मलप्पुरम जिले के नीलांबुर के शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाले श्री टी.एन. भारतन वर्ष 1946 से लेकर अगले चार साल तक आरएसएस के प्रचारक रहे। उन्होंने कोझिकोड से इंटरमीडिएट कोर्स और बनारस यूनिवर्सिटी से सिरेमिक टेक्नोलॉजी में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। श्री भारतन ने वर्ष 1943 में प्रथम वर्ष (ओटीसी) का प्रशिक्षण हासिल किया, द्वितीय वर्ष के लिए 1944 में बेलगाम गये और नागपुर में अपने तृतीय वर्ष का संगठनात्मक प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा किया।
31 मार्च, 1957 को पलक्कड़ में आयोजित सम्मेलन में उन्हें जनसंघ का पहला प्रदेश मंत्री चुना गया। श्री भारतन ने जनसंघ के उम्मीदवार के रूप में दो चुनाव लड़े, 1967 में गुरुवायूर से विधानसभा चुनाव और केरल प्रदेश के गठन से ठीक पहले कोझीकोड नगरपालिका चुनाव।
श्री भारतन, जैसाकि उनके विषय में सभी जानते हैं, वह हमेशा हर आंदोलन, हर कार्यक्रम के दौरान प्रमुख भूमिका में रहा करते थे। चाहे वह मलप्पुरम जिले के गठन के खिलाफ आंदोलन हो, या थाली महादेव मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए, अट्टापदी मंदिर का मुद्दा हो, मनाथला आंदोलन हो, नियमित मार्ग से जुलूस निकालने का हिंदुओं का अधिकार हो, तनूर पुलिस फायरिंग का मुद्दा या मलप्पुरम जिले के चमरावट्टम में नदी की रेत इकट्ठा करने के लिए हिंदू मजदूरों का आंदोलन हो। जनसंघ और संघ के संगठनों के एक वरिष्ठ नेता के रूप में उन्हें सभी राजनेताओं और धार्मिक नेताओं द्वारा व्यापक रूप से सम्मानित किया गया। 1980 में जब भाजपा का गठन हुआ, तो वह मलप्पुरम में भाजपा के जिलाध्यक्ष का पद संभालने के लिए आगे आए।
उनकी एक बेटी, हैमावती और दो बेटे दुर्गादासन और श्रीधर कुमारन थे। दुर्गादास ने अपने पिता के मार्ग का अनुसरण किया और संघ प्रचारक बन गए। 1981 में कोल्लम जिले में सेवा के दौरान सीपीएम के गुंडों ने उनकी बेरहमी से हत्या कर दी थी। श्री भारतन का जन्म 26 जुलाई, 1925 को हुआ था और उनका निधन 20 जनवरी, 2001 को हुआ।