प्रधानमंत्री ने ‘किशनगंगा पनबिजली परियोजना’ राष्ट्र को समर्पित किया

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 19 मई को जम्मू-कश्मीर का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने ‘किशनगंगा पनबिजली परियोजना’ राष्ट्र को समर्पित किया और साथ ही 19वें कुशोक बाकुला रिनपोचे के जन्म शताब्दी जश्न के समापन समारोह में भाग लिया। इसके अलावा श्री मोदी ने जोजिला सुरंग पर कार्य आरंभ करने के लिए फलक का अनावरण भी किया।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 19 मई को जम्मू एवं कश्मीर में किशनगंगा पनबिजली परियोजना का उद्घाटन किया एवं पाकल दुल बिजली परियोजना का शिलान्यास किया। 1000 मेगावाट क्षमता के साथ पाकल दुल पूरे होने पर जम्मू एवं कश्मीर की सबसे बड़ी पनबिजली परियोजना होगी। यह जम्मू एवं कश्मीर में पहली भंडारण परियोजना भी है।

किशनगंगा पनबिजली परियोजना राज्य को 13 प्रतिशत की नि:शुल्क बिजली उपलब्ध कराएगी, जो लगभग 133 करोड़ रुपये प्रति वर्ष के बराबर होगी। इस परियोजना से राज्य को अन्य लाभ भी होंगे जैसे जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को रोजगार मिलेगा, राज्य में बुनियादी ढांचे का विकास होगा आदि। ऐसा अनुमान है कि निर्माण चरण के दौरान प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के माध्यम से इस परियोजना में 1850 स्थानीय व्यक्ति शामिल होंगे तथा परिचालन चरण के दौरान 750 स्थानीय व्यक्ति इससे जुड़ेंगे।

जम्मू–कश्मीर सरकार एवं भारत सरकार के बिजली मंत्रालय के बीच जुलाई 2000 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद राज्य सरकार द्वारा निष्पादन के लिए इस परियोजना को एनएचपीसी को सुपुर्द कर दिया गया था।

दरअसल, आर्थिक मामलों पर मंत्रिस्तरीय समिति की मंजूरी के अनुसार पाकल दुल की परियोजना लागत 8112.12 करोड़ रुपये है तथा यह भारत सरकार एवं जम्मू-कश्मीर सरकार दोनों से समर्थित है। इसके कार्यान्वयन की समय सीमा परियोजना के आरंभ होने से 66 महीनों की है। इससे डाउन स्ट्रीम परियोजनाओं में 650 एमयू का अतिरिक्त सृजन होगा, क्योंकि यह भंडारण प्रकार की परियोजना है और खाली मौसम में जल उपलब्धता में भी सुधार लाएगी।

पाकल दुल परियोजना से जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को काफी लाभ पहुंचेगा। निर्माण चरण के दौरान प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के माध्यम से इस परियोजना से लगभग 3000 व्यक्तियों तथा परिचालन चरण के दौरान 500 व्यक्तियों को इससे रोजगार मिलेगा।

साथ ही प्रधानमंत्री ने पिछले चार वर्षों के दौरान उन विभिन्न अवसरों का स्मरण भी किया, जब उन्होंने जम्मू-कश्मीर राज्य का दौरा किया था। उन्होंने कहा कि रमजान का महीना पैगम्बर मोहम्मद के उपदेशों एवं संदेशों को याद करने का समय है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 330 मेगावाट की किशनगंगा पनबिजली परियोजना राज्य की बिजली आवश्यकताओं की आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने राज्य के तीनों क्षेत्रों- कश्मीर, जम्मू एवं लद्दाख के संतुलित विकास की आवश्यकता पर बल दिया।

जोजिला सुरंग पर कार्य आरंभ करने के लिए फलक का अनावरण

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 19 मई को लेह में 19वें कुशोक बाकुला रिनपोचे के जन्मशताब्दी जश्न के समापन समारोह में भाग लिया। इसी समारोह में उन्होंने जोजिला सुरंग पर कार्य आरंभ करने के लिए फलक का अनावरण किया।

14 किलोमीटर लम्बी जोजिला सुरंग भारत की सबसे लम्बी सड़क सुरंग और एशिया की सबसे लम्बी दो विपरीत दिशाओं वाली सुरंग होगी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने इस वर्ष के शुरू में 6800 करोड़ रुपये की कुल लागत से एनएच-1ए के श्रीनगर-लेह सेक्शन पर बालटाल और मीनामार्ग के बीच निर्गम सुरंग के साथ दो विपरीत दिशाओं वाली दो लेन की सुरंग के निर्माण, परिचालन और रख-रखाव की मंजूरी दे दी थी।

