मैं राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर 5 फरवरी को राज्य सभा में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने कहा कि भाजपानीत केंद्र की राजग सरकार ने साढ़े तीन वर्षों के दौरान पचास से ज्यादा ऐसे काम किए हैं, जिनको इस देश के इतिहास में स्थान मिलेगा। इस सरकार ने अपने अंत्योदय के लक्ष्य को पूर्ण करने के लिए शुरू से ही गरीबों के जीवन स्तर को उठाने के लिए बहुत सूझ-बूझ के साथ विकास करना तय किया। यहां प्रस्तुत है उनके संबोधन का सारांश :
प्रस्ताव करता हूं कि राष्ट्रपति के प्रति निम्नलिखित रूप में कृतज्ञता ज्ञापित की जाए: “राष्ट्रपति ने 29 जनवरी, 2018 को संसद की दोनों सभाओं की सम्मिलित बैठक में जो अभिभाषण दिया है, उसके लिए राज्य सभा के वर्तमान सत्र में उपस्थित सदस्य राष्ट्रपति के प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं।”
राष्ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में सरकार की उपलब्धियों को हम सबके सामने रखा है। इसके विश्लेषण किए जाने का स्वागत है। मगर मैं उसमें एक अलग दृष्टिकोण भी जोड़ना चाहता हूं कि इस सरकार को विरासत में एक प्रकार का गड्ढ़ा मिला, जिसे भरने में ही सरकार का बहुत सारा समय गया है। वर्ष 2013 में देश में हर व्यक्ति को देश के भविष्य की चिंता थी। महिलाएं स्वयं को असुरक्षित महसूस करती थीं। सीमाओं की सुरक्षा का कोई ठौर-ठिकाना नहीं था। सीमा की रक्षा करने वाले जवान सरकार की अनिर्णायकता के कारण अपने शौर्य का प्रदर्शन भी नहीं कर सकते थे। युवा आक्रोशित था। घपलों, घोटालों, भ्रष्टाचार के कारण देश की जनता चिंतित थी। नीतिगत मामलों में सरकार को लकवा मार गया था। तब 2014 में चुनाव के दौरान इस देश की महान जनता ने एक ऐतिहासिक निर्णय किया।
2014 में आज़ादी के बाद पहली बार किसी गैर-कांग्रेसी दल की सरकार बनी और वह थी श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में बनी भारतीय जनता पार्टी की सरकार। 30 साल के बाद किसी एक दल को पूर्ण बहुमत मिला कि अपनी पॉलिसी के आधार पर इस देश को आगे ले जाइए। इस देश की समस्याओं का समाधान ढूंढिए। यह जनादेश एक बहुत बड़ा और ऐतिहासिक जनादेश था। मोदी जी को दल का नेता चुना गया और उन्होंने एक ऐतिहासिक भाषण दिया। उन्होंने कहा था कि जो सरकार बनने जा रही है वह गरीबों, किसानों, दलितों, पिछड़ों, युवाओं, महिलाओं और आदिवासियों की सरकार होगी। यह सरकार अंत्योदय के सिद्धांत के आधार पर चलकर सभी का विकास करेगी।
इस सरकार ने साढ़े तीन वर्षो के दौरान पचास से ज्यादा ऐसे काम किए हैं, जिनको इस देश के इतिहास में स्थान मिलेगा। इस सरकार ने अपने अंत्योदय के लक्ष्य को पूर्ण करने के लिए शुरू से ही गरीबों के जीवन स्तर को उठाने के लिए बहुत सूझ-बूझ के साथ विकास करना तय किया और इस क्रम में जो सबसे पहला काम किया गया, वह है जन-धन बैंक एकाउंट खोलने का काम।
70 साल की आज़ादी के बाद 55 साल के कांग्रेस शासन के बाद भी 60 प्रतिशत लोगों के पास एक भी बैंक एकाउंट नहीं था। मगर आज इस देश में गरीबों के 31 करोड़ बैंक एकाउंट खोले गए हैं। यह टीका-टिप्पणी की गई कि बैंक एकाउंट में जमा करने के लिए गरीबों के पास पैसे कहां से आएंगे, मगर मैं कहना चाहता हूं कि जन-धन योजना के अन्तर्गत इन खातों में 73 हजार करोड़ रुपए जमा हुए हैं।
लाखों लोगों ने प्रधानमंत्री की अपील को सम्मान देते हुए गैस की सब्सिडी छोड़ दी। भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इसमें कुछ और पैसा जोड़कर उज्ज्वला योजना शुरू की। हमारे प्रधानमंत्री जी ने पांच साल में पांच करोड़ गरीब महिलाओं को गैस प्रदान करने का फैसला लिया। अब तक 3 करोड़ 30 लाख लोगों को गैस का सिलेंडर देने का काम पूरा कर लिया गया है और इसी बजट में यह सरकार 5 करोड़ की जगह 8 करोड़ लोगों को सिलेंडर देने का प्रयास कर रही है।
