‘संविधान सदन’ हमारा लगातार मार्गदर्शन करता रहेगा : नरेन्द्र मोदी

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प्रधानमंत्री ने विशेष सत्र के दौरान संसद के सेंट्रल हॉल में सांसदों को किया संबोधित

1952 के बाद विश्व के लगभग 41 राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों ने संसद के सेंट्रल हॉल में संबोधित किया है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विशेष सत्र के दौरान 19 सितंबर को सेंट्रल हॉल में संसद सदस्यों को संबोधित किया। संसद भवन और सेंट्रल हॉल के बारे में जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री ने इसके प्रेरक इतिहास पर प्रकाश डाला। उन्होंने उल्लेख किया कि प्रारंभिक वर्षों में भवन के इस भाग का उपयोग एक तरह से पुस्तकालय के रूप में किया जाता था। श्री मोदी ने स्मरण किया कि यही वह स्थान है जहां संविधान ने आकार लिया था और स्वतंत्रता के समय यहीं सत्ता का हस्तांतरण हुआ था। उन्होंने स्मरण किया कि इसी सेंट्रल हॉल में भारत के राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान को अपनाया गया था।

लगभग चार हजार अधिनियम पारित

प्रधानमंत्री ने बताया कि 1952 के बाद विश्व के लगभग 41 राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों ने भारत की संसद के इस सेंट्रल हॉल में संबोधित किया है। उन्होंने बताया कि भारत के विभिन्न राष्ट्रपतियों ने सेंट्रल हॉल में 86 बार संबोधित किया है। श्री मोदी ने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा ने पिछले सात दशकों के दौरान लगभग चार हजार अधिनियम पारित किये हैं।

प्रधानमंत्री ने संसद के संयुक्त सत्र तंत्र के माध्यम से पारित किए गए कानूनों के बारे में भी बात की और इस दहेज निषेध अधिनियम, बैंकिंग सेवा आयोग विधेयक और आतंकवाद से लड़ने के कानूनों का उल्लेख किया। उन्होंने तीन तलाक पर रोक लगाने वाले कानून का भी उल्लेख किया। श्री मोदी ने ट्रांसजेंडरों और दिव्यांगों के लिए बनाए गए कानूनों पर भी प्रकाश डाला। अनुच्छेद 370 को निरस्त करने में जन-प्रतिनिधियों के योगदान का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने बड़े गर्व के साथ यह रेखांकित किया कि हमारे पूर्वजों द्वारा प्रदान किया गया संविधान अब जम्मू और कश्मीर में लागू हो रहा है। श्री मोदी ने कहा, “आज, जम्मू-कश्मीर शांति और विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है और यहां के लोग अब प्राप्त अवसरों को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहते।”

भारत ऊर्जा से भरपूर

प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि ‘भारत ऊर्जा से भरपूर है।’ यह नवीनीकृत चेतना प्रत्येक नागरिक को समर्पण और कड़ी मेहनत के साथ अपने सपनों को साकार करने में सक्षम बनाएगी। श्री मोदी ने यह विश्वास व्यक्त किया कि भारत को चुने हुए मार्ग पर आगे बढ़ते हुए पुरस्कार मिलना निश्चित है। उन्होंने कहा, “तेज प्रगति दर से ही तीव्र परिणाम हासिल किए जा सकते हैं।”

भारत के शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व और भारत शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में देश के शामिल होने के बारे में आश्वस्त है। उन्होंने भारत के बैंकिंग क्षेत्र की मजबूती का भी जिक्र किया। श्री मोदी ने भारत के डिजिटल बुनियादी ढांचे, यूपीआई और डिजिटल स्टैक के प्रति विश्व के उत्साह का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह सफलता विश्व के लिए आश्चर्य, आकर्षण और स्वीकार्यता का विषय बन गई है।

श्री मोदी ने वर्तमान समय के महत्व पर जोर दिया, जब हजारों वर्षों में भारतीय आकांक्षाएं अपने उच्चतम स्तर पर हैं। उन्होंने कहा कि भारत की आकांक्षाएं हजारों वर्षों से जंजीरों में जकड़ी हुई थीं, अब और इंतजार करने को तैयार नहीं है, बल्कि भारत आकांक्षाओं के साथ नये लक्ष्य बनाना चाहता है। श्री मोदी ने कहा कि नई आकांक्षाओं के बीच नए कानून बनाना और पुराने कानूनों से छुटकारा पाना सांसदों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

