‘श्री अन्न’- किसानों के लिए वरदान

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राजकुमार चाहर

मानव जाति के अस्तित्व में आने पर जो पहला अनाज उगाया गया था, वह संभवत: बाजरा या ‘श्री अन्न’ था। अपने 2023-24 के बजट भाषण में केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने बाजरा या मोटे अनाज को ‘श्री अन्न’ कहकर संबोधित किया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल के साथ वर्ष 2023 को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में नामित किया गया है। भारत के नेतृत्व में पूरा विश्व अब ‘वर्ष 2023’ को ‘बाजरा वर्ष’ के रूप में मना रहा है। भारत में इसकी औपचारिक शुरुआत प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 18 मार्च को नई दिल्ली में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में की और अब दुनिया भर में ‘श्री अन्न’ का प्रचार किया जा रहा है।

इसी प्रकार, अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष (IYM)- 2023 के माध्यम से मिलेट के उत्पादन को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में केंद्र सरकार ‘श्री अन्न’ को लोकप्रिय बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। सांसदों के लिए लंच का आयोजन हो या दिल्ली में जी-20 की बैठक, इन सभी आयोजनों में अब ‘श्री अन्न’ व्यंजन प्रमुखता से परोसे जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त फूड फेस्टिवल हो या कॉन्क्लेव, श्री अन्न के प्रति विदेशियों को आकर्षित करने और इसके उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है।

‘बाजरा वर्ष’ के दौरान माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में भाजपा राष्ट्रीय किसान मोर्चा देश भर में विभिन्न स्थानों पर संगोष्ठियों और कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है। साथ ही, मोटे अनाज के प्रचार, प्रसार और खपत को बढ़ाने के लिए देश के हर छोटे किसान को ‘श्री अन्न’ के प्रति जागरूक कर रहा है।

भारत ‘श्री अन्न’ का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। वर्तमान में हमारे देश से सबसे ज्यादा बाजरा, रागी, कनेरी, ज्वार और कुट्‌टू एक्सपोर्ट किया जाता है। हम इन्हें अमेरिका, यूएई, ब्रिटेन, नेपाल, सऊदी अरब, यमन, लीबिया, ट्यूनीशिया, ओमान और मिस्र सप्लाई करते हैं।
लेकिन, मिलेट की कौन सी विशेषताएं इसे ‘सुपर फूड’ या ‘श्री अन्न’ बनाती हैं और यह सभी के लिए फायदेमंद क्यों है, यह सवाल है?

भारत ‘श्री अन्न’ का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। वर्तमान में हमारे देश से सबसे ज्यादा बाजरा, रागी, कनेरी, ज्वार और कुट्‌टू एक्सपोर्ट किया जाता है। हम इन्हें अमेरिका, यूएई, ब्रिटेन, नेपाल, सऊदी अरब, यमन, लीबिया, ट्यूनीशिया, ओमान और मिस्र सप्लाई करते हैं

श्री अन्न या मिलेट्स क्या है

सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान ‘श्री अन्न’ की खपत को लेकर कई साक्ष्य बताते हैं कि यह भारत में पैदा की जाने वाली पहली फसलों में से एक थी। इसे गरीबों का अनाज भी कहा जाता है। मिलेट्स सेहत के लिए भी काफी अच्छा होता है। मिलेट्स सिर्फ प्रोटीन और फाइबर ही नहीं देते, बल्कि खाने वाले को शरीर में उत्पन्न हो रहे रोगों का निदान भी करते हैं।

श्री अन्न सुपर फूड क्यों है

दरअसल श्री अन्न में पोषक तत्व ज्यादा होते हैं। इसके साथ ही बीटा-कैरोटीन, विटामिन-बी6, फोलिक एसिड, पोटैशियम, मैग्नीशियम, जस्ता आदि से ये अनाज भरपूर होते हैं। इसमें फाइबर यानी रेशा मौजूद होता है, जिससे पाचन दुरुस्त होता है। इस तरह इसको खाने वाले को कब्ज की समस्या नहीं होती। इनका सेवन करने से हड्डियों को मजबूती मिलती है। ‘श्री अन्न’ डायबिटीज तथा दिल के रोगियों के लिए भी उत्तम माना जाता है। इन्हीं सब कारणों से श्री अन्न को सुपरफूड भी कहा जाता है।

