‘अबकी बार, 400 पार’

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जैसे-जैसे 2024 का लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, ‘अबकी बार, 400 पार’ का नारा पूरे देश में गूंजने लगा है। यह परिदृश्य प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सुदृढ़ एवं दूरदर्शी नेतृत्व एवं भारतीय जनता पार्टी की नीतियों एवं कार्यक्रमों में जन-जन के निरंतर बढ़ते विश्वास को दर्शाता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जनता का अपार विश्वास इसी बात से परिलक्षित होता है कि आज लोग ‘मोदी की गारंटी’ को ‘गारंटी पूरी होने की गारंटी’ मानते हैं। जहां ‘विकसित भारत’ के निर्माण का प्रधानमंत्री मोदीजी का संकल्प अब पूरे देश का संकल्प बन गया है; असीमित उत्साह एवं नया आत्मविश्वास तथा जोश से भरे लोग इस लक्ष्य की ओर मजबूती से चल पड़े हैं। देश में मानो एक नया सवेरा हुआ है, लोगों के आंखों में एक विकसित, सुदृढ़ एवं उज्ज्वल भारत का स्वप्न है। आज जब जनता का आशीर्वाद भाजपा पर बरस रहा है तब चुनाव जैसे अवसर पर मतदान कर लोग ‘विकसित भारत’ के लक्ष्यों के प्रति स्वयं को पुनर्समर्पित कर रहेे हैं।

पिछले दस वर्षों की अविस्मरणीय उपलब्धियां, जिससे आज सभी अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ एवं एजेंसियां चमत्कृत हैं, विकसित भारत के संकल्प को सुदृढ़ कर रही हैं। ‘फ्रैजाइल फाइव’ से ‘फैबुलस फाइव’ की यात्रा ‘रिफॉर्म, परफॉर्म एवं ट्रांस्फॉर्म’ की यात्रा रही है जिससे देश नित नई ऊंचाइयों को छू रहा है। कांग्रेसनीत यूपीए के दस वर्षों के कुशासन, व्यापक भ्रष्टाचार, जनता के खजाने की लूट, भारी महंगाई, खाली होता विदेशी मुद्रा भंडार और लुढ़कती विकास दर के संदर्भ में यदि देखें तो पिछले दस वर्ष की यात्रा चमत्कारी लगती है। कांग्रेसनीत यूपीए का कार्यकाल ‘पॉलिसी पैरालासिस’ के दौर के रूप में जाना जाता है तथा 2004-2014 के इस दशक को ‘लॉस्ट डिकेड’, खोया हुआ दशक भी कहा जाता है। कांग्रेसनीत यूपीए के कुशासन में पूरा देश नकारात्मकता एवं निराशा के दलदल में डूब गया था और देश हर क्षेत्र में पिछड़ रहा था। कोई भी इस सच्चाई से इनकार नहीं कर सकता कि देश को इस दलदल से निकालने की चुनौती बहुत ही विकट थी और दुनियाभर के विशेषज्ञ कहने लगे थे कि भारत के भविष्य की संभावनाओं पर अब प्रश्नचिन्ह लग गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, जो पूरे देश के लिए आशा की किरण के रूप में उभरे हैं, उन्होंने न केवल देश को इस दलदल से निकाला, बल्कि अपने परिवर्तनकारी निर्णयों से उन ऊंचाइयों पर ले गए जहां से ‘विकसित भारत’ का स्वप्न अब साकार होता संभव दिख रहा है।

पिछले दस वर्षों में देश में व्यापक परिवर्तन हुए हैं, जिससे जहां कई जनाकांक्षाएं पूर्ण हुई हैं वहीं कई नई जनाकांक्षाएं उभरी भी हैं। आज जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी पूरे देश को बड़ा सोचने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, उन्होंने वैश्विक मंचों पर मानवता की सेवा का व्रत लिए हुए भारत का ‘विश्वमित्र’ के रूप में नेतृत्व किया है। हर देश के साथ उनकी जरूरत के समय खड़ा रहकर भारत ने कोविड-19 वैश्विक महामारी एवं अन्य कई आपदाओं के समय सभी देशों की हरसंभव सहायता की है। गांव, गरीब, किसान, महिला, युवा, दलित, आदिवासी एवं पिछड़ा वर्ग पर विशेष ध्यान देकर समाज के वंचित, पीड़ित, शोषित एवं उपेक्षित वर्गों का अभिनव योजनाओं एवं कल्याणकारी कदमों से सशक्तीकरण हुआ है। यह पहली बार है कि भारत की गौरवशाली विरासत का विश्वभर में उत्सव मनाया गया है और हर भारतीय अपनी अद्वितीय विरासत को लेकर गौरवान्वित है। ‘विकास’ शब्द अब मंत्र बन गया है तथा सारा देश एक नई ऊर्जा की अनुभूति कर रहा है। अब देश नए क्षितिजों को छूना चाहता है, जो कुछ असंभव लगता था, उसको संभव करना चाहता है।

आज जब ‘नया भारत’ अपने उज्ज्वल भविष्य को लेकर आत्मविश्वास से परिपूर्ण है और ‘विकसित भारत’ के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा हे, कमल संदेश का यह विशेषांक अपने सुधी पाठकों के लिए प्रकाशित किया गया है। हमें आशा है कि हमारे पाठकगण न केवल मोदी सरकार की पिछले दस वर्षों की चमत्कारिक उपलब्धियों को इस विशेषांक में पढ़ पाएंगे, बल्कि अन्य पाठकों को पढ़ाएंगे भी, ताकि ‘विकसित भारत’ का संदेश घर-घर पहुंचे। आपके निरंतर सहयोग एवं उत्साहवर्धन के लिए हम आपके सदा आभारी हैं।

                                          shivshaktibakshi@kamalsandesh.org