पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास हेतु तीन वर्षों के लिए 4500 करोड़ रुपये मंजूर

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 28 मार्च को मार्च, 2020 तक जारी रखने के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय की निम्नलिखित योजनाओं को मंजूरी दी:

पूर्वोत्तर परिषद् (एनईसी) की योजनाओं के तहत – वर्तमान में जारी परियोजनाओं के लिए मौजूदा वित्त पोषण रुख (90:10 आधार) और नई परियोजनाओं के लिए 100 प्रतिशत केंद्रीय वित्त पोषण के साथ विशेष विकास परियोजनाएं।

एनईसी द्वारा वित्त पोषित अन्य परियोजनाओं के लिए – राजस्व और पूंजीगत दोनों ही – 100 प्रतिशत केंद्रीय वित्त पोषण आधार पर, मौजूदा रुख के साथ जारी रहेंगी।

100 प्रतिशत केंद्रीय वित्त पोषित पूर्वोत्तर सड़क क्षेत्र विकास योजना (एनईआरएसडीएस) का विस्तार।

अव्यपगत केन्द्रीय संसाधन पूल (एनएलसीपीआर-सी) को क्रियान्वयन के लिए एनईसी को हस्तांतरित किया गया।

विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के प्रयासों में सामंजस्य के जरिए संसाधनों का अनुकूलन सुनिश्चित करने का प्रस्ताव।

गौरतलब है कि एनईसी की मौजूदा योजनाओं के अधीनस्थ परियोजनाएं एनएलसीपीआर (केंद्रीय) और एनईआरएसडीएस पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों के सामाजिक–आर्थिक लाभों में वृद्धि करेंगी, जिससे इन लोगों की क्षमताएं और आजीविका बेहतर होंगी।

वर्तमान समय में 72.12 प्रतिशत की मंजूर लागत वाली ज्यादातर परियोजनाओं (840 में से 599 परियोजनाएं) और समस्त जारी परियोजनाओं के लिए लंबित देनदारियों के 66 प्रतिशत (2299.72 करोड़ रुपये में से 1518.64 करोड़ रुपये) का वित्त पोषण ‘एनईसी की योजनाएं–विशेष विकास परियोजना’ के जरिए होता है, जिसके तहत चयनित परियोजनाओं के लिए धनराशि को 90:10 आधार पर केन्द्र और राज्य के बीच बांटा जाता है और इसका क्रियान्वयन संबंधित राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है। इसके अलावा कुछ राशि–राजस्व एवं पूंजीगत दोनों ही– को 100 प्रतिशत केंद्रीय वित्त पोषण के आधार पर मुहैया कराया जाता है और क्रियान्वयन राज्य एवं केन्द्रीय एजेंसियों के जरिए होता है।

एनईसी की योजना- विशेष विकास परियोजना पहले के 90:10 आधार पर समूह अनुदान की जगह 100 प्रतिशत अनुदान के साथ एक केन्द्रीय क्षेत्र योजना के रूप में परिवर्तित हो जाएगी। शेष घटक वर्तमान की तरह 100 प्रतिशत केन्द्रीय फंडिंग आधार पर वित्त पोषित होते रहेंगे।

उपरोक्त के अतिरिक्त, एनईसी महत्वपूर्ण एवं रणनीतिक अंतःराज्यीय सड़कों के उन्नयन के लिए ‘उत्तर-पूर्व सड़क क्षेत्र विकास योजना- कार्यक्रम संघटक’ का भी कार्यान्वयन कर रही है। कार्यान्वयन के लिए एनईसी से डोनर को हस्तांतरित यह योजना 100 प्रतिशत केन्द्र वित्त पोषित है। इस योजना के तहत 1000 करोड़ रुपये की एक राशि आवंटित की गई है।

‘संसाधनों का अव्यपगत केन्द्रीय पूल-केन्द्रीय [एनएलसीपीआर (केन्द्रीय)] नामक एक अन्य योजना, जो वर्तमान में मेसर्स डोनर द्वारा वित्त पोषित है, माजुली द्वीप में क्षरण नियंत्रण करने वाली अगरतला-अखोरा रेल लिंक जैसी परियोजनाओं के लिए संबंधित मंत्रालयों/उनकी एजेंसियों को संसाधन उपलब्ध कराती है। इस योजना को भी कार्यान्वयन के लिए एनईसी को हस्तांतरित कर दिया जाएगा।

पहले, निधियों को राज्य या केन्द्रीय घटक में वितरित करने के लिए कोई स्थायी व्यवस्था नहीं थी। अब एनईसी को उपलब्ध कुल निधियों को दो घटकों (राज्य घटक-60 प्रतिशत एवं केन्द्रीय घटक-40 प्रतिशत) में बांट दिया गया है। राज्य घटक का उपयोग प्रत्येक राज्य में मानदंड संबंधी आवंटन आधार पर उनके हिस्से के अनुसार परियोजनाओं के लिए किया जाएगा। केन्द्रीय घटक के लिए क्षेत्रीय गुण वाली, अंत:मंत्रालयी योजना की आवश्यकता वाली परियोजनाएं आरंभ की जाएंगी। बांस; सूअर पालन; क्षेत्रीय पर्यटन; उच्च शिक्षा; पिछड़े क्षेत्रों में तृतीय स्तर; स्वास्थ्य एवं विशेष युक्ति; आजीविका परियोजना; एनईआर में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी युक्तियां; सर्वे एवं जांच तथा एनईआर संवर्द्धन जैसे प्राथमिकता क्षेत्रों की पहचान की गई है। उपरोक्त के द्वारा, दुहराव को रोकने के लिए डोनर तथा एनईसी के बीच एक स्पष्ट संविभाजन तथा क्षेत्रों के बीच विभाजन सुनिश्चित किया गया है।

पूर्वोत्तर क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अन्य बातों के अलावा, गंतव्यों एवं परिपथों के लिए उत्पाद अवसंरचना विकास (पीआईडीडीसी) के तहत पर्यटन क्षेत्र में बकाया देयताओं पर भी विचार किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, संबंधित मंत्रालयों से एवं डोनर मंत्रालय से प्रतिनिधियों के साथ स्थायी वित्त समिति (एसएफसी) की तर्ज पर एनईसी की अध्यक्षता में 5-15 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनाओं के अनुमोदन के लिए एक तंत्र का भी निर्माण किया जाएगा। इसका उद्देश्य अन्य केन्द्रीय मंत्रालयों के कार्यक्रमों के साथ समन्वय स्थापित करना एवं एसएफसी की प्रक्रिया के जरिये दुहराव से बचना है।