‘सत्यमेव जयते’

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र्वोच्च न्यायालय द्वारा गुजरात दंगों पर गठित एसआईटी की रिपोर्ट को स्वीकार करने से देश की जनता का विश्वास भारतीय न्याय व्यवस्था पर और भी अधिक गहरा हुआ है। जिला न्यायालय से लेकर उच्च न्यायालय तक और अब सर्वोच्च न्यायालय ने भी एक स्वर में एसआईटी की ‘क्लोजर रिपोर्ट’ को सही ठहराया है। ध्यान देने योग्य है कि सर्वोच्च न्यायलय ने न केवल इस ‘क्लोजर रिपोर्ट’ को सही ठहराया है, बल्कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध षड्यंत्र की भी कड़े शब्दों में भर्त्सना की है। कुछ ‘कुंठित अधिकारी’, एनजीओ, मीडिया एवं विदेशी मीडिया का एक वर्ग तथा कांग्रेस एवं उसके सहयोगियों द्वारा रचित षड्यंत्र का अब पूरी तरह से पर्दाफाश हो चुका है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि षड्यंत्रकारियों के गठजोड़ ने निरंतर तथ्यों को तोड़-मरोड़कर राष्ट्र को दिग्भ्रमित तथा जांच एजेंसियों की आंखों पर धूल झोंकने के कुप्रयास किये। वर्षों तक इस मामले को किसी न किसी बहाने से खींचते रहने का षड्यंत्र अब अंतत: सर्वोच्च न्यायालय में ध्वस्त हो चुका है। सत्य की जीत हुई और षड्यंत्रकारी देश के सामने बेनकाब हो चुके हैं। अब देश के कानून के अंतर्गत इन पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि इन्हें कठोर से कठोर दंड मिले।

एक ओर जहां इस लंबी अग्निपरीक्षा के दौरान पूरा देश एकजुट होकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के साथ खड़ा रहा, वहीं दूसरी ओर श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं सब कुछ सहते हुए धैर्य एवं सहनशीलता का एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया। यह उनके न्यायालय, न्याय प्रक्रिया एवं न्यायिक व्यवस्था पर अटूट विश्वास के कारण संभव हो पाया। गोधरा एवं गुजरात दंगों की आड़ में झूठ, फरेब तथा तथ्यों को विकृत कर गुजरात एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को बदनाम करने का षड्यंत्र रचा गया था। यह राजनीतिक दुर्भावना से ग्रस्त मानसिकता से उपजा हुआ षड्यंत्र था जो बार-बार जनता के न्यायालय में हारने के कारण राजनीतिक बदले की भावना से ग्रस्त था। बरसों तक यह षड्यंत्र अलग-अलग रूपों में, विभिन्न मंचों पर और यहां तक की विदेश में भी अपना फन फैलाता रहा, परंतु हर जगह सत्य की विजय हुई। इस बरसों तक चलने वाली अग्निपरीक्षा का सामना असाधारण धैर्य, अत्यंत मर्यादित भाव, अदम्य साहस एवं अपराजेय आत्मबल के साथ-साथ लोकतंत्र पर अडिग विश्वास एवं जन-जन के समर्थन एवं स्नेह के बल पर ही संभव था। आज पूरे राष्ट्र को श्री नरेन्द्र मोदी पर एक बार पुन: गौरव का अनुभव हो रहा है।

एक ओर जहां श्री नरेन्द्र मोदी ने इस पूरे षड्यंत्र काल में भारतीय संविधान, देश के कानून, लोकतांत्रिक व्यवस्था, न्यायिक प्रक्रिया एवं न्याय व्यवस्था के प्रति अपनी आदर एवं श्रद्धा का प्रदर्शन किया, वहीं दूसरी ओर भारतीय लोकतंत्र के इन गौरवशाली स्तंभों का कांग्रेस निरंतर अपमान करती रहती है। जब कांग्रेस अध्यक्ष एवं एक पूर्व अध्यक्ष को जांच के लिए बुलाया जाता है, तब कांग्रेस सड़कों पर तमाशा करने से बाज नहीं आती। इतना ही नहीं, कांग्रेस एवं उसके नेता न्यायालय, चुनाव आयोग तथा अन्य संवैधानिक संस्थाओं पर बेशर्मी के साथ हमला कर उन पर दबाव बनाने की राजनीति करती रही है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जनता के द्वारा बार-बार चुनावों में नकारे जाने के बाद भी कांग्रेस, भारत को अपनी जागीर समझती है। यह लोग वंशवादी राजनीति में इतने भ्रमित हो चुके हैं कि अपने ‘प्रथम परिवार’ को देश के कानून से ऊपर मानते हैं। लोकतांत्रिक भावना से भरे लोग आज पूरी तरह से कांग्रेस की वंशवादी राजनीति के विरोध में हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने षड्यंत्रकारियों पर कड़ी कार्रवाई का आदेश दिया है तथा कांग्रेस एवं इस षड्यंत्र में लिप्त दोषी अब कानून के लंबे हाथों से बच नहीं सकते।

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