श्री अन्न में क्या-क्या शामिल है

• ज्वार: यह ग्लूटेन फ्री और प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। डायबिटीज के मरीजों के लिए बढ़िया भोजन है।
• बाजरा: इसमें विटामिन बी6, फॉलिक एसिड मौजूद है। ये खून की कमी को दूर करता है।
• रागी: यह नेचुरल कैल्शियम का स्रोत है। बढ़ते बच्चे और बुजुर्गों की हड्डी मजबूत करने में मदद करता है
सांवा या सामा: फाइबर और आयरन से भरपूर है। एसिडिटी, कब्जियत और खून की कमी को दूर करता है।
• कंगनी: ये डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करता है। बीपी और बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है।
• कोदो: यह भी फाइबर से भरपूर है। घेंघा रोग, रुसी की समस्या पर से संबंधित बीमारी और बवासीर में फायदेमंद है।
• कुटकी: ये एंटीऑक्सीडेंट का एक अच्छा स्रोत है। इसमें मौजूद मैग्नीशियम हेल्दी हार्ट और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है।
• कुट्टू: ये अस्थमा के रोगियों के लिए फायदेमंद है। इसमें मौजूद अमीनो एसिड बाल झड़ने से रोकता है।

इसकी खेती करना भी आसान

पीएम मोदी भी चाहते हैं कि श्री अन्न या भारत मोटे अनाज का वैश्विक केंद्र बने और अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2023 को ‘जन आंदोलन’ का रूप दिया जाए। बेशक, भारत दुनिया को मोटा अनाज के लाभ बताने-समझाने में अहम भूमिका निभा रहा है। हमारे देश में एशिया का लगभग 80 प्रतिशत और विश्व का 20 प्रतिशत मोटा अनाज पैदा होता है। मोटे अनाज की खेती कम लागत और कम पानी में हो जाती है। इस फसल में रोग भी कम लगते हैं जिससे कीटनाशकों का उपयोग भी न के बराबर ही होता है। चूंकि, यह असिंचित भूमि पर आसानी से हो सकता है, अतः यदि मांग बढ़ेगी तो भारत में इसकी पैदावार कई गुना बढाई जा सकती है।

किसानों की भी आय बढ़ेगी

‘श्री अन्न’ या मोटे अनाज की खेती में कम मेहनत लगती है और पानी की भी कम ही जरूरत होती है। यह ऐसा अन्न है जो बिना सिंचाई और बिना खाद के पैदा किया जा सकता है। भारत की कुल कृषि भूमि में मात्र 25-30 फीसद ही सिंचित या अर्धसिंचित है। जब ‘श्री अन्न’ की मांग बढ़ेगी तो बाजार में इनका दाम बढ़ेगा तभी असंचित भूमि वाले गरीब किसानों की आय भी बढेगी।

मिलेट फसल वर्षा आधारित होता है, जिसे कम खर्च व कम पानी में उगा सकते हैं। गरीब किसान बंजर धरती में इसका उत्पादन कर सकते हैं। मिलेट का उपयोग जितना बढ़ेगा, भोजन में उतने पोषक तत्व मिलेंगे, जिसका फायदा लोगों को होगा। मिलेट का उपयोग दुनिया में बढ़ेगा तो प्रोसेसिंग बढ़ेगी, निर्यात बढ़ेगा, जिसका लाभ छोटे किसानों को होगा और उनकी माली हालत सुधारने में सफलता मिलेगी। यह मिलेट ईयर इस दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।

मिलेट की खपत को बढ़ावा

प्रधानमंत्री के निर्देशन में जी-20 की बैठकों के माध्यम से भी मिलेट के प्रचार-प्रसार की योजना तैयार की गई है। जी-20 के सभी कार्यक्रमों में भोजन में मिलेट को प्राथमिकता दी जा रही है, ताकि जब ये लोग अपने देश लौटे तो यहां से भोजन का अच्छा स्वाद लेकर जाएं और दुनियाभर में भारतीय ‘श्री अन्न’ को नई पहचान मिलें। इसका लाभ हमारे किसानों व देश को मिलेगा।

देश में इस पर शोध बढ़ाने के लिए हरियाणा, हैदराबाद और बेंगलुरु में तीन राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए गए हैं, जिनके माध्यम से काफी काम किया जा रहा है। कृषि क्षेत्र में लगभग 2000 स्टार्टअप काम कर रहे हैं, जिनमें से अधिकांश मिलेट से संबंधित हैं। हमारे देश से 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के कृषि उत्पाद का निर्यात किया गया, जिसमें से अधिकांश जैविक उत्पाद या मिलेट हैं।
‘श्री अन्न’ (मिलेट) आज की जरूरत है क्योंकि यह पोषक तत्वों से भरपूर है। ये पौष्टिक अनाज खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं। भारत बाजरा का एक प्रमुख उत्पादक है, फिर भी दैनिक आहार के मामले में हमारी थाली से मिलेट गायब है। वर्तमान परिवेश में चाहे घर में हो या बाहर, हमें भोजन तो मिलता है, लेकिन उसमें आवश्यकता के अनुसार पोषक तत्वों की कमी होती है। हमें अपने भोजन की थाली में पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता है, इसके लिए थाली में ‘श्री अन्न’ का होना आवश्यक है।

(लेखक भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं)