डॉ. सुधा मलैया
मोदी सरकार के 3 साल सही में बेमिसाल हैं। अनेक अर्थों में स्वतंत्रता के बाद के दशकों में महिलाओं ने हर दिशा में और हर क्षेत्र में अपने कदमों के निशान छोड़े हैं, ऊंचाइयों को छुआ है किंतु न उसकी यातनाओं में कमी आई और न समस्याएं घटी। देवी जैसे सम्मानित होने के बावजूद बार-बार अपमानित होती रही है। अधिकार दिए गए हैं किंतु दूसरे दरवाजे से छीन लिए जाते हैं। हिंदू हो या मुस्लिम हर महिला की कमोबेश यही कहानी है। वह उसी प्रकार उपेक्षिता है।
किन्तु अब एक सामान्य भारतीय ग्रहणी के घर संसार की मूल आवश्यक्ताओं की ओर जिस प्रकार मोदी सरकार ने ध्यान दिया है वह तारीफ के काबिल है। एक आम स्त्री की दुनिया रसोई से शुरू होती है और वही समाप्त होती है। इससे पहले अटल जी की सरकार ने गैस सिलेंडरों की कालाबाज़ारी पर रोक लगाई थी और अब पहली बार ढाई करोड़ से अधिक गरीब महिलाओं को फ्री गैस गैस कनेक्शन दिए गए हैं। इससे उनके जीवन में कितना बड़ा बदलाव आया है, कितना उनके जीवन की गुणवत्ता में परिवर्तन हुआ है यह कहने की बात नहीं है। इस एक योजना से ही न जाने कितनी महिलाओं का आकाश उजला-उजला हो गया है….
उफ़क के दरीचे से किरणों ने झांका
फजा तन गई रास्ते गुनगुनाए
सिमटने लगी नर्म कोहरे की चादर
जवां शाखसारों ने घूंघट उठाये
जब वन ही खत्म होते जा रहे हैं और और गांवों में जलाऊ लकड़ी का लगभग अकाल पड़ गया है। ऐसे में गांव गांव की महिलाएं कहां से ईधन लाएं और किस पर रोटी बनाएं। इस समस्या की ओर किसी का ध्यान ही नहीं था। कनेक्शन ही नहीं था तो गैस का चूल्हा भी कहां से लाएं। जब कनेक्शन दे दिए गए तो गैस एजेंसी भी खुली, रोजगार के अवसर भी पैदा हुए। वहीं देश की लाखों महिलाओं को चूल्हा फूंकने और आंखों की रोशनी चले जाने के डर से मुक्ति मिली।
इसी तरह नौकरी पेशा लाखों महिलाओं को मातृत्व लाभ संशोधन विधेयक से राहत मिली है। 3 महीने के बच्चे को घर में घर में छोड़कर नौकरी पर जाना कठिन होता है, इसीलिये 12 सप्ताह का अवकाश बढ़ाकर 26 सप्ताह का करना सुखद पहल है। साथ ही सरोगेट माता के लिए 12 सप्ताह का अवकाश। बच्चे को गोद लेने वाली महिला के लिए रोजगार प्रदाता और कामगार के आपसी रजामंदी से घर में काम करने की सुविधा प्रदान की गई की गई है।
‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना के तहत बेटियों की लगातार गिरती जनसंख्या से चिंतित सरकार की कोशिश से महत्वपूर्ण परिणाम आए हैं। हजार लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या 912 से बढ़कर 919 पर पहुंच गयी है। अनुपात की दृष्टि से सबसे बुरे राज्य हरियाणा में 2000 से 2006 तक जो संख्या प्रति 1000 पुरुषों पर सिर्फ 762 थी अब वह 846 हो गई है। असम में भी यह अनुपात 794 से बढ़कर 996 पर पहुंच गया है।
सुना है कि मौसम बदलने लगा है,
मैंने उसे छू दिया था वह मेरे साथ चलने लगा है।
देश का बदलता मानस शीतल पवन का झोंका है। इसीलिए बालिकाओं के सुनहरे और सुरक्षित भविष्य के लिए बनाई गई सुकन्या योजना के अंतर्गत उनकी संपूर्ण शिक्षा और 18 वर्ष का होने पर शादी में मिले व्यवहार के छोटे निवेश पर ज्यादा ब्याज दर और ज्यादा कर्ज पर कम ब्याज की व्यवस्था है। 2 दिसंबर 2014 से 31 अक्टूबर 2016 तक इस योजना के तहत 9996085 खाते खोले जा चुके हैं और इसमें 9455.30 करोड़ों रुपए जमा हो चुके हैं।
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान योजना के तहत 3 से 6 महीने की गर्भवती महिला को गर्भस्थ शिशु सहित निशुल्क जांच की व्यवस्था की गई है। बच्चे अधिक से अधिक स्वस्थ हों और माताएं उन्हें स्तनपान कराएं। देश के सभी जिलों में मातृत्व लाभ कार्यक्रम का लाभ का विस्तार हो, इसकी घोषणा 31 दिसंबर 2016 को राष्ट्र को दिए अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की थी। 1 जनवरी 2017 से लागू इस योजना के अंतर्गत लगभग 51.70 लाख महिलाएं लाभान्वित होंगी। देश के 53 जिलों में इस योजना के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं को पहले 4000 रूपये दिए जा रहे थे, अब वह राशि 6000 रूपये तक बढ़ा दी गई है और देश के सभी 665 जिलों में अब यह लागू है।
जिस समय मोदी जी देश के प्रधानमंत्री बने उस समय महिला सुरक्षा एक ज्वलंत मुद्दा था, निर्भया कांड होकर ही चुका था, इसलिए महिलाओं की सुरक्षा के लिए कुछ ऐसा हो जिससे वह कभी भी संकट में रहें तो अपनी सूचना घर और जरूरी नंबरों पर दे सकें। इस दृष्टि से भविष्य में नए बनने वाले स्मार्ट फोन में पैनिक बटन की सुविधा सुनिश्चित की गयी है। स्मार्ट मोबाइल फोनों में 5 व 9 नंबर का बटन इसके लिए इसके लिए सुनिश्चित किया है। 1 जनवरी 2018 से सब मोबाइल फोनों में GPS की सुविधा अनिवार्य होगी। पैनिक बटन सीधे 112 नंबर से जुड़कर सहायता उपलब्ध कराएगा। इसी प्रकार महिला हेल्पलाइन योजना में हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए 24 घंटे आपातकालीन और तत्काल सहायता दी जा सकेगी।
14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को भी के लिए भी बाल श्रम निषेध एवं नियमन विधायक पारित किया गया है। इसके अंतर्गत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से मजदूरी कराने पर पाबंदी और सज़ा का प्रावधान है। हालांकि वह अपने परिवार का हाथ उन कामों में बंटा सकते हैं जो खतरनाक नहीं हैं। इससे बालक और बालिकाओं की शिक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण पहल हो सकेगी। 14 से 18 वर्ष के किशोरों को कुछ शर्त के साथ कम खतरनाक काम धंधों में लगने की अनुमति मिलेगी।
इसी तरह सुरक्षा बंधन योजना भी सामाजिक सुरक्षा को नया आयाम प्रदान करती है, इसमें राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा आठ प्रतिशत ब्याज पर ऋण प्रदान किया जाता है, यह योजना भी कहीं ना कहीं महिलाओं को लाभान्वित कर रही है, क्योंकि उनके हाथ में आर्थिक शक्ति आई है। वह बड़ी ब्याज पर निवेश कर सकती हैं। योजना में 1 मार्च 2017 तक कुल 133,854,778 इनरॉलमेंट हो चुके थे। इसमें से अटल पेंशन योजना में 3,790,996 प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना में 30,888,908 और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना में 99,174,874 इनरॉलमेंट शामिल है।
और भी बहुत से योजनाएं महिलाओं के जीवन में रोशनी की किरण की तरह हैं। गरीब की हालत सुधरती है तो महिलाओं की तकलीफ और घुटन स्वतः ही कम ही जाती है। 3 साल में तीन गुना महिला विकास अद्भुत है।
(लेखिका भाजपा राष्ट्रीय प्रकाशन विभाग की सदस्या हैं)