सांस्कृतिक उत्थान व विकास साथ-साथ

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ज जब विश्वभर के करोड़ों रामभक्त पूरे देश के साथ अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस पवित्र धाम को कई परियोजनाओं का उपहार देकर इसे विश्व के सर्वाधिक उत्कृष्ट तीर्थस्थलों में से एक बनाने का संकल्प लिया है। जहां महर्षि वाल्मिकी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, जो अपने आप में हर तरह से साधन संपन्न है, वर्ष में दस लाख से अधिक यात्रियों को आवागमन की सुविधा देने की क्षमता रखता है, वहीं पुनर्विकसित अयोध्या रेलवे स्टेशन, नई अमृत भारत ट्रेनों एवं वंदेभारत ट्रेनों से प्रतिदिन दस हजार से अधिक लोग यात्रा कर सकेंगे। भगवान रामलला की जन्मस्थली, अयोध्या धाम, जिसके लिए भक्तगण के हृदय में अगाध श्रद्धा का भाव है, आज एक अत्यंत आधुनिक तीर्थस्थल के रूप में विकसित हो रहा है, जो प्राचीन

भगवान रामलला की जन्मस्थली, अयोध्या धाम, जिसके लिए भक्तगण के हृदय में अनंत श्रद्धा भाव है, आज एक अत्यंत आधुनिक तीर्थस्थल के रूप में विकसित हो रहा है

विरासत का गौरवशाली प्रतीक तो है ही, साथ ही सबसे स्वच्छ तीर्थस्थलों में से एक होगा। यह भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का एक गौरवशाली प्रतीक बनकर उभर रहा है। साथ ही, यह भारतीय संस्कृति की अजेय जिजीविषा, सदियों का संघर्ष तथा जन-जन का ‘सत्यमेव जयते’ के मंत्र पर अटूट आस्था के प्रतीक के रूप में भी उभरा है। अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा से ‘अमृतकाल’ में ‘विकसित भारत’ के स्वप्न को साकार करने के संकल्प को एक नई प्रेरणा मिल रही है। यही नहीं, ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के आह्वान से जन-जन को एक नई ऊर्जा एवं चेतना मिल रही है। यह एक ऐतिहासिक क्षण है जब स्वप्न साकार हो रहे हैं और करोड़ों मन में अपार उत्साह की तरंगे हिलोरे ले रही हैं। लगता है पूरा राष्ट्र अपने उज्ज्वल एवं समृद्ध भविष्य की गौरवमयी यात्रा पर चल पड़ा है।

26 दिसंबर, 2023 को पूरे राष्ट्र ने साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह एवं बाबा फतेह सिंह के बलिदान दिवस को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया। ध्यान देने योग्य है कि श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के ‘प्रकाश पर्व’ के पावन अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की थी कि हर वर्ष 26 दिसंबर को पूरा देश ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाएगा। गुरु गोविंद सिंह जी के पुत्रों का 9 एवं 6 वर्ष की बाल अवस्था में देश के स्वाभिमान की रक्षा के लिए िदए गए सर्वोच्च बलिदान से पूरे राष्ट्र को प्रेरणा मिलती है। वीर साहिबजादों का साहस एवं संकल्पशक्ति, जिसके बल पर उन्होंने क्रूरता एवं अन्याय का सामना किया, युवाओं की आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा। किसी भी राष्ट्र का भविष्य एवं उसकी नियति का निर्धारण उसकी युवाशक्ति की क्षमता एवं संभावनाओं पर निर्भर करता है। ऐसे में ‘वीर बाल दिवस’ की भूमिका और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। जहां पूरे देश में विभिन्न स्थानों पर ‘वीर बाल दिवस’ पर कार्यक्रम हुए, वहीं प्रधानंत्री श्री नरेन्द्र मोदी नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने अपने उद्बोधन में वीर साहिबजादों के साथ-साथ बाल्यकाल में भी अपने कृतित्व से राष्ट्र को प्रेरणा देने वाले नचिकेता, अभिमन्यु, ध्रुव, मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त, एकलव्य, खुदीराम बोस, कनकलता बरूआ, रानी गाईदिनल्यू, बाजी राऊत जैसे महानायकों का उद्धरण दिया एवं कहा कि आने वाली पीढ़ियां इनसे निरंतर प्रेरित होती रहेंगी।

जहां प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के करिश्माई एवं ऊर्जावान नेतृत्व में भारत एक नए आत्मविश्वास एवं आशा के साथ आगे बढ़ रहा है, वहीं देश के गौरवपूर्ण राष्ट्रीय विरासत के पुनरुद्धार एवं उन्हंे पुनर्विकसित करने के कार्य से पूरे देश में एक नई ऊर्जा का संचार हो रहा हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि कोई भी राष्ट्र अपने प्राचीन विरासत से प्रेरणा लेता है और इसके सांस्कृतिक केंद्र इसकी प्राणवायु के समान होते हैं। ‘अमृतकाल’ में देश का लक्ष्य औपनिवेशिक दासता के सभी चिह्नों को मिटाने तथा अपने गौरवपूर्ण विरासत को पुनर्जागृत करने के संकल्प से अभिमंत्रित है। राष्ट्र की जड़ों को सींचे बिना न तो इसे सुदृढ़ किया जा सकता है न ही ‘विकसित भारत’ के संकल्प को सिद्ध किया जा सकता है। जहां भव्य श्रीराम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा से निकलने वाली ऊर्जा से राष्ट्र को और अधिक गति एवं शक्ति मिल रही है, वहीं ‘वीर बाल दिवस’ से देश के युवा अदम्य साहस एवं बलिदान की प्रेरणा पा रहे हैं। इन मूल्यों एवं सिद्धांतों के आधार पर ही आने वाली पीढ़ियां राष्ट्रीय पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में अपने बहुमूल्य योगदान देगी एवं अपने कर्तव्यों का पालन के प्रति सन्नद्ध रहेंगी।
                                                                                                                                     shivshaktibakshi@kamalsandesh.org