भारतीय आकांक्षाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, “संसद में पेश किए जाने वाले प्रत्येक सुधार के लिए भारतीय आकांक्षाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।” श्री मोदी ने पूछा कि क्या छोटे कैनवास पर बड़ी पेंटिंग बनाई जा सकती है? उन्होंने कहा कि अपनी सोच का दायरा बढ़ाए बिना हम अपने सपनों का भव्य भारत नहीं बना सकते।

भारत की भव्य विरासत का जिक्र करते हुए श्री मोदी ने कहा कि यदि हमारी सोच इस भव्य विरासत से जुड़ जाए, तो हम उस भव्य भारत की तस्वीर बना सकते हैं। श्री मोदी ने कहा, “भारत को बड़े कैनवास पर काम करना होगा, छोटी-छोटी बातों में उलझने का समय अब बीत गया है। उन्होंने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण की प्राथमिकता को रेखांकित किया। श्री मोदी ने कहा कि शुरुआती आशंकाओं को अस्वीकार करते हुए दुनिया भारत के आत्मनिर्भर प्रारूप की बात कर रही है। उन्होंने कहा कि रक्षा, विनिर्माण, ऊर्जा और खाद्य तेल के क्षेत्र में कौन आत्मनिर्भर नहीं बनना चाहेगा और इस प्रयास में दलगत राजनीति बाधा नहीं बननी चाहिए।

भारत को विनिर्माण क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूने की आवश्यकता पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने ‘जीरो डिफेक्ट, जीरो इफेक्ट’ के मॉडल पर प्रकाश डाला, जहां भारतीय उत्पाद किसी भी दोष से मुक्त होने चाहिए और विनिर्माण प्रक्रिया का पर्यावरण पर प्रभाव शून्य होना चाहिए। उन्होंने कृषि, डिजाइनर, सॉफ्टवेयर, हस्तशिल्प जैसे उत्पादों के लिए भारत के विनिर्माण क्षेत्र में नए वैश्विक मानक बनाने के उद्देश्य के साथ आगे बढ़ने पर जोर दिया। “प्रत्येक व्यक्ति को यह विश्वास होना चाहिए कि हमारे उत्पाद न केवल हमारे गांवों, कस्बों, जिलों और राज्यों में सबसे अच्छे होंगे, बल्कि दुनिया में भी सर्वश्रेष्ठ होंगे।”

श्री मोदी ने नई शिक्षा नीति के खुलेपन का जिक्र किया और कहा कि इसे सार्वभौमिक रूप से स्वीकार किया गया है। जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रदर्शन के लिए रखी गई प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की तस्वीर का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि विदेशी गणमान्य व्यक्तियों को यह बात अविश्वसनीय लग रही थी कि इस संस्थान का 1500 साल पहले भारत में संचालन होता था। श्री मोदी ने कहा, “हमें इससे प्रेरणा लेनी चाहिए और वर्तमान में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।”

युवा जनसांख्यिकी वाला देश

प्रधानमंत्री ने युवा जनसांख्यिकी वाला देश होने के महत्व का भी उल्लेख किया। हम एक ऐसा परिदृश्य बनाना चाहते हैं, जहां भारत के युवा हमेशा सबसे आगे रहें। उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर कौशल आवश्यकताओं का मानचित्रण करते हुए युवाओं में कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। श्री मोदी ने 150 नर्सिंग कॉलेज खोलने की पहल का उल्लेख किया, जो भारत के युवाओं को स्वास्थ्य पेशेवरों की वैश्विक आवश्यकता को पूरा करने के लिए तैयार करेंगे।

देश के सौर ऊर्जा क्षेत्र के बारे में श्री मोदी ने कहा कि यह अब देश के ऊर्जा संकट से मुक्ति की गारंटी दे रहा है। उन्होंने मिशन हाइड्रोजन, सेमीकंडक्टर मिशन और जल जीवन मिशन का भी जिक्र किया और कहा कि ये बेहतर भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। भारतीय उत्पादों को वैश्विक बाजार तक पहुंचने और प्रतिस्पर्धी बने रहने की आवश्यकता पर जोर देते हुए श्री मोदी ने लागत कम करने और इसे प्रत्येक नागरिक के लिए सुलभ बनाने के लिए देश के लॉजिस्टिक क्षेत्र को विकसित करने पर जोर दिया।

सामाजिक न्याय हमारी प्राथमिक शर्त

श्री मोदी ने कहा कि ‘सामाजिक न्याय हमारी प्राथमिक शर्त है।’ उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय पर चर्चा बहुत सीमित हो गई है और इस पर व्यापक विचार की आवश्यकता है। श्री मोदी ने कहा कि सामाजिक न्याय के अंतर्गत वंचित वर्गों को परिवहन-संपर्क सुविधा, स्वच्छ जल, बिजली, चिकित्सा उपचार और अन्य मौलिक सुविधाओं के साथ सशक्त बनाना शामिल है। उन्होंने देश के पूर्वी हिस्से के पिछड़ेपन का जिक्र किया। श्री मोदी ने कहा, “हमें अपने पूर्वी हिस्से को मजबूत करके वहां सामाजिक न्याय की शक्ति प्रदान करनी है।” उन्होंने आकांक्षी जिला योजना का उल्लेख किया, जिसने संतुलित

प्रधानमंत्री की राज्यसभा में समापन टिप्पणी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 21 सितंबर को राज्यसभा में संविधान (128 वां संशोधन) विधेयक, 2023 पर बहस पर समापन टिप्पणी करते हुए कहा कि पिछले दो दिनों से दोनों सदनों में सार्थक चर्चा और बहस हुई है, जहां लगभग 132 माननीय सदस्यों ने अपनी राय व्यक्त की है। प्रधानमंत्री ने कहा, “इस चर्चा में प्रत्येक शब्द का अपना महत्व और अर्थ है।” उन्होंने रेखांकित किया कि ये सार्थक चर्चाएं देश की आगामी संसदीय यात्रा के लिए बेहद उपयोगी सिद्ध होंगी।

विधेयक के प्रति सदन के सदस्यों के समर्थन के लिए प्रधानमंत्री ने उन्हें धन्यवाद दिया और कहा, “यह भावना देश के लोगों में एक नया आत्मविश्वास पैदा करेगी और सभी सदस्यों तथा सभी राजनीतिक दलों ने इसमें बहुत अहम भूमिका निभाई है।”

उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसा नहीं है कि इस विधेयक के पारित होने से नारी शक्ति को विशेष सम्मान मिल रहा है, बल्कि इस विधेयक के प्रति सभी राजनीतिक दलों की सकारात्मक सोच से हमारे देश की नारी शक्ति में एक नई ऊर्जा का संचार हो रहा है। श्री मोदी ने आगे कहा कि यह विधेयक भारत के उज्ज्वल भविष्य की गारंटी बनेगा, क्योंकि यह नेतृत्व के साथ आगे बढ़ेगा और नए आत्मविश्वास के साथ राष्ट्र निर्माण में योगदान देगा।

संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने विचारपूर्ण चर्चा के दौरान व्यक्त की गई भावनाओं के लिए आभार व्यक्त किया और उच्च सदन से सर्वसम्मति से मतदान करके विधेयक को पारित करने का आग्रह किया।

विकास को बढ़ावा दिया है। इस योजना का 500 ब्लॉकों में विस्तार किया गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है।” उन्होंने कहा कि शीत युद्ध के दौरान भारत को तटस्थ देश माना जाता था, लेकिन आज भारत को ‘विश्व मित्र’ के रूप में जाना जाता है, जहां भारत मित्रता के लिए अन्य देशों तक अपनी पहुंच बना रहा है, जबकि वे भारत में एक दोस्त की उम्मीद कर रहे हैं। श्री मोदी ने उल्लेख किया कि भारत को इस विदेश नीति का लाभ मिल रहा है, क्योंकि देश-दुनिया के लिए एक स्थिर आपूर्ति शृंखला के रूप में उभरा है। श्री मोदी ने कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन ग्लोबल साउथ की जरूरतों को पूरा करने का एक माध्यम था और विश्वास व्यक्त किया कि आने वाली पीढ़ियां इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर अत्यधिक गर्व महसूस करेंगी।

प्रधानमंत्री ने उपराष्ट्रपति और अध्यक्ष से अनुरोध किया कि वर्तमान भवन की महिमा और गरिमा को हर कीमत पर संरक्षित किया जाना चाहिए और इसे पुराने संसद भवन का दर्जा देकर कम नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस भवन को ‘संविधान सदन’ कहा जाएगा। श्री मोदी ने निष्कर्ष के तौर पर कहा, “संविधान सदन के रूप में पुरानी इमारत हमारा मार्गदर्शन करती रहेगी और हमें उन महान व्यक्तियों के बारे में याद दिलाती रहेगी, जो संविधान सभा का हिस्सा थे।”