आइज़ोल की तुरिअल पन-बिजली परियोजना राष्ट्र को समर्पित

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 16 दिसंबर को मिजोरम के आइज़ोल में 60 मेगावॉट की तुरिअल जलविद्युत परियोजना राष्ट्र को समर्पित किया। दरअसल, तुरिअल जलविद्युत परियोजना का निर्माण केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में किया गया है। इसका क्रियान्यवन विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत पूर्वोत्तर इलेक्ट्रिक पॉवर कार्पोरेशन (नीपको) द्वारा किया गया। गौरतलब है कि आर्थिक मामलों पर मंत्रीमंडलीय समिति (सीसीईए) ने जुलाई 1998 में परियोजना के क्रियान्यवन को अनुमति प्रदान की थी और जुलाई 2006 में इसके पूरा होने का समय निर्धारित किया था। जून, 2004 में परियोजना का तीस प्रतिशत कार्य पूरा होने के बाद स्थानीय आंदोलन के कारण काम को पूर्ण रूप से रोकना पड़ा। निपको के सतत प्रयासों और विद्युत तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय, केंद्र और मिजोरम सरकार के सक्रिय सहयोग से जनवरी, 2011 में परियोजना में फिर से काम की शुरुआत हुई।

परियोजना में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। इनमें दुर्गम क्षेत्र, दूरसंचार के आधारभूत ढांचे की कमी, मिट्टी की कमजोर स्थिति के कारण पावर हाउस का बड़ा स्तर पर सफल न होना और कुशल मानव संसाधन उपलब्ध न होना आदि प्रमुख थी। इसके कारण परियोजना को पूरा करने में अधिक समय लगा, लेकिन सभी संबधित एंजेसियों के प्रयासों के चलते परियोजना का काम सफलतापूर्वक पूरा हुआ औऱ 25-8-2017 को पहली इकाई और 28-11-2017 को दूसरी इकाई की शुरुआत हुई।

इस परियोजना का क्रियान्वयन नीपको द्वारा किया गया। इसमें भारत हैवी इलेक्ट्रिक लिमिटेड द्वारा ऊर्जा उपकरणों की आपूर्ति और स्थापना, मैसर्स पटेल इंजीनियरिंग द्वारा प्रमुख भूमि कार्य और मैसर्स सो-पीईएस- तुरिअल कंसोर्टियम द्वारा जल-यांत्रिकी कार्य किया गया। परियोजना का निर्माण 1302 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है।

यह परियोजना मिजोरम में स्थापित सबसे बड़ी परियोजना है और इससे उत्पादित बिजली राज्य को दी जाएगी। इससे राज्य का संपूर्ण विकास और केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी और प्रमुख कार्यक्रम “सभी को सातों दिन चौबीसों घंटे किफायती स्वच्छ ऊर्जा” के लक्ष्य को पूर्ण किया जा सकेगा।

राज्य में बिजली की मौजूदा मांग केवल 87 मेगावाट है और इसकी पूर्ति राज्य की लघु बिजली परियोजनाओं और केन्द्रीय क्षेत्र की परियोजनाओं में उसके अपने हिस्से की बिजली की उपलब्धता के जरिए हो रही है। परियोजना से अतिरिक्त 60 मेगावाट बिजली प्राप्त होने के साथ ही मिजोरम राज्य अब सिक्किम और त्रिपुरा के बाद पूर्वोत्तर भारत का तीसरा विद्युत-अधिशेष राज्य बन जाएगा। बिजली में आत्मनिर्भरता हासिल करने के अलावा इस परियोजना से मिजोरम राज्य को कुछ अतिरिक्त लाभ हासिल होंगे, जिनमें रोजगार सृजन, नौवहन, जलापूर्ति, मत्स्य पालन एवं वन्य जीव-जंतु का संरक्षण, पर्यटन, इत्यादि शामिल हैं।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उत्तर पूर्वी राज्यों में विकास को लेकर अटल जी के कार्यकाल में बहुत गंभीर प्रयास हुए थे। अटल जी कहते थे आर्थिक सुधार का एक बड़ा मकसद है क्षेत्रीय भेदभाव को पूरी तरह खत्म करना। इस दिशा में उन्होंने काफी कदम भी उठाए थे।

उन्होंने कहा कि 2014 में हमारी सरकार बनी तो एक बार फिर इस क्षेत्र को, हम सरकार की नीतियों और फैसलों में आगे लेकर आए हैं। मैंने तो एक नियम बना दिया था कि हर 15 दिन में कैबिनेट का कोई ना कोई मंत्री उत्तर पूर्व के राज्यों का दौरा जरूर करेगा। ये भी नहीं होगा कि सुबह आए, दिन में किसी इवेंट में हिस्सा लिया और शाम को वापस चला जाए। मैं चाहता था कि मंत्रिमंडल के मेरे साथी यहां रुककर, आपके बीच रहकर आपकी आवश्यकताओं को समझें, उनके मुताबिक अपने मंत्रालयों में नीतियां बनाएं।

श्री मोदी ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में मेरे साथी मंत्रियों की 150 से ज्यादा विजिट उत्तर पूर्व के राज्यों में हो चुकी है। हम इस विजन के साथ काम कर रहे हैं कि अपनी परेशानियां, अपनी आवश्यकताएं बताने के लिए आपको दिल्ली तक संदेश ना भिजवाना पड़े, बल्कि दिल्ली खुद आपके बीच चलकर आए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता के 70 वर्ष बाद भी हमारे देश में ऐसे 4 करोड़ घर हैं, जिनमें अब तक बिजली का कनेक्शन नहीं है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो लोग किस तरह 18वीं सदी की जिंदगी जीने के लिए मजबूर हैं। यहां मिजोरम में भी हजारों घर ऐसे हैं, जो अब भी अंधकार में जिन्दगी गुजार रहे हैं। ऐसे घरों में बिजली पहुंचाने के लिए सरकार ने हाल ही में ‘प्रधानमंत्री सहज बिजली- हर घर’ योजना यानी ‘सौभाग्य’ की शुरुआत की है। हमारा लक्ष्य है जल्द से जल्द देश के हर घर को बिजली कनेक्शन से जोड़ा जाए।

उन्होंने कहा कि इस योजना पर लगभग 16 हजार करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे। जिन गरीबों को इस योजना के तहत बिजली कनेक्शन दिया जाएगा, उनसे कनेक्शन के लिए सरकार कोई पैसा नहीं वसूलेगी। हम चाहते हैं कि गरीबों की जिंदगी में उजाला आए, उनकी जिंदगी रोशन हो।