बुराइयों के खिलाफ लड़ने का माद्दा हमारे भीतर ही पैदा हुआ: नरेंद्र मोदी

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बसावा जयंती कार्यक्रम। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 29 अप्रैल को बसावा जयंती 2017 के उद्घाटन तथा बसावा समिति के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर श्री मोदी ने कहा कि हमारे देश की विशेषता रही है कि बुराइयां आई हैं, लेकिन उनके खिलाफ लड़ने का माद्दा भी हमारे भीतर ही पैदा हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 11वीं शताब्दि में भगवान बसेश्वसर ने भी एक लोकतांत्रिक व्यवस्था का सृजन किया। उन्होंने अनुभव मंडप नाम की एक ऐसी व्यवस्था विकसित की जिनमें हर तरह के लोग गरीब हो, दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो वहां आकर के सबके सामने अपने विचार रख सकते हैं। ये तो लोकतंत्र कि कितनी बड़ी अद्भुत शक्ति थी। एक तरह से यह देश की पहली संसद थी। यहां हर कोई बराबर के थे। कोई ऊंच नहीं भेदभाव नहीं मेरा तेरा कुछ नहीं। श्री मोदी ने कहा कि वो कहते थे, जब विचारों का आदान प्रदान न हो, जब तर्क के साथ बहस न हो, तब अनुभव गोष्टी भी प्रासंगिक नहीं रह जाती और जहां ऐसा होता है, वहां ईश्वर का वास भी नहीं होता है। यानी उन्होंने विचारों के इस मंथन को ईश्वर की तरह शक्तिशाली और ईश्वर की तरह ही आवश्यक बताया था।

उन्होंने कहा कि इससे बड़े ज्ञान की कल्पना कोई कर सकता है। यानी सैकड़ों साल पहले विचार का सामर्थ ज्ञान का सामर्थ ईश्वर की बराबरी का है। ये कल्पना आज शायद दुनिया के लिये अजूबा है। अनुभव मंडप में अपने विचारों के साथ महिलाओं को खुल कर के बोलने की स्वतंत्रता थी। आज जब ये दुनिया हमें वीमेन एम्पावरमेंट के लिये पाठ पढ़ाती है। भारत को नीचा दिखाने के लिये ऐसी-ऐसी कल्पना विश्व में प्रचारित की जाती है।

श्री मोदी ने कहा कि ये सैंकड़ों साल पुराना इतिहास हमारे सामने मौजूद है कि भगवान बसवेश्वर ने ‘वीमेन एम्पावरमेंट इक्वल पार्टनरशिप’ कितनी उत्तम व्यवस्था साकार की। सिर्फ कहा नहीं व्यवस्था साकार की। समाज के हर वर्ग से आई महिलाएँ अपने विचार व्यक्त करती थीं। उन्होंने कहा कि कई महिलाएं ऐसी भी होती थीं जिन्हें सामान्य समाज की बुराइयों के तहत तिरस्कृत समझा जाता था। जिनसे अपेक्षा नहीं जाती थी। जो उस समय के तथाकथित सभ्य समाज बीच में आए। कुछ बुराइयां थी हमारे यहां। वैसी महिलाओं को भी आकर के अनुभव मंडप में अपनी बात रखने का पूरा पूरा अधिकार था। महिला सशक्तिकरण को लेकर उस दौर में कितना बड़ा प्रयास था, कितना बड़ा आंदोलन था हम अंदाजा लगा सकते हैं।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे देश की विशेषता रही है। हजारों साल पुराना हमारी परम्परा है, तो बुराइयां आई हैं। नहीं आनी चाहिए। आई, लेकिन उन बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ने का माद् दा भी हमारे भीतर ही पैदा हुआ है। जिस समय राजाराम मोहन राय ने विधवा विवाह की बात रखी होगी। उस समय के समाज ने कितना उनकी आलोचना की होगी, कितनी कठिनाइयां आई होगी। लेकिन वो अड़े रहे। माताओं बहनों के साथ ये घोर अन्याय है। अपराध है समाज का ये जाना चाहिए।

साथ ही श्री मोदी ने यह भी कहा कि तीन तलाक को लेकर के आज इतनी बड़ी बहस चल रही है। मैं भारत की महान परम्परा को देखते हुए। मेरे भीतर एक आशा का संचार हो रहा है। मेरे मन में एक आशा जगती है कि इस देश में समाज के भीतर से ही ताकतवर लोग निकलते हैं।…आधुनिक व्यवस्थाओं को विकसित करते हैं। मुसलमान समाज में से भी ऐसे प्रबुद्ध लोग पैदा होंगे। आगे आएंगे और मुस्लिम बेटियों को उनके साथ जो गुजर रही है जो बीत रही है। उसके खिलाफ वो खुद लड़ाई लड़ेंगे और कभी न कभी रास्ता निकालेंगे।

उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान के ही प्रबुद्ध मुसलमान निकलेंगे जो दुनिया के मुसलमानों को रास्ता दिखाने की ताकत रखते हैं। इस धरती की ये ताकत है और तभी तो उस कालखंड में ऊंच नीच, छूत-अछूत चलता होगा। तब भी भगवान बसवेश्वर कहते थे, नहीं उस अनुभव मंडप में आकर के उस महिला को भी अपनी बात कहने का हक है। सदियों पहले ये भारत की मिट्टी की ताकत है कि तीन तलाक के संकट से गुजर रहे हमारी माता बहनों को भी बचाने के लिये उसी समाज से लोग आएंगे।

श्री मोदी ने कहा कि मैं मुसलमान समाज के लोगों से भी आग्रह करूंगा कि इस मसले को राजनीति के दायरे में मत जाने दीजिये। आप आगे आइये इस समस्या का समाधान कीजिए और वो समाधान का आनन्द कुछ और होगा आने वाले पीढ़ियां तक उससे ताकत लेगी।