विकसित भारत के स्वप्न को साकार करने के लिए परिवर्तनकारी विधेयक पारित

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धारा 370 एवं 35 (ए) को निरस्त करने के मोदी सरकार के ऐतिहासिक निर्णय पर सर्वोच्च न्यायालय ने मुहर लगा दी है। सर्वोच्च न्यायालय के इस महत्वपूर्ण निर्णय से दशकों से इस विषय पर भारतीय जनता पार्टी एवं पूर्व में जनसंघ का पक्ष संवैधानिक रूप से सही प्रमाणित हुआ है। भाजपा का शुरू से ही यह मत रहा कि धारा 370 संविधान में एक अस्थायी प्रावधान था तथा यह जम्मू-कश्मीर की जनता का भारत के साथ एकीकरण, उनके विकास, प्रगति एवं प्रदेश में शांति के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा थी। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मत को स्वीकार करते हुए राष्ट्रपति के धारा 370 को निरस्त करने के आदेश को संविधान सम्मत ठहराया है। साथ ही, सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात को भी रेखांकित किया कि धारा 370 संविधान का एक अस्थायी प्रावधान था एवं जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा कभी भी किसी प्रकार की

हाल में हुए विधानसभा चुनावों में कांगेस एवं इसके सहयोगियों की करारी हार का ही परिणाम था कि वे लोकतंत्र को अवरुद्ध करना चाहते थे। उनके इस लोकतंत्र-विरोधी आचरण की पूरे देश में भर्त्सना हुई है

स्थायी व्यवस्था नहीं थी। सर्वोच्च न्यायालय ने लद्दाख को भी केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने के निर्णय को सही ठहराया है। ध्यान देने योग्य है कि सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि पूर्व की जम्मू-कश्मीर को भारत का हिस्सा बनने के बाद देश के अन्य प्रदेशों से अलग किसी प्रकार की आतंरिक संप्रभुता नहीं रही। अब जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने उसी बात को पुनः स्पष्ट किया है जो संवैधानिक रूप से सर्वज्ञात था, अलगाववादियों के इशारों पर अब तक देश में संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत जो षड्यंत्र चल रहा था, उसका पूरी तरह से पर्दाफाश हुआ है। यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ही सुदृढ़ एवं साहसिक निर्णय से संभव हुआ है कि आज धारा 370 निरस्त हुई है तथा जम्मू-कश्मीर शांति, विकास एवं प्रगति की ओर जमीनी लोकतंत्र को जीवंत कर आगे बढ़ चला है। परिणाम यह है कि आतंकवाद-अलगाववाद जड़ से समाप्त हो रहा है तथा जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख आज शांति, उन्नति एवं समृद्धि के नए सवेरे का स्वागत कर रहा है।

‘संसद का शीतकालीन सत्र-2023’ को विकसित भारत के स्वप्न को साकार करने वाले परिवर्तनकारी विधेयकों को पारित करने के लिए याद रखा जाएगा। जहां जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 से अनुसूचित जाति, जनजाति एवं सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगांे को नौकरी एवं व्यावसायी शिक्षा में आरक्षण का लाभ मिल सकेगा, वही जम्मू-कश्मीर पुर्नगठन (संशोधन) विधेयक, 2023 जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सदस्यों की संख्या 107 से 114 करता है तथा तीन मनोनीत सदस्यों का भी प्रावधान करता है। भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 तथा भारतीय साक्ष्य संहिता, 2023 के संसद द्वारा पारित होने के साथ ही गुलामी की मानसिकता से मुक्त दंड न्याय व्यवस्था में व्यापक सुधार की प्रक्रिया शुरू हो गई। इन विधेयकों से भारतीय न्याय व्यवस्था में क्रांतिकारी सुधार होंगे, पूरी दंड न्याय प्रक्रिया गुलामी की मानसिकता से मुक्त होगी तथा लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप आधुनिक न्याय प्रणाली का निर्माण होगा। इन विधेयकों से न केवल महिलाओं एवं अवयस्क बालक-बालिकाओं को सुरक्षा सुनिश्चित होगी बल्कि वर्तमान सामाजिक चुनौतियों के अनुरूप नए प्रकार के अपराधों से निपटने, गिरफ्तारी, जांच-पड़ताल एवं परीक्षण के लिए एक न्यायसंगत एवं निष्पक्ष प्रक्रिया का भी निर्माण होगा, जो भारतीय मूल से जुड़ा होगा। इनके अलावा, एडवोकेट (संशोधन) विधेयक, 2023; केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2023; मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवाशर्त एवं कार्यकाल) विधेयक, 2023 जैसे अन्य महत्वपूर्ण विधेयक भी इस सत्र में पारित हुए।

जहां पूरा राष्ट्र संसद में अनेक परिवर्तनकारी विधेयकों को पारित होते हुए देख रहा था, वहीं कांगेसनीत विपक्षी दल अपने नकारात्मकता के साथ सदन में हंगामा कर रहे थे। इस हंगामे को ढाल बनाकर वे संसद में इन विधेयकों को बाधित करना चाहते थे तथा इन पर किसी भी प्रकार की चर्चा से भाग रहे थे। हाल में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस एवं इसके सहयोगियों की करारी हार का ही परिणाम था कि वे लोकतंत्र को अवरुद्ध करना चाहते थे। उनके इस लोकतंत्र-विरोधी आचरण की पूरे देश में भर्त्सना हुई है। आज जब पूरा देश विकसित भारत के संकल्पों को आत्मसात कर रहा है, देश में एक नई आशा और आत्मविश्वास का संचार हो रहा है।

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