।

जनजातीय कार्य मंत्रालय ने इस विजन और जनजातियों के कल्याण के लिए अपनी स्थायी प्रतिबद्धता के अनुरुप वित्तीय संसाधनों के संवर्धित आवंटन, प्रयासों के संयोजन, मंत्रालय के योजना निर्माण तथा कार्यान्वयन तंत्र की पुनर्रचना के माध्यम से क्षेत्रीय विकास के लिए खुद को तैयार किया है।

प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (पीएमएएजीवाई) :

जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा जनजातीय लोगों के एकीकृत सामाजिक एवं आर्थिक विकास का लक्ष्य हासिल करने के उद्देश्य से ‘प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना’ की शुरुआत की गई है। ताकि हर तरह की सुविधा जनजाति आबादी वाले गांवों को उपलब्ध की जा सके और उन्हें ठोस बुनियादी ढांचा प्रदान किया जा सके। प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना का उद्देश्य विशिष्ट जनजातीय जनसंख्या वाले गांवों को आदर्श ग्राम के रूप में रूपांतरित करना है|

जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 2021-22 से 2025-26 के दौरान कार्यान्वयन के लिए ‘प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (पीएमएएजीवाई) नामकरण के साथ जनजातीय उप-योजना (एससीए से टीएसएस) के लिए ‘विशेष केंद्रीय सहायता की पिछली योजना का पुनरोद्धार किया है, जिसका लक्ष्य लगभग 4.22 करोड़ (कुल जनजातीय आबादी का लगभग 40 प्रतिशत) की जनसंख्या को कवर करते

‘जनजातीय उप-योजना के लिए विशेष केंद्रीय सहायता’ की मौजूदा योजना का दायरा बढ़ा दिया गया है, जिसमें ‘प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना’ के तहत 36,428 गांवों को आदर्श ग्राम के रूप में विकसित करने के लिए संबंधित मंत्रालयों के साथ मिलकर इन गांवों का व्यापक विकास किया जाएगा

हुए उल्लेखनीय जनजातीय आबादी के साथ गांवों का समेकित विकास करना है।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य सम्मिलन दृष्टिकोण के माध्यम से चयनित गांवों के एकीकृत सामाजिक— आर्थिक विकास को प्राप्त करना है। इसमें जरूरतों, क्षमता और आकांक्षाओं के आधार पर ग्राम विकास योजना तैयार करना शामिल है। इसके अलावा इसमें केंद्र/राज्य सरकारों की व्यक्तिगत/पारिवारिक लाभ योजनाओं के कवरेज को अधिकतम करना और स्वास्थ्य, शिक्षा, कनेक्टिविटी (संपर्क) व आजीविका जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे में सुधार करना भी शामिल है।

इस योजना के अंतर्गत प्रमुखता से विकास के 8 क्षेत्रों में विद्यमान विकासात्मक अंतराल को कम करने की परिकल्पना की गई है। ये क्षेत्र हैं-

1. सड़क संपर्क (आंतरिक और अंतर गांव/प्रखण्ड),
2. दूरसंचार संपर्क (मोबाइल/इंटरनेट),
3. विद्यालय,
4. आंगनबाड़ी केंद्र,
5. स्वास्थ्य उप-केंद्र,
6. पेयजल सुविधा,
7. जल निकासी और
8. ठोस अपशिष्ट प्रबंधन।

पीएमएएजीवाई के तहत प्रशासनिक खर्चों सहित अनुमोदित गतिविधियों के लिए ‘रिक्ति पूर्ति’(गैप फीलिंग)’ के उपाय के रूप में प्रति गांव 20.38 लाख रुपये की धनराशि का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को पीएमएएजीवाई के तहत चिन्हित गांवों में बुनियादी ढांचे व सेवाओं की संतृप्ति के लिए केंद्रीय और राज्य अनुसूचित जनजाति घटक फंड (एसटीसी) निधि व उसके पास उपलब्ध उपलब्ध अन्य वित्तीय संसाधनों के रूप में संसाधनों के सम्मिलन के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

‘जनजातीय उप-योजना के लिए विशेष केंद्रीय सहायता’ की मौजूदा योजना का दायरा बढ़ा दिया गया है, जिसमें ‘प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना’ के तहत 36,428 गांवों को आदर्श ग्राम के रूप में विकसित करने के लिए संबंधित मंत्रालयों के साथ मिलकर इन गांवों का व्यापक विकास किया जाएगा।

प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना की विशेषताएं :

•• 36428 गांवों को 2021-22 से 2025-26 तक लाभान्वित करने की परिकल्पना की गई है|
•• इस स्कीम का मुख्य उद्देश्य आदिवासी बहुल गांवों को एकीकृत सामाजिक-आर्थिक विकास को अर्जित करना है।
•• पीएमएएजीवाई के तहत हर गांव को प्रशासनिक खर्चे सहित स्वीकृत कामों के लिए 20.38 लाख रुपए की धनराशि मुहैया कराई जाएगी।
•• प्रत्येक वर्ष 7500 गांवों को विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है।
•• 25 राज्यों के 16554 गांवों के लिए 1927 करोड़ रुपये की धनराशि पहले ही राज्यों को जारी की जा चुकी है।
•• 6264 गांवों के संबंध में ग्राम विकास योजना को कार्यान्वयन के लिए मंजूरी दी जा चुकी है।

इन गांवों में आदिवासियों की आबादी 500 से अधिक और कुल संख्या की 50% तक है।

अगले पांच वर्षों के लिए 7276 करोड़ रुपये की धनराशि को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। योजना के तहत 20121-22 और 2022-23 के दौरान क्रमशः 785 करोड़ रुपये और 1345.47 करोड़ रुपये की कुल राशि 2130.47 करोड़ रुपये आवंटित की गई है। इसके अलावा, यह परिकल्पना की गई है कि संबंधित मंत्रालय अपने योजनाबद्ध मानदंडों के अनुसार लगभग 79,177.74 करोड़ रुपये की एसटीसी निधियों में से इन गांवों में विकास के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी भूमिका निभाएंगे।

(लेखक केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री हैं)