कृषि और अम्बेडकर के सपनों का भारत

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वीरेंद्र सिंह मस्त

क‌ृषि भारत की जीवनधारा है‌। देश के दो तिहाई से अधिक लोगों कि यह आजीविका है, भले ही देश की जीडीपी में इसका योगदान मात्र 14 प्रतिशत है। मोदी सरकार की पहली प्राथमिकता किसान हैं। जब किसान खुशहाल होगा तभी देश खुशहाल बनेगा। उत्तर प्रदेश के चुनाव के दौरान मैंने किसान संकल्प पत्र प्रदेश की जनता के सामने रखा था और जबकि हमारी सरकार ने वहां काम करना शुरू कर दिया है, पहली ही कैबिनेट बैठक में लघु एवं सीमान्त किसानों के ऋण माफ कर दिए गए हैं। इसी से हमारी प्राथमिकतायें पता चलती है। इस वर्ष गेहूं कि अच्छी पैदावार हुई है। उत्तर प्रदेश की सरकार ने किसानों से 80 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा आलू के किसानों के लिए एक समिति बनाई गई है जो उनके समस्याओं पर गौर करेगी। जब कभी भी आलू की अधिक पैदावार होती है किसानों को उसकी लागत तक नहीं निकलती। मैंने इस समस्या के समाधान के लिए उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री को पत्र लिखा है कि स्कूल के मध्यान्ह भोजन योजना में आलू को शामिल किया जाए। आलू अपने आप में एक सम्पूर्ण आहार है और इसके जरिये इसकी खपत भी बढ़ जाएगी।
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किसानों के ऋण माफी की जो योजना उत्तर प्रदेश की सरकार लायी है, वह दूसरे प्रदेशों के लिए भी रास्ता दिखला सकती है। सरकार ने ऋण माफी की यह रकम बांड के जरिये जुटाने का फैसला किया है। पूर्व की सपा और बसपा कि सरकारों के कारण राज्य की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह ऋण माफी का बोझ उठा सके। सरकार ने लम्बी अवधि के बांड जारी कर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का प्रयास किया है जिससे कि इन बांडों के पुनर्भुगतान के समय अर्थव्यवस्था पर अतिरिक्त बोझ न पड़े। योगी सरकार का यह कदम उन गैर भाजपा राज्यों के लिए भी एक सबक है जो हर बात में केंद्र का रोना रोते हैं। इस नीति के तहत ही राज्यों को अपनी योजनायें बनानी होंगी जिससे किसानों को ऋण के संकट से निकाला जा सके।

वर्षों पहले बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर ने किसानों को ऋण के संकट से उबारने के लिए ऐसी ही दृष्टि पेश किया था। इस देश में अमीर और गरीब कि खाई को कैसे कम किया जाए इसी पर हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी लगातार काम कर रहे हैं। मोदी जी जिस पृष्ठभूमि से आते हैं उससे ज्यादा गरीबों का दर्द भला कौन समझ सकता है। बाबा साहेब के विचारों को कांग्रेस की सरकारों ने लगातार उपेक्षा की। आज हमें उनके विचारों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है जिससे हमारी आर्थिक नीतियां भारत के आर्थिक विकास को संभव बना सके। हम बाबा साहेब के सपनो के आधार पर नए भारत का निर्माण करना चाहते हैं। इसी को आधार बनाकर हम 6 अप्रैल से 14 अप्रै