‘अमृत’ के तहत 11,945 करोड़ रुपये जारी

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37 लाख स्ट्रीट लाइटों में एलईडी लाइटें लगाई गई

‘अटल मिशन फॉर रिजॉल्यूशन ऐंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन’ (अमृत) के तहत इस समय 77,640 करोड़ रुपये की राज्य वार्षिक कार्य योजना (एसएएपी) में से 65,075 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनाएं (84 प्रतिशत) क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। इनमें ऐसी परियोजनाएं भी शामिल हैं, जिनके लिए निविदाएं जारी कर दी गई हैं। इसी तरह इनमें ऐसी परियोजनाएं भी शामिल हैं, जिनसे संबंधित डीपीआर को मंजूरी दे दी गई है। इस मिशन से 22 करोड़ से भी अधिक शहरी आबादी लाभान्वित होगी।

अब तक कुल मिलाकर 11,945 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं। 325 करोड़ रुपये की लागत वाली लगभग 400 परियोजनाएं पहले ही पूरी हो चुकी हैं और 40,074 करोड़ रुपये की लागत वाली 2,188 परियोजनाओं के लिए ठेके दिये जा चुके हैं तथा ये क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। इसके अलावा 13,586 करोड़ रुपये की लागत वाली 895 परियोजनाएं फिलहाल निविदाएं जारी करने की प्रक्रिया में हैं और 10,824 करोड़ रुपये की लागत वाली 729 परियोजनाओं के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्टों (डीपीआर) को मंजूरी दे दी गई है। मिशन के तहत और अन्य योजनाओं के साथ सामंजस्य के जरिये अब तक 8.58 लाख पेयजल कनेक्शन दिये गये हैं। मिशन की समाप्ति अर्थात जून 2020 तक देशभर में लगभग 1.4 करोड़ पेयजल कनेक्शन मुहैया कराये जाएंगे।

37 लाख स्ट्रीट लाइटों में सामान्य बल्ब के बजाय कम ऊर्जा खपत वाले एलईडी लाइटें लगाई गई हैं। मिशन के तहत लगभग 322 हरित स्थल और पार्क परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं। निर्माण परमिट के लिए दिल्ली और मुम्बई में एकल खिड़की मंजूरी प्रणाली क्रियान्वित की गई है, जिसके तहत सभी तरह की मंजूरियों के लिए केवल 8 प्रक्रियाओं और 60 दिनों से भी कम अवधि की जरूरत पड़ती हैं। 370 मिशन शहरों में ऑनलाइन भवन निर्माण अनुमति प्रणालियों (ओबीपीएस) का परिचालन शुरू हो चुका हैं और ये प्रणालियां बाकी शहरों में क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं।

प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी)

प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत राज्यों को कुल मिलाकर 24,475 करोड़ रुपये जारी किये गये। अब तक इस योजना के तहत 45.86 लाख मकानों को स्वीकृति दी गई है। इनमें से 23.43 लाख मकानों की नींव डालने का काम पूरा हो चुका है और 7.02 लाख मकानों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका हैं (पूर्ववर्ती योजना के अपूर्ण मकान भी इनमें शामिल हैं)।