जहां तक शौचालय के निर्माण का संबंध है, वर्ष 2022 तक हम हर घर में शौचालय की व्यवस्था कर देंगे। घर में शौचालय होने से स्वास्थ्य तो सुधरता ही है, महिलाओं को सम्मान के साथ जीने का अधिकार भी मिलता है। हर व्यक्ति को घर देने का स्वप्न भी इस सरकार ने ही देखा है और इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। देश में बेरोजगारी की समस्या का समाधान केवल हमारी सरकार ने ही ढूंढ़ा। गरीबों के हित के लिए बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था, पर उन्हें इसका लाभ नहीं मिल सका। उनके पास न तो खाते थे, न उनको ऋण मिलता था। ये बेरोजगार युवा दिशाविहीन होकर भटकते थे। आज मुद्रा बैंक के माध्यम से करोड़ों युवाओं को उचित ऋण प्रदान किया गया है। इसमें न गारंटी देनी है, न गारंटर लाना है और ब्याज भी कम रखा गया है।
हमारी सरकार ने साढ़े तीन साल में 18 हजार में से 16 हजार गांवों में बिजली पहुंचाने का काम पूरा कर दिया है। हमारी सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सुरक्षा योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना अस्वस्थ गरीबों के लिए लाई गई हैं। स्टेंट और कृत्रिम घुटने के खर्च को काफी कम किया गया है। इस बजट में ‘आयुष्मान भव योजना’ लाई गई है जिससे देश की जनता लाभान्वित होगी। भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने गरीबी हटाने का काम किया है।
कृषि को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा किसान की आय दोगुनी करने की दिशा में बहुत मजबूत कदम उठाए गए हैं। प्रधानमंत्री सिचाई योजना अपने आप में विशिष्ट प्रकार की योजना है। इससे पानी की बचत तो होगी ही और कृषि उपज में भी बढ़ोतरी होगी। इस सरकार ने 30 नदियों को जोड़ने का कार्यक्रम फिर से आरम्भ किया गया है। इसके अलावा सरकार द्वारा देश में बहुत सी फसल बीमा योजनाएं लाई गई हैं।
मैं इतना निश्चित रूप से कह सकता हूं कि “प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’’ के अंतर्गत उन किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की व्यवस्था की गई है, जिन्हें बुआई से लेकर फसल के काटने तक किसी भी आपदा के कारण फसलों का नुक्सान हुआ हो। ब्लाक स्तर पर सर्वेक्षण करने की बजाय अब हर गांव का सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया गया है।
सरकार ने देश की सभी मण्डियों को ई-मण्डी में बदलने की एक योजना बनाई है। 455 मण्डियों को ई-मण्डी में परिवर्तित कर दिया गया है। नीम-कोटेड यूरिया का अन्यत्र उपयोग पूर्णतया समाप्त कर दिया गया है और इसकी खपत भी कम हो गई है। गोरखपुर, सिन्दरी, बरौनी और तालचर जैसे बंद पड़े उर्वरक कारखानों में उत्पादन शुरू हो गया है। मुझे आशा है कि इस कदम से इस देश में यूरिया को आयात करने की जरुरत नहीं पड़ेगी। डेयरी के लिए 11,000 करोड़ रुपये की एक योजना बनाई गई है। जैविक खेती के लिए एक अच्छी पहल की गई है। लगभग साढ़े 22 लाख हेक्टेयर भूमि को जैविक खेती के अंतर्गत लाया गया है।
पिछले तीन वर्षो के दौरान लगभग 3.5 करोड़ किसानों की मदद के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान किये गए हैं। समस्त सुविधाओं से युक्त 460 प्रयोगशालाएं इस समय कार्य कर रही हैं और 4,000 छोटी प्रयोगशालाएं स्थापित करने का कार्य शुरू हो चुका है। आज़ादी के 70 वर्षो के बाद भी किसानों को उनकी फसल पर आने वाली लागत से डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देना एक राजनीतिक नारा होता था।
सरकार ने हर फसल के लिए चाहे वह रबी हो या खरीफ, उस पर आने वाली लागत से डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने का निर्णय लिया है। कृषि विकास दर 4.1 प्रतिशत रही है जबकि मुद्रास्फीति 9.5 प्रतिशत से घटकर 1.5 प्रतिशत रह गई है। ब्याज दर 8 प्रतिशत से घटकर 6 प्रतिशत रह गई है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ा है। ‘ईज ऑफ़ डूइंग बिजनेस’, ‘ग्लोबलाइजेशन इंडेक्स, ‘ग्लोबल कम्पीटीटिव इंडेक्स इत्यादि के सन्दर्भ में भारत की रैंकिंग में व्यापक सुधार आया है।