जनजातीय समुदाय हमारी धरती, हमारी विरासत का अभिन्न हिस्सा रहे हैं: नरेन्द्र मोदी

| Published on:

                                                         मन की बात’

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 29 जनवरी को ‘मन की बात’ की 97वीं कड़ी में पद्म पुरस्कार, मिलेट (मोटे अनाज), भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों समेत कई विषयों पर चर्चा की। अपने रेडियो कार्यक्रम में श्री मोदी ने कहा कि इस बार पद्म पुरस्कार से सम्मानित होने वालों में जनजातीय समुदाय और जनजातीय जीवन से जुड़े लोगों का अच्छा-खासा प्रतिनिधित्व रहा है। जनजातीय जीवन, शहरों की भागदौड़ से अलग होता है, उसकी चुनौतियां भी अलग होती हैं। इसके बावजूद जनजातीय समाज अपनी परम्पराओं को सहेजने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।

2023 की पहली ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री ने कहा कि जनजातीय समुदायों से जुड़ी चीज़ों के संरक्षण और उन पर शोध के प्रयास भी होते हैं। ऐसे ही टोटो, हो, कुइ, कुवी और मांडा जैसी जनजातीय भाषाओं पर काम करने वाले कई महानुभावों को पद्म पुरस्कार मिले हैं। यह हम सभी के लिए गर्व की बात है।
उन्होंने कहा कि धानीराम टोटो, जानुम सिंह सोय और बी. रामकृष्ण रेड्डी जी के नाम अब तो पूरा देश उनसे परिचित हो गया है। सिद्धी, जारवा और ओंगे जैसी आदि-जनजाति के साथ काम करने वाले लोगों को भी इस बार सम्मानित किया गया है। जैसे– हीराबाई लोबी, रतन चंद्र कार और ईश्वर चंद्र वर्मा जी।
श्री मोदी ने कहा कि जनजातीय समुदाय हमारी धरती, हमारी विरासत का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। देश और समाज के विकास में उनका योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। उनके लिए काम करने वाले व्यक्तित्वों का सम्मान, नई पीढ़ी को भी प्रेरित करेगा।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष पद्म पुरस्कारों की गूंज उन इलाकों में भी सुनाई दे रही है, जो नक्सल प्रभावित हुआ करते थे। अपने प्रयासों से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में गुमराह युवकों को सही राह दिखाने वालों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इसके लिए कांकेर में लकड़ी पर नक्काशी करने वाले अजय कुमार मंडावी और गढ़चिरौली के प्रसिद्द झाडीपट्टी रंगभूमि से जुड़े परशुराम कोमाजी खुणे को भी ये सम्मान मिला है। इसी प्रकार नॉर्थ-ईस्ट में अपनी संस्कृति के संरक्षण में जुटे रामकुईवांगबे निउमे, बिक्रम बहादुर जमातिया और करमा वांगचु को भी सम्मानित किया गया है।

श्री मोदी ने कहा कि इस बार पद्म पुरस्कार से सम्मानित होने वालों में कई ऐसे लोग शामिल हैं, जिन्होंने संगीत की दुनिया को समृद्ध किया है। कौन होगा जिसको संगीत पसंद न हो। हर किसी की संगीत की पसंद अलग-अलग हो सकती है, लेकिन संगीत हर किसी के जीवन का हिस्सा होता है। इस बार पद्म पुरस्कार पाने वालों में वो लोग हैं, जो, संतूर, बम्हुम, द्वितारा जैसे हमारे पारंपरिक वाद्ययंत्र की धुन बिखेरने में महारत रखते हैं। गुलाम मोहम्मद ज़ाज़, मोआ सु-पोंग, री-सिंहबोर कुरका-लांग, मुनि-वेंकटप्पा और मंगल कांति राय ऐसे कितने ही नाम हैं जिनकी चारों तरफ़ चर्चा हो रही है।

लोग बड़े पैमाने पर अपना रहे हैं मिलेट्स

अनाज (मिलेट) पर चर्चा करते हुए श्री मोदी ने कहा कि जिस तरह लोगों ने व्यापक स्तर पर सक्रिय भागीदारी करके योग और फिटनेस को अपने जीवन का हिस्सा बनाया है उसी तरह मिलेट्स को भी लोग बड़े पैमाने पर अपना रहे हैं। लोग अब मिलेट्स को अपने खानपान का हिस्सा बना रहे हैं।
श्री मोदी ने कहा कि आज हिंदुस्तान के कोने-कोने में G-20 की बैठकें लगातार चल रही हैं और मुझे खुशी है कि देश के हर कोने में जहां भी G-20 की बैठक हो रही है, मिलेट्स से बने पौष्टिक और स्वादिष्ट व्यंजन उसमें शामिल होते हैं।

पेटेंट फाइलिंग में भारत की रैंकिंग 7वीं और ट्रेडमार्क में 5वीं

‘मन की बात’ के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज पेटेंट फाइलिंग में भारत की रैंकिंग 7वीं और ट्रेडमार्क में 5वीं है। सिर्फ पेटेंट्स की बात करें, तो पिछले पांच वर्षों में इसमें करीब 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वैश्विक नवाचार सूचकांक में भी भारत की रैंकिंग में जबरदस्त सुधार हुआ है और अब वो 40वें पर आ पहुंची है, जबकि 2015 में भारत वैश्विक नवाचार सूचकांक में 80 नंबर के भी पीछे था। एक और दिलचस्प बात मैं आपको बताना चाहता हूं। भारत में पिछले 11 वर्षों में पहली बार डोमेस्टिक पेटेंट फाइलिंग की संख्या फॉरेन फाइलिंग से अधिक देखी गई है। ये भारत के बढ़ते हुए वैज्ञानिक सामर्थ्य को भी दिखाता है।