हरित क्रांति के जनक वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन नहीं रहे

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भारत की हरित क्रांति के जनक के रूप में पहचाने जाने वाले प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन का 98 वर्ष की आयु में 28 सितंबर को चेन्नई में उनके आवास पर निधन हो गया। पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित श्री स्वामीनाथन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के महानिदेशक रहे और उन्होंने फिलीपींस में अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान का नेतृत्व किया। वह विश्व खाद्य पुरस्कार पाने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्होंने पुरस्कार से प्राप्त आय का उपयोग प्रसिद्ध एमएसएसआरएफ गैर-लाभकारी ट्रस्ट की स्थापना के लिए किया।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त किया, जिनके “कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया और हमारे देश के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की।”

प्रधानमंत्री ने एक्स पर लिखा: “डॉ. एमएस स्वामीनाथन जी के निधन से गहरा दु:ख हुआ। हमारे देश के इतिहास के एक बहुत ही महत्वपूर्ण समय में कृषि क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व काम ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया और हमारे देश के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की।

कृषि में अपने क्रांतिकारी योगदान के अलावा डॉ. स्वामीनाथन नवप्रवर्तन के पावरहाउस और कई लोगों के लिए एक प्रेरक गुरु थे। अनुसंधान और परामर्श के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता ने अनगिनत वैज्ञानिकों और नवप्रवर्तकों पर एक अमिट छाप छोड़ी है। मैं डॉ. स्वामीनाथन के साथ अपनी बातचीत को हमेशा याद रखूंगा। भारत को प्रगति करते देखने के लिए उनका जुनून अनुकरणीय था।

उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं।”

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक के निधन पर दु:ख व्यक्त करते हुए कहा, “भारत की हरित क्रांति के जनक डॉ. एमएस स्वामीनाथन के निधन से गहरा दु:ख हुआ है। डॉ. स्वामीनाथन एक बहुआयामी व्यक्तित्व थे जिनके कृषि अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में अमूल्य योगदान ने इतिहास की दिशा बदल दी।

उन्होंने भारत की कृषि क्षमताओं को आगे बढ़ाने और लाखों लोगों को भूख के चंगुल से बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे नागरिकों के जीवन में बदलाव आया। भारत की वैज्ञानिक प्रगति और नवाचार को आगे बढ़ाने की उनकी प्रतिबद्धता हमारे वैज्ञानिक समुदाय को प्रेरित करती रहेगी। उनके परिवार के सदस्यों और शुभचिंतकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना।”