936 किलोमीटर लंबी 8 महत्वपूर्ण नेशनल हाई-स्पीड रोड कॉरिडोर परियोजनाओं को मिली मंजूरी

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राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 2013-14 में 0.91 लाख किलोमीटर से करीब 6 गुना बढ़कर अब 1.46 लाख किलोमीटर हो चुकी है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने दो अगस्त को देशभर में 50,655 करोड़ रुपये की लागत से 936 किलोमीटर लंबी 8 महत्वपूर्ण नेशनल हाई-स्पीड कॉरिडोर परियोजनाओं को मंजूरी दी। इन 8 परियोजनाओं के कार्यान्वयन से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर करीब 4.42 करोड़ मानव दिवस के रोजगार सृजित होने का अनुमान है।

बुनियादी ढांचे का विकास किसी भी देश की आर्थिक समृद्धि की बुनियाद है और यह नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए काफी महत्वपूर्ण है। बुनियादी ढांचे के विकास पर खर्च किए गए हरेक रुपये से देश के सकल घरेलू उत्पाद पर 2.5 से 3 गुना प्रभाव पड़ता है।

देश के समग्र आर्थिक विकास में बुनियादी ढांचे के महत्व को महसूस करते हुए भारत सरकार पिछले दस वर्षों से देश में विश्वस्तरीय सड़क बुनियादी ढांचे के निर्माण में भारी निवेश कर रही है। राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) की लंबाई 2013-14 में 0.91 लाख किलोमीटर से करीब 6 गुना बढ़कर अब 1.46 लाख किलोमीटर हो चुकी है।

पिछले 10 वर्षों के दौरान देश में राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के आवंटन एवं निर्माण की रफ्तार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए राष्‍ट्रीय राजमार्गों के निर्माण के लिए ठेकों के आवंटन की औसत वार्षिक गति 2004-14 में करीब 4,000 किलोमीटर थी, जो करीब 2.75 गुना बढ़कर 2014-24 में करीब 11,000 किलोमीटर हो चुकी है। इसी प्रकार, राष्ट्रीय राजमार्गों का औसत वार्षिक निर्माण भी 2004-14 में करीब 4,000 किलोमीटर से लगभग 2.4 गुना बढ़कर 2014-24 में करीब 9,600 किलोमीटर हो चुका है। निजी निवेश सहित राष्ट्रीय राजमार्गों में कुल पूंजी निवेश 2013-14 में 50,000 करोड़ रुपये से 6 गुना बढ़कर 2023-24 में लगभग 3.1 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

इसके अलावा, सरकार ने स्थानीय भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों पर केंद्रित पहले के परियोजना-आधारित विकास दृष्टिकोण के मुकाबले उपयुक्‍त मानकों, उपयोगकर्ताओं की सुविधा और लॉजिस्टिक्‍स दक्षता को ध्यान में रखते हुए कॉरिडोर आधारित राजमार्ग बुनियादी ढांचे के विकास का दृष्टिकोण अपनाया है। कॉरिडोर वाले इस दृष्टिकोण के तहत जीएसटीएन और टोल आंकड़ों पर आधारित वैज्ञानिक परिवहन अध्ययन के जरिये 50,000 किलोमीटर के हाई-स्पीड हाईवे कॉरिडोर नेटवर्क की पहचान की गई है, जो 2047 तक भारत को 30 लाख करोड़ डॉलर से अधिक की अर्थव्यवस्था में बदलने में मदद करेगा।