केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा 13 अप्रैल को जारी एक बयान के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 में प्रत्यक्ष करों का सकल संग्रह वित्त वर्ष 2013-14 से 172.83 प्रतिशत से भी अधिक बढ़कर 19,68,780 करोड़ रुपये (अनंतिम) के स्तर पर पहुंच गया, जबकि वित्त वर्ष 2013-14 में प्रत्यक्ष करों का सकल संग्रह 7,21,604 करोड़ रुपये का हुआ था। प्रत्यक्ष करों का शुद्ध संग्रह वित्त वर्ष 2013-14 के 6,38,596 करोड़ रुपये से 160.17 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 16,61,428 करोड़ रुपये (अनंतिम) हो गया।
विज्ञप्ति के अनुसार प्रत्यक्ष करों का सकल संग्रह वित्त वर्ष 2021-22 में 126.73 प्रतिशत से भी अधिक बढ़कर 16,36,081 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया, जबकि वित्त वर्ष 2013-14 में प्रत्यक्ष करों का सकल संग्रह 7,21,604 करोड़ रुपये का हुआ था। प्रत्यक्ष करों का शुद्ध संग्रह वित्त वर्ष 2013-14 के 6,38,596 करोड़ रुपये से 121.18 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 में 14,12,422 करोड़ रुपये हो गया।
वित्त वर्ष 2021-22 में प्रत्यक्ष कर उछाल 2.52 आंकी गई, जो कि पिछले 15 वर्षों में दर्ज की गई सर्वाधिक प्रत्यक्ष कर उछाल है। प्रत्यक्ष कर-जीडीपी अनुपात वित्त वर्ष 2013-14 के 5.62 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 में 5.97 प्रतिशत हो गया। कर संग्रह की लागत वित्त वर्ष 2013-14 में कुल संग्रह के 0.57 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2021-22 में कुल संग्रह का 0.53 प्रतिशत रह गई है।