रि-लर्निंग, रि-थिंकिंग, रि-इनोवेटिंग और रि-इंवेंटिंग, कोविड-19 के बाद की व्यवस्था होगी: नरेन्द्र मोदी

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सरकार ‘रिफॉर्म (सुधार), परफॉर्म (प्रदर्शन), ट्रांसफॉर्म (परिवर्तन)’ के सिद्धांत के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 4 दिसंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पैन आईआईटी यूएसएस द्वारा आयोजित आईआईटी-2020 ग्लोबल समिट में मुख्य भाषण दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ‘रिफॉर्म (सुधार), परफॉर्म (प्रदर्शन), ट्रांसफॉर्म (परिवर्तन)’ के सिद्धांत के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि यहां कोई भी क्षेत्र सुधारों के दायरे से बाहर नहीं रह गया है। श्री मोदी ने सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में किए गए व्यापक सुधारों; जैसे- 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को सिर्फ 4 कानूनों में बदलना, दुनिया में सबसे कम कॉरपोरेट टैक्स दर, उत्पादन के साथ-साथ निर्माण को बढ़ाने के लिए 10 प्रमुख क्षेत्रों में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना की जानकारी दी।

उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 के इस चुनौती भरे वक्त में भारत को रिकॉर्ड निवेश मिला है और इस निवेश का बड़ा हिस्सा तकनीकी के क्षेत्र में आया है।

श्री मोदी ने कहा कि आज का हमारा काम कल की दुनिया को आकार देगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि री-लर्निंग (नए सिरे से सीखना), री-थिंकिंग (नए सिरे से सोचना), री-इनोवेटिंग (नए सिरे से प्रयोग करना) और रिइंवेंटिंग (नए सिरे से आविष्कार करना) कोविड-19 के बाद की व्यवस्था होगी। लगभग सभी क्षेत्रों में आर्थिक सुधारों की एक सीरीज के साथ यह हमारी दुनिया को नए सिरे से नई ऊर्जा से भर देगी।

उन्होंने कहा कि यह ‘जीवन की सरलता’ सुनिश्चित करेगी और इसके साथ-साथ गरीबों और हाशिए पर खड़े लोगों की जिंदगी पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगी। श्री मोदी ने कहा कि उद्योग और अकादमिक क्षेत्र के साझेदारी की वजह से महामारी के दौरान बहुत सारे इनोवेशन सामने आए हैं।

उन्होंने कहा कि आज दुनिया को नए हालात में ढलने के लिए व्यावहारिक समाधानों की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पैन आईआईटी आंदोलन की सामूहिक शक्ति आत्मनिर्भर भारत बनने के सपने को गति दे सकती है। उन्होंने प्रवासी भारतीयों को भारत का ब्रांड एंबेसडर बताया, जिनकी आवाज यह सुनिश्चित करने में बेहद खास है कि दुनिया भारत के दृष्टिकोणों को सही अर्थों में समझ पाए।

वर्ष 2022 में भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ की चर्चा करते हुए श्री मोदी ने पैन आईआईटी आंदोलन से ‘गिविंग बैक टू इंडिया’ (भारत को वापस देना) को लेकर एक ऊंचा मानदंड स्थापित करने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल के समय से भारत में हैकथॉन की एक संस्कृति विकसित हो रही है और इन हैकथॉन्स में युवा सोच राष्ट्रीय और वैश्विक समस्याओं के जबरदस्त समाधान पेश कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारे युवाओं को अपना कौशल प्रदर्शित करने और दुनिया के बेहतर व्यवहारों से सीखने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय मंच मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार दक्षिण-पूर्व एशिया और यूरोप के कई देशों के साथ मिलकर काम कर रही है।

श्री मोदी ने कहा कि भारत ने वैभव शिखर सम्मेलन का आयोजन किया, जिसने विज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में शीर्ष गुणवत्ता की प्रतिभा को आपस में जोड़ा। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपने काम करने के तरीके में एक आमूल-चूल परिवर्तन का साक्षी बन रहा है।

उन्होंने कहा कि पहले जब आईआईटी एयरो-स्पेस इंजीनियरों को तैयार करता था, तब उन्हें रोजगार देने के लिए घरेलू स्तर पर एक मजबूत औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र नहीं था, लेकिन आज अंतरिक्ष क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधारों के साथ मानवता के सामने मौजूद यह अंतिम मोर्चा भारतीय प्रतिभा के लिए खुला है। यही वजह है कि भारत में हर दिन नए स्पेस टेक स्टार्टअप्स आ रहे हैं।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व छात्रों से बहस, चर्चा और तकनीक की उभरती हुई नई दुनिया में समाधानों के जरिए अपना योगदान करने की अपील की।