इस सुरंग के निर्माण से श्रीनगर, कारगिल और लेह के बीच हर मौसम में संपर्क प्रदान किया जा सकेगा। यह मार्ग वर्ष के अधिकांश हिस्से में बर्फ से ढका रहता है और अक्सर यहां बर्फीले तूफान आते हैं। इसके कारण लद्दाख क्षेत्र के स्थानों के लिए सड़क संपर्क में लम्बे समय तक बाधा आती है, जिससे लोगों तक आवश्यक आपूर्ति पहुंचाने में दिक्कत आती है, व्यवसाय ठप्प हो जाता है, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा प्रभावित होती है। इस सुरंग के बन जाने से हर मौसम में इस क्षेत्र के लोगों को संपर्क प्रदान कर राहत दी जा सकेगी। इससे जोजिला दर्रे को पार करने के लिए वर्तमान में लगने वाले साढ़े तीन घंटे की अवधि सिर्फ 15 मिनट रह जाएगी और गाड़ी चलाना सुरक्षित और सुविधाजनक हो जाएगा।

सुरंग के निर्माण से इस क्षेत्र के चौतरफा आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक एकीकरण की उम्मीद है। निर्माण के दौरान प्रत्यक्ष नौकरियां सृजित होने के साथ, आर्थिक वृद्धि में तेजी के कारण इससे बड़े पैमाने पर अप्रत्यक्ष और अनपेक्षित नौकरियां मिलेंगी। सरकार जम्मू-कश्मीर में सुरंग बनाने से जुड़ी नौकरियों के लिए कुशल श्रम-बल के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। इस परियोजना का रणनीतिक और सामाजिक-आर्थिक महत्व है और यह जम्मू-कश्मीर के आर्थिक रूप से पिछड़े जिलों के विकास में साधक होगा।

जोजिला सुरंग की योजना एक स्मार्ट सुरंग के रूप में बनाई गई है। इसमें आधुनिकतम सुरक्षा विशेषताएं जैसे पूरी तरह अनुप्रस्थ वायु संचार प्रणाली, लगातार बिजली की आपूर्ति, सुरंग में आपात रोशनी, सीसीटीवी, निगरानी, परिवर्तनशील संदेश संकेत, ट्रैफिक लॉगिंग उपकरण, अधिक ऊंचाई वाले वाहनों की पहचान, सुरंग रेडियो प्रणाली आदि की व्यवस्था होगी। इसमें प्रत्येक 250 मीटर पर पैदल और मोटर से चलने वाले यात्रियों के लिए पार करने के रास्तों की व्यवस्था होगी और प्रत्येक 750 मीटर पर बचाव स्थल होंगे। इसमें प्रत्येक 125 मीटर पर आपात स्थिति पर टेलीफोन और दमकल कैबिनेट भी उपलब्ध होंगे।

श्रीनगर और जम्मू में रिंग रोड का उद्देश्य इन शहरों में यातायात की भीड़भाड़ को कम करना और सड़क यात्रा को सुरक्षित, तेज, अधिक सुविधाजनक तथा अधिक पर्यावरण अनुकूल बनाना है। चार लेन वाली 42.1 किलोमीटर लम्बी श्रीनगर रिंग रोड पश्चिमी श्रीनगर के गलंदर को सुम्बल से जोड़ेगी। 1860 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली यह सड़क श्रीनगर से कारगिल और लेह के लिए एक नया मार्ग प्रदान करेगी तथा यात्रा समय कम करेगी। इसमें एक बड़ा पुल, तीन फ्लाईओवर, 23 सुरंगें और 2 मार्ग सेतु होंगे।

चार लेन वाली 58.25 किलोमीटर लम्बी जम्मू रिंग रोड 2023.87 करोड़ रुपये की लागत से बनाई जा रही है। यह जगाती (पश्चिमी जम्मू) को रायमोड़ से जोड़ेगी। इस मार्ग में 8 बड़े पुल, 6 फ्लाईओवर, 2 सुरंग और 2 मार्ग सेतु होंगे।

इस अवसर पर एक विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने 19वें कुशोक बाकुला रिनपोचे के महान योगदान का स्मरण किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका जीवन दूसरों की सेवा के लिए समर्पित था। उन्होंने कहा कि 19वें कुशोक बाकुला रिनपोचे ने एक असाधारण राजनयिक के रूप में अपनी विशिष्टता स्थापित की थी। उन्होंने उल्लेख किया कि मंगोलिया की अपनी यात्रा के दौरान वह खुद उनके प्रति सद्भावना के साक्षी रहे थे।

उन्होंने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर राज्य को 25 हजार करोड़ रुपये के बराबर की परियोजनाएं प्राप्त होने वाली हैं। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं का राज्य के लोगों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।